T-25

T-25/35 दिन रात जाने कैसे बला में लगा रहा-दिनेश कुमार स्वामी ‘शबाब’ मेरठी

दिन रात जाने कैसे बला में लगा रहा मैं ज़िन्दगी तिरी ही दवा में लगा रहा सबको लुटा रहा था ये उम्मीद का समर इक पेड़ था जो मेरी दुआ में लगा रहा था उसको शौक़ ज़ख़्म लगाने का दोस्तो मैं उम्र भर सभी की शिफ़ा में लगा रहा ज़ालिम ने उँगलियों में मिरा घर […]

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T-25/34 जब ध्यान उसके हुस्नो-अदा में लगा रहा-मनोज मित्तल ‘कैफ़’

जब ध्यान उसके हुस्नो-अदा में लगा रहा ऐसा हुआ ख़याल ख़ुदा में लगा रहा जाना है अब ये इश्क़ तो पत्थर था रेत का मैं मुफ़्त ही तराशो-जिला में लगा रहा मुज़्तर हुई जो रूह तो आज़ाद हो गयी और चारासाज़ नब्ज़ो-दवा में लगा रहा आवाज़ के जहान में ये उम्र कट गयी रिश्तों के […]

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T-25/33 अच्छाइयों का दाग़ ख़ता में लगा रहा-स्वप्निल तिवारी ‘आतिश’

अच्छाइयों का दाग़ ख़ता में लगा रहा घर का ख़याल साथ सज़ा में लगा रहा आँखों के ज़ख्म दिन के उजालों के थे निशाँ शब भर तुम्हारा ख्व़ाब दवा में लगा रहा किस लफ़्ज़ से विसाल की थी उसको आरज़ू सन्नाटा कैसी आहो-बुका में लगा रहा इक मैं और एक वो थे जहां में बचे […]

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T-25/32 कोई जहाँ में रोटी दवा में लगा रहा-शाहिद हसन ‘शाहिद’

कोई जहाँ में रोटी दवा में लगा रहा कम करने ज़िन्दगी की सज़ा में लगा रहा नामे-ख़ुदा से मिल न सकी हो जिसे ख़ुदी बेकार ही वो यादे-ख़ुदा में लगा रहा जब से मुझे वो छोड़ के तन्हा चला गया गिनने में मैं फ़िराक़ की शामें लगा रहा उसकी तरफ से बारहा आये मुझे पयाम […]

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T-25/31 उसकी जफ़ा को छोड़ वफ़ा में लगा रहा-पवनेंद्र ‘पवन’

उसकी जफ़ा को छोड़ वफ़ा में लगा रहा मैं बस इसी गुनाहो-ख़ता में लगा रहा मुझको मरज़ वो था ही नहीं अब पता चला मैं जिसकी उम्र भर ही दवा में लगा रहा रोने मैं अपना रोना गया जिसके दर वही अपनी सुनाने रामकथा में लगा रहा सावन की रात में जो नहीं सो सका […]

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T-25/30 फ़रयादी अल मदद की सदा में लगा रहा-सीमा शर्मा

फ़रयादी अल मदद की सदा में लगा रहा राजा किसी के दस्ते-हिना में लगा रहा सत्संग में प्रसंग चला सीता राम का मेरा दिमाग़ मेरी व्यथा में लगा रहा बुनती रही हूँ सपने मैं हर वक्त प्रीत के सिक्कों की तू खनकती सदा में लगा रहा मैं तो उसे रिझाने में हर दम लगी रही […]

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T-25/29 जंज़ीरे-ज़िन्दगी से वफ़ा में लगा रहा-पूजा भाटिया

जंज़ीरे-ज़िन्दगी से वफ़ा में लगा रहा ताउम्र जिस्म अपनी सज़ा में लगा रहा मरते हुए मिले थे उसे चन्द लफ़्ज़, फिर वो उम्र भर उन्हीं की दवा में लगा रहा ख़ुशबू न रंग कुछ भी नहीं कुछ नहीं था वो पर नाम बन के मेरी, हिना में लगा रहा उसको थी कब ये फ़िक्र कि […]

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T-25/28 इंसान पहले जौरो-जफ़ा में लगा रहा-शाहिद हसन ‘शाहिद’

इंसान पहले जौरो-जफ़ा में लगा रहा फिर उसके बाद ख़ून-बहा में लगा रहा दुनिया में जो भी कारे-जज़ा में लगा रहा या रब वो तेरी हम्दो-सना में लगा रहा दुनिया-ओ-दीं की इश्क़ ज़रुरत है , इसलिए मैं इश्क़ के फ़रोग़े-बक़ा में लगा रहा इलज़ाम उसके सर पे जफ़ा के लगे मगर बेचारा ख़ार गुल से […]

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T25/27 क्या ख़ूब, सर तो हुक्मे-ख़ुदा में लगा रहा-शफ़ीक़ रायपुरी

क्या ख़ूब, सर तो हुक्मे-ख़ुदा में लगा रहा कमबख़्त दिल बुतों की रज़ा में लगा रहा दुनिया मुझे मिटने की धुन में लगी रही मैं इत्तिबा-ए-अहले-वफ़ा में लगा रहा क़दमों पे उनके इश्क़ ने सर रख दिया उधर ज़ाहिद इधर सज़ा-ओ-जज़ा में लगा रहा रंजो-अलम की धूप बरसती रही मगर दिल था कि फिर भी […]

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T-25/26 झरने का साज़ जैसे घटा में लगा रहा-नकुल गौतम

झरने का साज़ जैसे घटा में लगा रहा पर्दे में चाँद शर्मो-हया में लगा रहा मालूम था मुझे कि मुहब्बत क़ुसूर है दिल फिर भी इस हसीन ख़ता में लगा रहा सुनता रहा जो उसकी कहानी मैं रात भर अपने अकेलेपन की दवा में लगा रहा शब भर सता रहा था धुंआ कल सिगार का […]

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T-25/25 हुस्ने-सुलूक़ हुस्ने-वफ़ा में लगा रहा-सैयद नासिर अली

हुस्ने-सुलूक़ हुस्ने-वफ़ा में लगा रहा दिल अपना शानदार कला में लगा रहा बेइज़्ज़ती क़ुबूल थी इज़्ज़त न थी क़ुबूल ताज़िंदगी वो मक्रो-रिया में लगा रहा उसकी हरिक ख़ुशी की बजाआवरी में मैं हुस्ने-अमल से रब की रज़ा में लगा रहा तब जाके वो सिफ़ात का आईना बन सका ख़ुद को उभारने की अदा में लगा […]

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T-25/24 दुनिया के हुस्न और अदा में लगा रहा-डॉ आज़म भोपाल

दुनिया के हुस्न और अदा में लगा रहा इस तर्ह मैं भी मद्हे-ख़ुदा में लगा रहा पढ़ कर नमाज़ काम पे सारे चले गए नाकारः मैं ही कारे-दुआ में लगा रहा कैसी क़बा थी इस पे तवज्जो ही कब हुई मेरा तो ध्यान बंदे-क़बा में लगा रहा जिस ने सभी के वास्ते मांगी दुआ-ए-ख़ैर “मैं […]

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T-25/23 कहने को रस्मो-राहे-वफ़ा में लगा रहा-अब्दुल अहद ‘साज़’

कहने को रस्मो-राहे-वफ़ा में लगा रहा दर पर्दा मैं तो हिर्सो-हवा में लगा रहा क़ाबू में अस्पे-शेर को रखना मुहाल था कसने में मैं क़लम की लगामें लगा रहा शायद कि शायरी में निखार आये मेरी ज़ात क़ुरबान करके अपनी मैं शामें लगा रहा शायद मिरी निजात इसी के तुफ़ैल हो ‘मैं उसके साथ-साथ दुआ […]

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T-25/20 यूं तो मेरा तबीब दवा में लगा रहा-सुख़नवर हुसैन रायपुरी

यूं तो मेरा तबीब दवा में लगा रहा ‘मैं उसके साथ-साथ दुआ में लगा रहा’ आपस में हमको लड़ने की फ़ुर्सत नहीं मिली, पूजा में वो, मैं यादे-ख़ुदा में लगा रहा. दामन पे उसके दाग़ न आया कोई नज़र पैवन्द पैरहन में क़बा में लगा रहा करता रहा मैं उसकी हरिक बात पर यक़ीन वो […]

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T-25/19 पैबंदे-ज़ख़्म दिल की रिदा में लगा रहा-इरशाद ख़ान ‘सिकंदर’

पैबंदे-ज़ख़्म दिल की रिदा में लगा रहा मैं बदहवास हम्दो-सना में लगा रहा जिसपर मिरे वजूद का दारोमदार बुत वो तमाम उम्र ख़ुदा में लगा रहा गिर गिर के लोग साहिबे-दस्तार हो गये मैं ख़्वामख़्वाह अपनी अना में लगा रहा मुझको यक़ीं था माँग रही होगी वो मुझे ‘मैं उसके साथ साथ दुआ में लगा […]

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T-25/18 वो ताहयात रब की रज़ा में लगा रहा-मुनव्वर अली ‘ताज’

वो ताहयात रब की रज़ा में लगा रहा ‘मैं उसके साथ-साथ दुआ में लगा रहा’ हुस्ने-सुख़न की नाज़ो-अदा में लगा रहा मैं हर नफ़स ग़ज़ल की ज़िया में लगा रहा ख़ुशबू निसार करता रहा जांनिसार पर गुल हो के गुलसितां की वफ़ा में लगा रहा सारा चमन उदास रहा उसकी याद में ताज़ा गुलाब उसकी […]

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T-25/17 अल्लाह की मैं हम्दो-सना में लगा रहा-फ़ज़्ल अब्बास सैफ़ी

अल्लाह की मैं हम्दो-सना में लगा रहा शैतान था कि आहो-बुका में लगा रहा कोई जफ़ा में कोई वफ़ा में लगा रहा हर शख़्स अपनी-अपनी अदा में लगा रहा रब पर मिरा यक़ीन था मुश्किल के वक़्त भी मैं हर क़दम पे उसकी रज़ा में लगा रहा साबित हुआ ख़ताओं का पुतला है आदमी तौबा […]

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T-25/16 मैं सारी उम्र अहदे-वफ़ा में लगा रहा-इमरान हुसैन ‘आज़ाद’

मैं सारी उम्र अहदे-वफ़ा में लगा रहा परिणाम कह रहा है ख़ता में लगा रहा सारे पुराने ज़ख्म नये ज़ख्म ने भरे बेकार इतने दिन मैं दवा में लगा रहा कोशिश तो की मगर न सुनी रूह ने मिरी पर जिस्म तो तुम्हारी रज़ा में लगा रहा ऐसा नहीं कि चाँद न उतरा हो बाम […]

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T-25/15 इक हुस्न हर तरह से ज़फ़ा में लगा रहा-आलोक मिश्रा

इक हुस्न हर तरह से ज़फ़ा में लगा रहा इक इश्क़ फिर भी हम्दो सना में लगा रहा उसने कहा था अब नहीं आऊंगा लौटकर पर दिल तमाम उम्र दुआ में लगा रहा शायद तुम्हारी यादों के साये थे जम’अ रात मेला सा एक दिल के ख़ला में लगा रहा ये जानता था गर्द ही […]

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T-25/14 आई क़ज़ा सुज़ूदे-ख़ुदा में लगा रहा-शिज्जु शकूर

आई क़ज़ा सुज़ूदे-ख़ुदा में लगा रहा इँसान था सो रस्मे-वफ़ा में लगा रहा औरों पे यूँ उछाल के कीचड़ हुआ न कुछ जो दाग़ था वो उसकी कबा में लगा रहा अपनी बुराइयों से वो ग़ाफ़िल रहा मगर ध्यान उसका दूसरों की ख़ता में लगा रहा सारा जहान हँसता रहा मुझपे और मैं चुपचाप एह्तमामे-ज़िया […]

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T-25/13 सहरा में कोई शख़्स सदा में लगा रहा-दिनेश नायडू

सहरा में कोई शख़्स सदा में लगा रहा दरिया का रोम-रोम दुआ में लगा रहा इतना किसी का शहर में चर्चा न हो कभी हर एक शख़्स सौतो-सदा में लगा रहा इक रूह तैरती रही दो आलमों के बीच इक जिस्म मिटते मिटते निदा में लगा रहा उसकी गली पे होश की सरहद हुई तमाम […]

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T-25/12 हर बेनवा की मैं जो नवा में लगा रहा-अभय कुमार अभय

हर बेनवा की मैं जो नवा में लगा रहा तय है कि बन्दगी-ए-ख़ुदा में लगा रहा नेकी-बदी का भेद खुले उसपे किस तरह सद फ़िक्र जो सज़ा-ओ-जज़ा में लगा रहा दीवानावार इश्क़ रहा महवे-हाय हू और हुस्न एहतमामे-हिना में लगा रहा था शौके-खुदनुमाई बहुत बज़मे-नाज़ में बस मैं भी उसके नाज़ो-अदा में लगा रहा तुम […]

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T-25/11 खिदमत बराए-खल्क़े-ख़ुदा में लगा रहा-शाहिद हसन ‘शाहिद’

खिदमत बराए-खल्क़े-ख़ुदा में लगा रहा दुनिया-ओ-दीन की वो बक़ा में लगा रहा अंजाम भूल, कारे-जफ़ा में लगा रहा “मैं उसके साथ साथ दुआ में लगा रहा ” दामन बचा सका न गुनाहों के फ़ेल से वैसे खुदा की हम्दो-सना में लगा रहा इंसान दिल से खौफे-ख़ुदा को निकाल कर दिन रात इरतिकाबे-खता में लगा रहा […]

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T-25/10 अपना तो ध्यान अपने पिया में लगा रहा-चंद्रभान भारद्वाज

अपना तो ध्यान अपने पिया में लगा रहा बस नेकी और राहे-वफ़ा में लगा रहा भगवान उसको माफ़ करे दीन जानकर जो हर कदम गुनाहो-दगा में लगा रहा वह ज़िंदगी से मेरी गया तोड़ सिलसिला पर मैं तो अपने वादे-वफ़ा में लगा रहा जब नाव उसकी जा के फँसी बीच धार में ‘मैं उसके साथ […]

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T-25/9 शद्दाद ज़र्बे-दर्दफ़िज़ा में लगा रहा-शाज़ जहानी

शद्दाद ज़र्बे-दर्दफ़िज़ा में लगा रहा मज़्लूम ज़ब्ते-आहो-बुका में लगा रहा जर्राह की भी मेरी तरह पहली चोट थी ‘मैं उसके साथ साथ दुआ में लगा रहा’ जिससे लगा रखी थी तवक़्क़ो शबे-फिराक़ ता देर वह नजूम समा में लगा रहा बहता रहे जो आब तो पत्थर को काट दे जीता वो दिल जो अर्ज़े-वफ़ा में […]

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T-25/8 तुम हो गए ख़ुदा तो ख़ुदा में लगा रहा -नवनीत शर्मा

तुम हो गए ख़ुदा तो ख़ुदा में लगा रहा गर ये ख़ता है ठीक, ख़ता में लगा रहा वो इश्‍क़ की दुकान बढ़ा कर निकल गए नाहक मैं उसके बाद सदा में लगा रहा ढांपा किसे है किसने ये उक़्दा अजीब है पैवंद बन मैं अपनी क़बा में लगा रहा ख़ुद में उतर के जीना […]

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T-25/7 हर लम्हा सिर्फ हम्दो-सना में लगा रहा-नूरुद्दीन नूर

हर लम्हा सिर्फ हम्दो-सना में लगा रहा मैं हक़-परस्त रहे-ख़ुदा में लगा रहा क्या ग़ैर मेरे अपने भी मेरे ख़िलाफ़ थे मैं उम्र भर तलाशे-वफ़ा में लगा रहा मेरी ज़रूरतों का जिसे इल्म ही न था “मैं उसके साथ-साथ दुआ में लगा रहा” अहले-ख़िरद ने बाँट लीं दुनिया की दौलतें दीवाना सिर्फ आहो-बुका में लगा […]

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T-25/6 बद्ज़न था, फिर भी यादे-ख़ुदा में लगा रहा-मुमताज़ नाज़ां

बद्ज़न था, फिर भी यादे-ख़ुदा में लगा रहा दिल आख़िरश तो हम्दो-सना में लगा रहा लाफ़ानी थी तलब तो थी रहमत भी बेकराँ मैं मांगने में और वो अता में लगा रहा दुनिया को सीधी राह पे लाता तो लाता कौन हर शख़्स क़ौम का तो रिया में लगा रहा मज़हब भी बेच डाला जहां […]

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T-25/5 पैवन्द इक न एक क़बा में लगा रहा-असरार उल हक़ असरार

पैवन्द इक न एक क़बा में लगा रहा ताउम्र मैं रफ़ू की सज़ा में लगा रहा फिर आज मुझको ताज़ा ख़ुदा की तलाश है कल तक तो मैं पुराने ख़ुदा में लगा रहा उस दर्द ही ने दिल को दिया दिल का मरतबा जिस दर्द की सदा मैं दवा में लगा रहा सजदा ब सजदा […]

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T-25/4 ख़ुदबीं था हुस्न अपनी अदा में लगा रहा-नाज़िम नक़वी

ख़ुदबीं था हुस्न अपनी अदा में लगा रहा और इश्क़ भी उसी की बक़ा में लगा रहा सब अपने अपने हिस्से का ग़म बांचते रहे और मैं था इक परी की कथा में लगा रहा हमने उसे गुलाब की सूरत सजा लिया पैबंद जो हमारी क़बा में लगा रहा जब तक वो सबके हक़ के […]

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T-25/3 मैं एहतियाते-हुस्ने-ख़ला में लगा रहा – नवीन

मैं एहतियाते-हुस्ने-ख़ला में लगा रहा। इनसान हूँ सो कारे-वफ़ा में लगा रहा॥ ये काम करना सब से ज़ुरूरी था इसलिये। मैं लमहा-लमहा फ़िक्रे-फ़ज़ा में लगा रहा॥ ख़ामोशियों से डर के तमाम उम्र साहिबान। मैं कारोबारे-सिन्फ़े-नवा में लगा रहा॥ नवीन सी. चतुर्वेदी +919967024593

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T-25/1 ज़ख़्मी था मैं सो आहो-बुका में लगा रहा-तुफ़ैल चतुर्वेदी

ज़ख़्मी था मैं सो आहो-बुका में लगा रहा वो सबसे बेनियाज़ अदा में लगा रहा पलकों पे इक ज़रा सी नमी क्या दिखाई दी आलम तमाम उसकी दवा में लगा रहा उसकी गली तो इतनी न तारीको-तार थी फिर भी हरिक चराग़ हवा में लगा रहा सहरा में मेरे बाग़ बदलते चले गये शाइर था […]

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T-25 तरही मिसरा:- मैं उसके साथ-साथ दुआ में लगा रहा

साहिबो इस बार ज़रा अड़ाव का मिसरा रखते हैं। क़दरन सख़्त होने से ज़ह्न पर मज़ीद ज़ोर देना पड़ेगा और ज़ियादा मज़ा आयेगा। हमेशा की तरह ग़ज़ल पोस्टिंग 11 अगस्त से से शुरू करेंगे। तब तक और हंगामे होते रहेंगे। समापन हमेशा की तरह महीने की अंतिम तारीख़ यानी इस बार 31 अगस्त को किया […]

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