T-18

T-18-समापन- तुफ़ैल चतुर्वेदी

मित्रो इस बार तरही ग़ज़ल का काम उस तरह नहीं चल पाया जिस तरह सामान्यतः चलता है. इसके दो कारण थे. पहला मकान बना कर उसमें रहने के लिये जाना और उसकी दीवारो-दर में हज़ार तरह की ख़ामियां देखना, उन्हें बदलवाने की जद्दो-जहद में पड़ना. दूसरे मैं अकेला पड़ गया हूँ. राज़, नवीन, स्वप्निल अपने-अपने […]

Rate this:

T-18/30 कुहासा छँट गया और उजाला हो गया है-नवीन सी चतुर्वेदी

[यक क़ाफ़िया ग़ज़ल] कुहासा छँट गया और उजाला हो गया है गगनचर चल गगन को सवेरा हो गया है वो भी था एक ज़माना, कि कहता था ज़माना चलो यमुना किनारे – सवेरा हो गया है वो रातों की पढ़ाई और अम्मा की हिदायत ज़रा कुछ देर सो ले – सवेरा हो गया है बगल […]

Rate this:

T-18/29 न था जिस पर भरोसा भरोसा हो गया है-दिनेश कुमार स्वामी ‘शबाब’ मेरठी

न था जिस पर भरोसा भरोसा हो गया है सुना है मेरा क़ातिल मसीहा हो गया है बचा ली लाज उसकी अब उसकी मुफ़लिसी ने अब उसका आसमां ही दुपट्टा हो गया है हर इक बंदिश हटा दी नज़र ने सामने से इसी दीवार में अब झरोखा हो गया है बरसना चाहती हैं ख़ुशी की […]

Rate this:

T-18/28 निगाहों से जो ओझल किनारा हो गया है-अभय कुमार ‘अभय’

निगाहों से जो ओझल किनारा हो गया है ये दरिया नीला नीला ज़ियादा हो गया है धनक,ख़ुशबू, घटा को, सभी नाज़-ओ-अदा को जिसे भी देखते हैं वो तेरा हो गया है ग़मों की धूप भी थी बरहना सर भी था मै ख़याल आया जो तेरा तो साया हो गया है बहुत रास आयी मुझको तिरी […]

Rate this:

T-18/27 पसे-जम्हूरियत ये अजूबा हो गया है-मुहम्मद आज़म

पसे-जम्हूरियत ये अजूबा हो गया है कोई क्या हो गया है कोई क्या हो गया है किसी की बेहिसी से किसी की सरकशी से किसी का था कभी जो किसी का हो गया है कसाफ़त छंट गयी है कि नज़रों का है धोका हर इक मंज़र यहां का नया सा हो गया है मोअज़्ज़िन की […]

Rate this:

T-18/26 लो मेरी जा़त को ये भरोसा हो गया है-नवनीत शर्मा

लो मेरी जा़त को ये भरोसा हो गया है वो मेरा था ही कब जो किसी का हो गया है उसे दिखती कहां है कोई तारीक वादी जो सूरज परबतों का मुजारा हो गया है रहे होंगे वो अव्‍वल वफ़ा के इम्तिहां में जिन्‍हें अश्‍कों का हासिल वज़ीफ़ा हो गया है चला भी आ कि […]

Rate this:

T-18/25 हसीं रंगीं नज़ारो तुम्हें क्या हो गया है-मनोज कुमार मित्तल ‘कैफ़’

हसीं रंगीं नज़ारो तुम्हें क्या हो गया है हरिक मंज़र अचानक जला सा हो गया है नई दीवार खींची पुराने घर में किसने किसी आसेब का यां बसेरा हो गया है ज़रा सी देर तुम भी हमारे साथ रह लो शबों में ख़ाब का दर अगर वा हो गया है लहू टपका है दिल से […]

Rate this:

T-18/24 फरेबो झूठ का अब ठिकाना हो गया है-भुवन निस्तेज

फरेबो झूठ का अब ठिकाना हो गया है तुम्हारे शह्र में भी ये क्या क्या हो गया है मिरी शाइस्तगी का तमाशा हो गया है गुलों के हाथ खंज़र तमाशा हो गया है यहाँ ये आइना मत सरे बाज़ार रक्खो जिसे सच का गुमाँ था वो झूठा हो गया है यहाँ तुम धूप में जिस […]

Rate this:

T-18/23 फ़िज़ा में उफ़ ये कैसे कुहासा हो गया है -परवीन ख़ान

फ़िज़ा में उफ़ ये कैसे कुहासा हो गया है तिरे जाते ही दिल तक अँधेरा हो गया है तबस्सुम ने हटाया उदासी की परत को ‘अँधेरा तिलमिला कर सवेरा हो गया है’ कमी उसकी खली है हमेशा रास्तों पर भले ही साथ मेरे ज़माना हो गया है कभी दोबारा कमतर समझना मत किसी को जिसे […]

Rate this:

T-18/22 वो ख़ाकी पैरहन में फ़रिश्ता हो गया है-शरीफ़ अंसारी

वो ख़ाकी पैरहन में फ़रिश्ता हो गया है कि जिसके घर में उनका ठहरना हो गया है तुम्हारी रहबरी का सहारा हो गया है मैं अब चलता रहूँगा भरोसा हो गया है ये किस महताब-रुख़ का इशारा हो गया है कि अब तारीक दिल में उजाला हो गया है किसी की यादे-पैहम से रिश्ता हो […]

Rate this:

T-18/21 मज़ा दुश्वारियों का दुबाला हो गया है-आलोक मिश्रा

मज़ा दुश्वारियों का दुबाला हो गया है तो मुझमें हौसला भी बला का हो गया है जिसे तुम ढूँढते हो,नहीं है अब वो मुझमें उसे गुज़रे हुए तो ज़माना हो गया है तड़प कर आ गिरा है उदासी की ज़मीं पर तिरे हमले से घायल परिन्दा हो गया है उसी से रौशनी है हमारी जिंदगी […]

Rate this:

T-18/20 वो क़िस्सा क़ैस-जी का अलग सा हो गया है-बिमलेंदु कुमार सिंह

वो क़िस्सा क़ैस-जी का अलग सा हो गया है कि खाका इश्क़ का अब तिकोना हो गया है कहाँ साक़ी रहे वो कहाँ मयख़ाने यारो कि अब दैरो-हरम पर भी पहरा हो गया है कोई इक पल में कैसे वो धागा जोड़ देगा जिसे टूटे हुए इक ज़माना हो गया है बहारों से रहा है […]

Rate this:

T-18/19 न था तेरा कभी जो वो तेरा हो गया है-शाज़ जहानी

न था तेरा कभी जो वो तेरा हो गया है न था मेरा कभी जो वो मेरा हो गया है उजाले में जो दिन के नहीं दिखलायी देता वो आयेगा नज़र अब अंधेरा हो गया है मनाज़िर हो के मुबहम सिमटते जा रहे हैं ये कोहरा रफत: रफत: घनेरा हो गया है ये गिरदाबो-तलातुम नहीं […]

Rate this:

T-18/18 मरज़ हद से बढ़ा जब तो अच्छा हो गया है-अब्दुल अहद ‘साज़’

मरज़ हद से बढ़ा जब तो अच्छा हो गया है ‘अँधेरा तिलमिला कर सवेरा हो गया है’ नफ़स की आमदो-शुद नहीं कुछ हमको शुद-बुद प कहता है समय ख़ुद कि पूरा हो गया है नसों में सनसनाहट रगों में सरसराहट अजल की सी है आहट इशारा हो गया है पड़े ख़ुद में सिमट कर रही […]

Rate this:

T-18/17 सुकूने-क़ल्ब का भी ज़रीया हो गया है-शफ़ीक़ रायपुरी

सुकूने-क़ल्ब का भी ज़रीया हो गया है किसी का नाम मेरा वज़ीफ़ा हो गया है मिरा अपना लहू था पराया हो गया है समंदर पार जा कर वहीँ का हो गया है वो शर्मिंदा नहीं है ख़ुलासा हो गया है खता मेरी वफ़ा का निशाना हो गया है अदब मिलता कहा है अदब की महफ़िलों […]

Rate this:

T-18/16 मताये-दिल लूटी है ख़सारा हो गया है-अहमद सोज़

मताये-दिल लूटी है ख़सारा हो गया है मिरी आँखों के आगे अँधेरा हो गया है तुम्हारे इश्क़ ने ये किया है हाल मेरा मिरी दीवानगी का तमाशा हो गया है बदलते मौसमों ने बदल डाला है सब कुछ यहाँ सब कुछ हमारा तुम्हारा हो गया है ये भीगी-भीगी आँखें ये उतरा-उतरा चेहरा मियां अख़बार पढ़ […]

Rate this:

T-18/15 यकायक रास्तों में अँधेरा हो गया है-नूरुद्दीन नूर

यकायक रास्तों में अँधेरा हो गया है के इन्सां भीड़ में भी अकेला हो गया है बशर के दौश पर हैं ज़रुरत की सलीबें कमर के साथ सर भी ख़मीदा हो गया है अचानक आगया है सवा नेज़े पे सूरज “अँधेरा तिलमिला कर सवेरा हो गया हैi” हुआ तब्दील जब से रवैया दोस्तों का मिरा […]

Rate this:

T-18/14 कृपा का आपकी जो सहारा हो गया है-‘खुरशीद’ खैराड़ी

कृपा का आपकी जो सहारा हो गया है भँवर से पार मेरा सफ़ीना हो गया है अहिल्या को भी तारा अजामिल को भी तारा मुझे भी तार दोगे भरोसा हो गया है गरल हर साँस है अब विषैला नाग हर पल विरह कैलाश जीवन शिवाला हो गया है ग़रज़ की खाद पाकर मरासिम बर्गे-गुल सा […]

Rate this:

T-18/13 उसे देखा नहीं है ज़माना हो गया है-दिनेश नायडू

उसे देखा नहीं है ज़माना हो गया है मेरी दुनिया में जैसे अंधेरा हो गया है वो जो मुर्दा नहीं था मिरे अंदर का शायर, तुम्हारी याद आयी तो ज़िंदा हो गया है कोई फिर याद बन कर चला आया है मुझमे मेरी बेचैनियों में इज़ाफ़ा हो गया है अब अपना मौन तोड़ो, कोई तो […]

Rate this:

T18/13 तुम्हें खोया तो प्यासा वो दरिया हो गया है-आसिफ़ ‘अमान’

तुम्हें खोया तो प्यासा वो दरिया हो गया है तुम्हें पाया तो पुरनम ये सहरा हो गया है अधूरी तेरी दुनिया अधूरी मेरी दुनिया मुकम्मल इक जहाँ अब हमारा हो गया है मुझे ग़म इसलिये है रिहा होने का अपने निगाहों मैं सभी की वो झूठा हो गया है दवाएँ ना दुआएँ ना अपनों की […]

Rate this:

T-18/12 बरामद चाहतों का नतीजा हो गया है-इरशाद ख़ान सिकंदर

बरामद चाहतों का नतीजा हो गया है ख़ुदा के फ़ज़्ल से घर मुहल्ला हो गया है किताबों को जला दो सनद का क्या करोगे कि जब हावी क़लम पर अगूंठा हो गया है किया था फ़ोन किसको उठाया फ़ोन किसने मिरी दीवानगी का कबाड़ा हो गया है किया है इश्क़ मुझसे करोगे इश्क़ मुझसे ये […]

Rate this:

T-18/11 मिरे सपने गिरे हैं छनाका हो गया है-स्वप्निल तिवारी

मिरे सपने गिरे हैं छनाका हो गया है ज़माना जाग उठा है सवेरा हो गया है नदी से धड़कनों की शजर तक आंसुओं के ये सारा ही इलाक़ा ग़मों का हो गया है ये दिल जो नाचता था कभी एड़ी के बल पर यही बेचैनियों का बगूला हो गया है तुम्हारी याद के पर निकलने […]

Rate this:

T18/10 ये माना जंग मेँ कुछ खसारा …..सिराज फ़ैसल ख़ान

ये माना जंग मेँ कुछ खसारा हो गया है ये कम है, जीतने का सलीका हो गया है कज़ा जैसी चली है हवा अब के चमन मेँ सभी पेड़ों का जड़ से सफाया हो गया है जिसे सब लोग अपने निशाने पर लिए थे उसी का हर कोई अब निशाना हो गया है किसी ने […]

Rate this:

T18/9 मेरा किरदार अब यूँ बरहना……–मयंक अवस्थी

ग़ज़ल मेरा किरदार अब यूँ बरहना हो गया है मेरे शीशे के घर में उजाला हो गया है सियासी नालियों ने पनाहें बख़्श दी जब जो कल तक केंचुआ था, सँपोला हो गया है चिकोटी काट ली जब,,उसे सूरज ने आकर “अँधेरा तिलमिला कर सबेरा हो गया है” मेरे अहसास पर यूँ कोई आँसू गिरा […]

Rate this:

T-18/8 पिघल कर आस्माॅँ भी सुनहरा हो गया है-पवन कुमार

पिघल कर आस्माॅँ भी सुनहरा हो गया है नये मंजर तलाशो उफुक वा हो गया है सुना है दुश्मनों में इज़ाफ़ा हो गया है इधर का था जो अब तक उधर का हो गया है मरोड़ी बाॅँह शब की जो सूरज ने अचानक अंधेरा तिलमिलाकर सवेरा हो गया है सियासत कम नहीं है किसी बाज़ीगरी […]

Rate this:

T-18/7 गई शब पा तुझे दिल दीवाना हो गया है-गुरुवन्त सिंह ‘गुरु’

गई शब पा तुझे दिल दीवाना हो गया है “अन्धेरा तिलमिला कर सवेरा हो गया है” करेंगे फोन पर ही मिला जो दिल से बातें हमारे दौर का ये सलीका हो गया है निकलना चाहता हूँ मैं अब रुस्वाईयों से कि दिल का छोटा बच्चा बड़ा सा हो गया है कभी आहट को पाकर चहक […]

Rate this:

T-18/6 गई शब पा तुझे दिल दीवाना हो गया है-गुरुवन्त सिंह ‘गुरु’

गई शब पा तुझे दिल दीवाना हो गया है “अन्धेरा तिलमिला कर सवेरा हो गया है” करेंगे फोन पर ही मिला जो दिल से बातें हमारे दौर का ये सलीका हो गया है निकलना चाहता हूँ मैं अब रुस्वाईयों से कि दिल का छोटा बच्चा बड़ा सा हो गया है कभी आहट को पाकर चहक […]

Rate this:

T-18/6 सियासतदाँ हमारा मसीहा हो गया है-‘खुरशीद’खैराड़ी

सियासतदाँ हमारा मसीहा हो गया है ग़रीबी का हमारी तमाशा हो गया है अज़ल से देखता हूं यही सपना सुहाना शबे-ग़म ढल गई है उजाला हो गया है मरासिम के वसन में मनाफ़िज़ हैं हज़ारों कठिन उरयानगी को छुपाना हो गया है तुझे छूकर नसों में रवाँ है बर्क़ सा क्या पिघलकर जोश मन का […]

Rate this:

T-18/5 प्रबंधन का अब उसको, सलीक़ा हो गया है-धर्मेन्द्र कुमार सिंह

प्रबंधन का अब उसको, सलीक़ा हो गया है ख़ुदा सा सर्वव्यापी, दरिंदा हो गया है किया बदसूरती का, बहुत उपहास जिसने उसे ही ब्याह के दिन, मुँहासा हो गया है मैं सच की रहगुज़र हूँ, कहें तीनों ही राहें बड़ा भ्रामक वतन का, तिराहा हो गया है सियासत का है जादू, परिंदों का शिकारी लगाकर […]

Rate this:

T-18/4 बस इक ठोकर से तेरी करिश्मा हो गया है-इरशाद ख़ान ‘सिकंदर’

बस इक ठोकर से तेरी करिश्मा हो गया है पता है दिल हमारा नगीना हो गया है बदन ऐ झील तेरा सुनहरा हो गया है ये किसके आगमन से उजाला हो गया है चला कब ज़ोर उसका हमारी हठ के आगे ”अँधेरा तिलमिला कर सवेरा हो गया है” तक़ाज़े इश्क़ के भी बहुत जायज़ हैं […]

Rate this:

T-18/3 रगों में दौड़ता ख़ूँ जो शो’ला हो गया है-मुमताज़ नाज़ां

रगों में दौड़ता ख़ूँ जो शो’ला हो गया है दिलों में नफ़रतों का अँधेरा हो गया है ये बर्फ़ अहसास की अब पिघलती ही नहीं है लबों को मुस्कराये ज़माना हो गया है किरन उम्मीद की भी भटक जाती है अक्सर जो दिल में ज़ुल्मतों का बसेरा हो गया है ज़रा छेड़ा ख़िरद ने, जुनूँ […]

Rate this:

T-18/2 निगाहों के असर से अजूबा हो गया है-चंद्रभान भारद्वाज

निगाहों के असर से अजूबा हो गया है गुनाहों का पुजारी मसीहा हो गया है सुनी जो उनके क़दमों की आहट भी गली में अँधेरा तिलमिला कर सवेरा हो गया है ज़मी के पास आने लगा है आसमाँ खुद परों पर अपने जबसे भरोसा हो गया है जलायी ऐसी दिल में किसी ने प्यार की […]

Rate this:

T-18/1 चुरायी सूलियों से मसीहा हो गया है-राजमोहन चौहान

चुरायी सूलियों से मसीहा हो गया है कन्हैया मिल गया तो सुदामा हो गया है नगर बाबागिरी का ठिकाना हो गया है नदी के तीर मंदिर बिराना हो गया है चुनावों का है मौसम अजूबा हो गया है जिसे देखो धरम का खुदा का हो गया है चुनावी नेत्रियों का जो आना हो गया है […]

Rate this:

तरही-18 मिसरा तरह :- अँधेरा तिलमिला कर..सवेरा हो गया है..

साहिबो, तरही मिसरों की राह से अदब का सफ़र करते हुए हमें ख़ासा वक़्त बीत चुका है और तक़रीबन चलन की सभी बहरों की नाप-जोख हो चुकी है. इस बार बल्कि अब कुछ तरहियों तक कुछ अलग काम किया जाये. उस्तादों ने आम मुरव्वजा बहरों में कुछ हर्फ़ कम या ज़ियादा करके गज़लें कही हैं. […]

Rate this: