T-21

T-21/44 ख़याल ही में हों लेकिन हों रास्ते रौशन-तुफ़ैल चतुर्वेदी

दोस्तो ! ढाई शेर जब ये मिसरा सूझा था तो इस ज़मीन को चैक करते वक़्त कह लिये थे. बाक़ी अभी हाथो-हाथ का काम है. जैसा बन पड़ा हाज़िर है. ख़याल ही में हों लेकिन हों रास्ते रौशन ‘क़लम संभाल अँधेरे को जो लिखे रौशन’ यही जगह है जहाँ यार आ के बैठते थे इसी […]

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T-21/43 बुझे हैं ऐसे कि हो कर भी नईं हुए रौशन-नवीन सी. चतुर्वेदी-3

बुझे हैं ऐसे कि हो कर भी नईं हुए रौशन न जाने किस के हुनर से चराग़ थे रौशन जो उस का काम है उस ने वही किया साहब बुझे हुओं को जला कर बुझा-दिये……. रौशन शबे-विसाल तो आँखों पे ख़्वाब हावी थे शबे-फ़िराक़ भी दीदे न हो सके रौशन किसी के दिल में जो […]

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T-21/42 जले दिये थे कि दुनिया ये हो सके रौशन-पवनेंद्र पवन

जले दिये थे कि दुनिया ये हो सके रौशन क्‍यों घर ये कुछ ही यहां फिर हैं हो सके रौशन मरी नहीं है अभी आस तेरे आने की अभी रखे हैं सभी घर के रास्‍ते रौशन हों फुलझड़ी की तरह मन में क़ाफ़िये रौशन तू साथ है तो हैं ग़ज़लों के क़ाफ़िले रौशन क्‍यों मुफ़लिसी […]

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T-21/41 जो अपना नाम किसी फ़न में कर गये रौशन-देवेंद्र गौतम

जो अपना नाम किसी फ़न में कर गये रौशन उन्हीं के नक़्शे-क़दम पर हैं क़ाफ़िले रौशन ये कैसे दौर से यारब गुज़र रहे हैं हम न आज चेहरों पे रौनक़ न आइने रौशन किसी वरक़ पे हमें कुछ नज़र न आयेगा किताबे-वक़्त में जब होंगे हाशिये रौशन हवेलियों पे तो सबकी निगाह रहती है किसी […]

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T-21/40 क़लम सभाल अँधेरे को जो लिखे रौशन-शाहिद हसन ‘शाहिद’-2

क़लम सभाल अँधेरे को जो लिखे रौशन तभी तो होंगे मुहब्बत के सिलसिले रौशन हम अपने बच्चों को नफरत से दूर ही रख्खें इन्ही को करने हैं कल देश के दिए रौशन हज़ार अपने मुक़द्दर से मैं लड़ा लॅकिन हुए न फिर भी ग़रीबी के हाशिये रौशन ये आज़मा चुके आपस में जंग कर के […]

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T-21/39 अगर निगाह के हो जायें ज़ाविये रौशन-शाहिद हसन ‘शाहिद’

अगर निगाह के हो जायें ज़ाविये रौशन नज़र हयात के आयेंगे दायरे रौशन बढो तो अज़्मे-सफ़र ले के जानिबे-मंजिल दिखायी देंगे तुम्हें अपने रास्ते रौशन इक उम्र इनके लिये ख़ूने-दिल जलाया है ग़ज़ल के क़ाफ़िये यूँ ही नहीं हुए रौशन किसी की जलवानुमाई का मोजज़ा कहिये दिखायी देते हैं ज़र्रे भी चाँद से रौशन रविश […]

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T-21/38 जो दिल के ताक़ पे रक्खे हैं कुछ दिये रौशन-आलोक मिश्रा

जो दिल के ताक़ पे रक्खे हैं कुछ दिये रौशन उन्हीं से हैं मिरी साँसों के सिलसिले रौशन इक आफ़ताब का टुकड़ा था दिल हमारा कभी थे इसके नूर से हस्ती के दायरे रौशन बहुत अज़ीज़ मुझे है ये ख़स्तगी अपनी इसी सबब तो हुए मेरे मर्सिये रौशन अभी भी ख़ुद से मैं बातें तवील […]

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T-21/37 ज़बां रखेंगे जो सच बोल-बोल के रौशन-फ़ज़ले-अब्बास ‘सैफ़ी

ज़बां रखेंगे जो सच बोल-बोल के रौशन वो ले के जायेंगे मुंह रब के सामने रौशन पड़ी न हमको ज़रूरत कभी उजालों की सफ़र में इतने थे पैरों के आबले रौशन नमाज़ ने जो बनाया है तेरे माथे पर करेगा दाग़ वही क़ब्र में दिये रौशन सिवा अँधेरे के कुछ और जिन के पास नहीं […]

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T-21/36 हँसे जो लब तो सभी ज़ख़्म हो गए रौशन-मुमताज़ नाज़ां

हँसे जो लब तो सभी ज़ख़्म हो गए रौशन जला जो दिल तो हुए दिल के ग़मकदे रौशन जो ख़ुद को ढूंढा तो क्या क्या मिला बतायें क्या कि हम पे हो गये आलम के ज़ाविये रौशन मरो तो ऐसे कि जीने को रश्क आ जाये चलो तो ऐसे कि हो जायें आबले रौशन किए […]

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T-21/35 तू कह रहा है तिरे सब हैं ज़ाविए रौशन-द्विजेन्द्र द्विज

तू कह रहा है तिरे सब हैं ज़ाविए रौशन `क़लम सम्भाल अँधेरे को जो लिखे रौशन’ चमक-दमक में तू बीनाई बख़्शना मौला हर एक गाम पे मिलते हैं आइने रौशन वगरना इनको अँधेरा निगल चुका होता हमारे अज़्म ने रक्खे हैं हौसले रौशन बहुत सँभाल के रखता हूँ अपने अश्कों को ये मेरी आँखों में […]

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T-21/34 तुम्हारी ज़ात से निकले जो ज़ाविये रौशन-नाज़िम नक़वी

तुम्हारी ज़ात से निकले जो ज़ाविये रौशन मिरे ख़याल के सारे तबक़ हुए रौशन किसी ने उसको तजल्ली किसी ने बर्क़ कहा वो रौशनी के मुक़ाबिल जो हो गये रौशन अता हो मेरे क़लम को तुम्हारे नाम के साथ वो रौशनाई जो करती हो हाशिये रौशन वो रौशनी को अंधेरा लिखे तो फ़िक्र न कर […]

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T-21/33 जो कोहे-नूर की मानिंद हो दिखे रौशन-नूरुद्दीन ‘नूर’

जो कोहे-नूर की मानिंद हो दिखे रौशन “क़लम संभाल अँधेरे को जो लिखे रौशन जहाँ में अहले-जुनूं के ही दम से बाक़ी है वफ़ा, ख़ुलूसो-मुहब्बत के सिलसिले रौशन हनोज़ दर्द के धीमे चराग़ जलते हैं तसव्वुरात में अब तक हैं रतजगे रौशन हमारे अहद की आँखों से हो गए ओझल मुहब्बतों के वो रंगीन क़ुमक़ुमे […]

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T-21/32 उमीद सुब्ह से थी होंगे रास्ते रौशन-बकुल देव

उमीद सुब्ह से थी होंगे रास्ते रौशन सहर ने सिर्फ़ अंधरे मगर किये रौशन वो इतने ध्यान से सुनता है दास्ताँ मेरी कि होने लगते हैं किरदार अनकहे रौशन तमाम गर्दे-सफ़र तो मैं साथ ले आया हुए तो होंगे मिरे बाद क़ाफ़िले रौशन चमकती धूप है, शायद नज़र न आयें तुम्हें ग़मों की धुंध में […]

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T-21/31 तुम्हारी याद के होते हैं जब दिये रौशन-डॉक्टर मुहम्मद आज़म

तुम्हारी याद के होते हैं जब दिये रौशन तभी ग़ज़ल के भी होते हैं मोजज़े रौशन अगरचे बज़्म में हर सू थे क़ुमकुमे रौशन तुम्हारे आने से ये और हो गये रौशन ये कौन गुज़रा है नक़्शे-क़दम हैं ये किस के महक रही है हवा भी, हैं रास्ते रौशन ज़िया में उनकी ही नाम आप […]

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T-21/30 चमकते चाँद के जैसी ये बात है रौशन-समर कबीर-2

चमकते चाँद के जैसी ये बात है रौशन हमारी आँखों से होते हैं आइने रौशन यही हुनर है हमारा, ज़माना जानता है जो हमने लिख दिये वह नाम हो गये रौशन अजीब खौफ़ का आलम है सारी बस्ती में न है घरों में उजाला न रास्ते रौशन जो तुम नहीं थे तो वीरां था क़स्रे–दिल […]

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T-21/29 किया है नाम वो मज़हब का आपने रौशन-आयुष शर्मा ‘चराग़’

किया है नाम वो मज़हब का आपने रौशन लहूलुहान नज़ारों को देखिये रौशन यही मशाल तो दुनिया को चाहिये रौशन ‘क़लम संभाल अंधेरों को जो लिखे रौशन’ मिरे क़रीब से गुज़रे हैं आज वो शायद कि ज़ख़्म दिल के मुझे आज फिर लगे रौशन महक रहीं हैं शबे-हिज्र में तिरी यादें निकल रहे हैं मुहर्रम में […]

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T-21/28 न रौशनी थी क़लम में न लफ़्ज़ थे रौशन-आदिक भारती

न रौशनी थी क़लम में न लफ़्ज़ थे रौशन बग़ैर फ़िक्र भला शेर कब हुए रौशन ख़ुदा ही जाने ये कब सच को सच दिखायेंगे ख़ुदा ही जाने कि कब होंगे आइने रौशन तिरे ख़याल हैं या लपलपाते शोले हैं कि फिर से बुझते हुए ज़ख़्म हो उठे रौशन मिली है उसको ही मंज़िल जो […]

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T-21/27 दिये ख़ुलूस के जब हमने कर दिये रौशन-‘शरीफ़’ अंसारी

दिये ख़ुलूस के जब हमने कर दिये रौशन तो हो गये हैं दिलो-जां के हाशिये रौशन बहुत हसीन है ये तर्ज़े-ज़िन्दगी लेकिन हुए न फिर भी मुहब्बत के दायरे रौशन मिरी निगाह में रंगत तिरी निगाह की है मिरा ख़याल है तेरे ख़याल से रौशन अब इससे क्या कि ग़रीबों के घर चराग़ नहीं घर-आँगन […]

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T-21/26 हमारी फ़िक्र के होते हैं जब दिये रौशन-‘शफ़ीक़’ रायपुरी

हमारी फ़िक्र के होते हैं जब दिये रौशन तो होने लगते हैं ग़ज़लों के सिलसिले रौशन मिरे रसूल का साया तलाश कर न सके ये आफ़ताब, सितारे, क़मर, दिये रौशन यही तो बात उसे नागवार लगती है मिरा चराग़ है तूफ़ाँ के सामने रौशन ख़मोशियों के अंधेरों में थे उयूब निहां खुले जो लब तो […]

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T-21/25 -हमारी चाप से क्यों छुप रहे हो चाँद मियाँ …मयंक अवस्थी

जभी तो सच के हैं सदियों से हौसले रौशन कोई फ़कीर कभी दार पर हुये रौशन उदास रात के दामन मे कहकशां बनकर फलक के ज़ख्म सियाही मे हो गये रौशन शबे सफर को उमीदो की रौशनी ही बहुत “कलम संभाल अँधेरे को जो लिखे रौशन” हरिक चराग के नीचे है तीरगी लेकिन गमे –हयात […]

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T-21/24 ज़माना कर ले अगर चाहे सौ दिये रौशन-अहमद ‘सोज़’-2

ज़माना कर ले अगर चाहे सौ दिये रौशन मिरी हयात मगर आपसे रहे रौशन तुम्हारे आने से घर में बहार आयी है तुम्हारे आने से बुझते दिये हुए रौशन इन्हीं से फैलती है रौशनी मुहब्बत की चराग़ प्यार के होंठों पे कीजिये रौशन चलो कि हम भी नए युग का अब करें स्वागत चलो कि […]

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T-21/23 मुझे भी करने है जज़्बों के क़ुमक़ुमे रौशन-अहमद ‘सोज़’-1

मुझे भी करने है जज़्बों के क़ुमक़ुमे रौशन मैं करने आया हूँ मंज़र निगाह के रौशन उस एक लम्हे का कब से है इंतज़ार मुझे वो एक लम्हा जो दुनिया मिरी करे रौशन भटक रही है अंधेरों में ज़िन्दगी मेरी तिरे बग़ैर तो रस्ते न हो सके रौशन क़रीब पहुंचा जब उनके बहुत अँधेरा था […]

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T-21/22 तरह ने दिल में किये कितने क़ुमक़ुमे रौशन-अब्दुल अहद ‘साज़’

तरह ने दिल में किये कितने क़ुमक़ुमे रौशन ज़हे-रदीफ़ हुए सारे क़ाफ़िये रौशन अजीब कर्ब है ख़िलवत में उनका जल-बुझना ये अंजुमन में जो चेहरे हैं चाँद से रौशन उजाल पाये न हम गो अँधेरे काग़ज़ को क़लम की नोक से जुगनू तो कर गये रौशन क़िताबंद शेर— तिरे बदन पे शिकन-दर-शिकन थे पैराहन हरिक […]

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T-21/21 जहाँ पे होने थे बच्चों के क़हक़हे रौशन-भुवन निस्तेज नेपाली

जहाँ पे होने थे बच्चों के क़हक़हे रौशन वहां पे किसने किये हैं ये मर्सिये रौशन चराग़ उसने किये हैं नपे-तुले रौशन मजाल क्या है कि हो जायें हाशिये रौशन फ़लक पे चाँद-सितारे न हो भले रौशन ‘कलम संभाल अँधेरे को जो लिखे रौशन’ मैं हल अँधेरे में ही ढूँढ लूँ मगर फिर भी मिरे […]

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T-21/20 हवा के चेहरे पे छींटे हैं ख़ून के रौशन-सौरभ शेखर

हवा के चेहरे पे छींटे हैं ख़ून के रौशन हवा चबाती हुई आयी है दिये रौशन वहां तो नूर निगाहों का काम आता है किसे मिले हैं भला बन के रास्ते रौशन हमारे क़ुर्ब से ऐ जलने वाले ख़ुश हो जा हमारे बीच के हैं देख फ़ासले रौशन कमाल ये है कि सालिम नहीं अँधेरा […]

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T-21/19 जला के खुद को जो करते हैं रास्ते रौशन-पवन कुमार

जला के खुद को जो करते हैं रास्ते रौशन उन्ही के नाम ही तारीख़ ने किये रौशन किये हैं किसने अदब में ये क़ायदे रौशन ‘क़लम संभाल अंधेरों को जो लिखे रौशन वो चाँदनी का बदन है कि धूप का चेहरा कि उसको देख के होते हैं आइने रौशन तुम्हारे नाम का उन्वान मिल गया […]

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T-21/18 वफ़ा के गांव का हर रास्‍ता दिखे रौशन-मनोज अबोध

वफ़ा के गांव का हर रास्‍ता दिखे रौशन न डर हवाओं से, कर डाल सब दिए रौशन ग़ज़ल में दर्द ह्रदय का उड़ेल दे सारा रदीफ़ बोल उठे वाह, क़ाफ़िये रौशन ज़माना याद करेगा उसी को सदियों तक लहू जला के किए जिसने ज़ाविये रौशन तमाम रात चले क़ाफ़िले मुहब्‍बत के मगर नसीब कहां ख़ाब […]

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T-21/17 फ़लक ने रोज़ किये अनगिनत दिये रौशन-असरार उल हक़ ‘असरार’

फ़लक ने रोज़ किये अनगिनत दिये रौशन मुक़द्दरों के अँधेरे न हो सके रौशन अगर पढ़ें भी तो कैसे पढ़ें किताबे-हयात इबारतों में चमक है न हाशिये रौशन वो कैसे लोग थे जो ग़र्क़े-तीरगी हो कर हज़ारों राहगुज़र दिल की कर गये रौशन दिलों के ज़ख़्म ही शायद दिलों की ज़ीनत हैं बग़ैर अक्स न […]

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T-21/16 तिरे ही नूर से धरती प हैं दिये रौशन-अभय कुमार ‘अभय’

तिरे ही नूर से धरती प हैं दिये रौशन तिरे ही नूर से शम्सो-क़मर हुए रौशन हुए हयात के कब सारे ज़ाविये रौशन कि रात-दिन के हुए जैसे सिलसिले रौशन अजीब शख़्स से पाला पड़ा है क्या कीजे कि उसका क़ुर्ब ही रौशन न फ़ासले रौशन मसर्रतों के उजाले न रास आये तो क्या हुजूमे-ग़म […]

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T-21/15 हुए अतीत में हर वक़्त, हादिसे रौशन-इमरान हुसैन ‘आज़ाद’

हुए अतीत में हर वक़्त, हादिसे रौशन रहे लबों पे मिरे, फिरभी क़हक़हे रौशन समझ रहा था जिसे कल तलक, कि है दुश्मन उसी हवा ने किये हैं, मिरे दिये रौशन तिरी जफ़ा तो यक़ीनन, बुझा चुकी होती मिरे ये शेर जो करते नहीं, मुझे रौशन भटक गया हूँ मैं, नफ़रत की अंधी गलियों में […]

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T-21/14 दियों की तरह हैं पैरों के आबले रौशन-ख़ुरशीद खैराड़ी

दियों की तरह हैं पैरों के आबले रौशन किये हैं हमने अंधेरों में रास्ते रौशन बहाया खून अबोधों का बासबब तुमने हुए हैं दीन के नापाक फ़लसफ़े रौशन मेरी हयात अवध की गली हुई यारों हर एक ज़र्रा जहाँ राम नाम से रौशन बुझे बुझे थे उमंगों के आशियाने सब जमाल से तेरे ग़ुरबतकदे हुए रौशन […]

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T-21/13 वही अंधेरों की हद है, वही दिये रौशन-सलीम ख़ान

वही अंधेरों की हद है, वही दिये रौशन तो आओ दिल को जलाओ कि हो सके रौशन अभी ये रात के दरिया में गहरे डूबेंगे अभी चिराग़ हुए हैं नये-नये रौशन तरक़्क़ियों ने चराग़ां बहुत किया लेकिन अभी भी हो न सके कितने ज़ाविये रौशन बहुत है धुंध मगर इस उमीद पर मैं चला कि चलते-चलते […]

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T-21/12 सियाह कर गया वो मेरे रास्ते, रौशन-पूजा भाटिया

सियाह कर गया वो मेरे रास्ते, रौशन किये थे जिसके लिये मैंने आबले रौशन गुज़र गये वो गली से झलक दिखाते हुए बस एक पल में हुए कितने वसवसे रौशन वो ख़्वाब बन के हैं आये खुली निगाहों में है मोजिज़े से इसी मेरे रतजगे रौशन ग़ज़ल में क्या कोई जुगनू बुने हैं तुमने, हाँ […]

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T-21/11-2 भटक न जाये कहीं और ये दिले-रौशन-नवीन सी. चतुर्वेदी

भटक न जाये कहीं और ये दिले-रौशन ज़रा इधर भी नज़र डाल मञ्ज़िले-रौशन सियाह-शब में सफ़ीने कहाँ-कहाँ भटके ये जानता ही कहाँ है वो साहिले-रौशन उजास भरते हैं लम्हों में फ़ैसले इस के तभी तो वक़्त को कहते हैं आदिले-रौशन तमाम उम्र सियापों से क्यों उजाली जाय जहाँ में और भी तो हैं मसाइले-रौशन हमें […]

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T-21/10 ज़माने ठीक है इनसे बहुत हुए रौशन-दिनेश नायडू

ज़माने ठीक है इनसे बहुत हुए रौशन मगर चराग़ कहां ख़ुद को कर सके रौशन ? सभी के ज़ह्न में उसका ख़याल रहता है उस एक नूर से है कितने आईने रौशन अभी तो हमको कई रोज़ जगमगाना है हमीं है दश्त में इक आख़िरी दिए रौशन मुहर्रिर और हैं पर दिल सा कोई होगा […]

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T-21/9 बस इक चराग़ सही, ख़ुद कभी करे रौशन-शाज़ जहानी

बस इक चराग़ सही, ख़ुद कभी करे रौशन जो चाहता है मिलें उस को रास्ते रौशन कहो न उस को सहाफ़त , वो बस तिजारत है ”क़लम सम्हाल अन्धेरे को जो लिखे रौशन” तिलिस्मख़ेज़ हैं दीवाने-मीर के सफ़्हे सुख़न के नूर से रहते हैं हाशिये रौशन गुज़ार देते हैं बेदार रात दानिस्ता तिरे ख़याल से […]

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T-21/8 सवाल दिल के इसी बात पर रखे रौशन-प्रखर मालवीय ‘कान्हा’

सवाल दिल के इसी बात पर रखे रौशन कभी तो होंगे जवाबों के सिलसिले रौशन कभी जो लौट के आयेंगे वो मिरी जानिब चराग़ मुंतज़िर आँखों के पायेंगे रौशन सभी की शक्ल चमकदार ही नज़र आये रखो न शह्र में इतने भी आइने रौशन कहो सुनो भी किसी रात अपनी-मेरी बात करो कभी तो हमारे […]

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T-21/7 पुकारती है मुझे दिल की वादी-ए-रौशन-स्वप्निल तिवारी

पुकारती है मुझे दिल की वादी-ए-रौशन सदा भी वो है कि रखती है रतजगे रौशन दयारे-हिज्र को छू कर भी कुछ गुज़रती है तिरे विसाल की वो एक वुसअते-रौशन मुझे ही देखेगी दुनिया ये एकटक इक दिन झपक-झपक के पलक होंगे कैमरे रौशन कोई तो होगा तेरे बाद लौ ख़ुशी की लिए तिरे बग़ैर भी […]

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T-21/6 तमाम ज़ह्न हैं उन के जमाल से रौशन-नवीन सी चतुर्वेदी

तमाम ज़ह्न हैं उन के जमाल से रौशन धुनें जो फ़िल्म जगत को सुना गये रौशन किसी धुनों के पुजारी से पूछिये साहब ऋतिक बता न सकेंगे कि कौन थे रौशन मुझे भी याद नहीं सब की सब धुनें उनकी बस इतना याद है गीतों की शान थे रौशन कई अदीबों को मौक़े दिये, निखारा […]

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T-21/5 सुनो! हमीं ने किये इश्क़ के दिये रौशन-इरशाद ख़ान “सिकंदर”

सुनो! हमीं ने किये इश्क़ के दिये रौशन ये और बात है उस वक़्त ख़ुद भी थे रौशन तुम्हारा अक्स भी अम्बर पे रक़्स करता है हमारे अश्क भी होते हैं दिन ढले रौशन तुम्हारे क़ह्र से लेकर हमारे सब्र तलक ग़ज़ल में हो गये पहलू कुछ अनछुये रौशन खुली जो आंख तो काली उदास […]

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T-21/4 कलम सँभाल अँधेरे को जो लिखे रौशन-चंद्रभान भारद्वाज

कलम सँभाल अँधेरे को जो लिखे रौशन कलम मशाल बना राह जो करे रौशन घने अँधेरे में रहकर भी जो बने रौशन उन्हीं के दम से ही दुनिया की छवि लगे रौशन करो वो काम कि सदियों तलक रहे रौशन तुम्हारा नाम ज़माना सदा रखे रौशन पड़ें कदम तो ज़माने को राह बन जाये पड़े […]

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T-21/3 इबारतें सभी रौशन हैं हाशिये रौशन-शमीम अब्बास

इबारतें सभी रौशन हैं हाशिये रौशन हैं हर्फ़-हर्फ़ तिरे-मेरे तज़किरे रौशन चमक-दमक वो बदन की कि आँखें चुंधिया जांय तमाम दायरे, हर एक ज़ाविये रौशन उमीदें अब भी दिले-नाउमीद में, गोया हों दूर-दूर बड़ी दूर क़ुमक़ुमे रौशन तिरा न होना सबब मेरी शब-बेदारी का तिरे ही होने से होते हैं रतजगे रौशन नसीब कैसा ? […]

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T-21/2 हयात जब से हुई मेरी इल्म से रौशन-समर कबीर

हयात जब से हुई मेरी इल्म से रौशन हवा के सामने मेरा चराग़ है रौशन जब आँखें हो गयीं मानूस इन अंधेरों से हमारी राह में किसने किये दिये रौशन सज़ा मिली है कि बस्ती में रह नहीं सकता क़ुसूर ये था कि मेरे ख़याल थे रौशन यही अमल है हर इक रात हम फ़क़ीरों […]

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तरही-21/1 हुए हैं फिर से अंधेरों के हौसले रौशन-नवनीत शर्मा

हुए हैं फिर से अंधेरों के हौसले रौशन ‘क़लम संभाल अंधेरे को जो लिखे रौशन’ ये सूखी झीलें थीं इनमें कहाँ से आई बाढ़ हमारी आंखों में हैं किसके तजरुबे रौशन ये और बात हवा ने बुझा दिए काफ़ी तुम्‍हारी याद के लेकिन हैं कुछ दिये रौशन तुम्हें चमकना है तो लिक्खो हमको सफ़हों पर […]

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