“लफ़्ज़”पृष्ठ पर “असातिज़ा” में “मुसहफ़ी ग़ुलाम हमदानी” में ” दिल चीज़ क्या है चाहिए तो जान लीजिए ” खोलने पर ग़ज़ल मिलती है ” दिल चुराना ये काम है तेरा – ले गया है तो नाम है तेरा “. कृपया समन्वय बनाएँ. धन्यवाद.
शाज़ जहानी
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“लफ़्ज़”पृष्ठ पर “असातिज़ा” में “मुसहफ़ी ग़ुलाम हमदानी” में ” दिल चीज़ क्या है चाहिए तो जान लीजिए ” खोलने पर ग़ज़ल मिलती है ” दिल चुराना ये काम है तेरा – ले गया है तो नाम है तेरा “. कृपया समन्वय बनाएँ. धन्यवाद.
शाज़ जहानी
पूरी ग़ज़ल मुहय्या कराने के लिए शुक्रिया.
शाज़
naveen bhai kya kahne …..zindaabaad