तुफैल साहब प्रेम प्रणाम इतनी बेहतरीन अदबी महफिल है कि फिर से इसे देखने और सुनने को जी चाहता है ।तारीफ के लिए कोई शब्द नहीं बन पा रहे हैं ज़हन में ढेरों बधाई सभी मित्रों के लिए हार्दिक
शुभकामनाएँ
गुरुदेव के निवास पर आनन-फानन में आयोजित की गई इस नशिस्त की यादें दर्ज़ हो कर रह गई हैं मानस पटल पर। रऊफ़ रज़ा साहब, मलिकजादा जावेद साहब और पवन कुमार जी को पहली बार सुना था इस नशिस्त के दौरान। इरशाद भाई के तितली वाले शेर पर की वाह-वाह के अलावा चौंकती निगाहों के साथ रऊफ़ साहब की ज़बान से निकला एकमात्र लफ़्ज़ ‘इन्क़लाब’ भी याद रहेगा हमेशा-हमेशा।
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तुफैल साहब प्रेम प्रणाम इतनी बेहतरीन अदबी महफिल है कि फिर से इसे देखने और सुनने को जी चाहता है ।तारीफ के लिए कोई शब्द नहीं बन पा रहे हैं ज़हन में ढेरों बधाई सभी मित्रों के लिए हार्दिक
शुभकामनाएँ
गुरुदेव के निवास पर आनन-फानन में आयोजित की गई इस नशिस्त की यादें दर्ज़ हो कर रह गई हैं मानस पटल पर। रऊफ़ रज़ा साहब, मलिकजादा जावेद साहब और पवन कुमार जी को पहली बार सुना था इस नशिस्त के दौरान। इरशाद भाई के तितली वाले शेर पर की वाह-वाह के अलावा चौंकती निगाहों के साथ रऊफ़ साहब की ज़बान से निकला एकमात्र लफ़्ज़ ‘इन्क़लाब’ भी याद रहेगा हमेशा-हमेशा।