T-23

T-23/39 इक चीख़ सी गले में दबाई हुई तो है-शबाब मेरठी

इक चीख़ सी गले में दबाई हुई तो है आँखों में फिर भी नींद समाई हुई तो है हर रात मेरी तुमसे लड़ाई हुई तो है फिर भी फटे दिलों की सिलाई हुई तो है कब जानिए ये सब्र में ढल जाय दोस्तो अब भी उमीद दिल ने बनाई हुई तो है राजा किसी के […]

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T-23/38 फिर हो न इश्क़ ऐसी दवाई हुई तो है-‘आतिश’ इंदौरी

फिर हो न इश्क़ ऐसी दवाई हुई तो है इस बार इतनी कस के पिटाई हुई तो है नामो-निशाँ बचा न ग़रीबों का कुछ यहाँ बस्ती की अच्छी तरह सफ़ाई हुई तो है दुश्मन भला मिला है मुझे शुक्र है तिरा दुश्मन ने अपनी ज़ात बताई हुई तो है नेता जी अबकी बार ग़रीबी हटायेंगे […]

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T-23/37 कुछ दूर ख़ाक अपनी उड़ाई हुई तो है-मनोज मित्तल कैफ़

कुछ दूर ख़ाक अपनी उड़ाई हुई तो है यूं आसमां प अपनी रसाई हुई तो है रोती है हिज्रे-यार में मासूम सी ग़ज़ल ये डोमनी ‘असद’ की सताई हुई तो है आईना लाख सच की दुहाई दिया करे अशराफ़ की नज़र में बुराई हुई तो है उसकी हंसी गुलाब-सिफ़त दिन को कर गई उसके बदन […]

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T-23/35 हमने नज़र किसी से मिलाई हुई तो है-शाहिद हसन ‘शाहिद’

हमने नज़र किसी से मिलाई हुई तो है इक आग अपने दिल में लगाई हुई है सच बोलने का पुख़्ता अहद जब से कर लिया अल्लाह तक हमारी रसाई हुई तो है होता है मेरे दर्द का कब देखिये इलाज उम्मीद उसके दर से लगाई हुई तो है अपनी तबाहियों के हैं हम ख़ुद ही […]

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T-23/34 नासिर अली ‘नासिर’-इल्मो-हुनर की ज़ौ में नहाई हुई तो है

इल्मो-हुनर की ज़ौ में नहाई हुई तो है संजीदगी हयात पे छाई हुई तो है आई है आन-बान से क्या ब्याह की घड़ी बेटी हमारी आज पराई हुई तो है इस वास्ते तुम्हारी हवेली है शानदार बेजा कमाइयों से कमाई हुई तो है इंसानियत तभी तो जहाँ में है मुहतरम धर्मों की रौशनी में नहाई […]

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T-23/33 इस रंग में भी अपनी सफ़ाई हुई तो है-‘काविश’ हैदरी

इस रंग में भी अपनी सफ़ाई हुई तो है ये ज़िन्दगी लहू में नहाईं हुई तो है जिस आग में झुलसता है ख़ुद आप का यक़ीं वो आग आप ही की लगाई हुई तो है परदे में लाख छुपिये प तस्वीर आपकी ख़ाबो-ख़याल में सही आई हुई तो है भटके जो कोरचश्म कोई मेरा क्या […]

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T-23/32 धडकन में उसकी याद सजाई हुई तो है-सीमा शर्मा

धडकन में उसकी याद सजाई हुई तो है चिंगारी जैसे कोई दबाई हुई तो है दरिया में हूँ गिरी मिला तिनके का आसरा फिर आस ज़िन्दगी की लगाई हुई तो है जाने कहाँ है सोया मुक़द्दर ग़रीब का आवाज़ उसको हमने लगाई हुई तो है मुरझा रहे हैं फूल हवा की तलाश में टहनी ख़ुशी […]

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T-23/31ये रात रफ़्ता-रफ़्ता हिनाई हुई तो है-बकुल देव

ये रात रफ़्ता-रफ़्ता हिनाई हुई तो है यानी सहर की रस्म-अदाई हुई तो है इक अक्स था यहीं जहां दिखता है आर-पार यूं आइने में अपनी रसाई हुई तो है मुमकिन है नाव ख़ुद ही किनारे से जा लगे नद्दी अभी उफान पे आई हुई तो है फिर इक नयी उमीद के झांसे में आ […]

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T-23/30 माना ये रात उसने बनाई हुई तो है-नवनीत शर्मा

माना ये रात उसने बनाई हुई तो है पर सुब्ह भी उसी की सजाई हुई तो है सीवन उधड़ न जाए यही ख़ौफ़ है मुझे कुछ ख़ाहिशों की ख़ूब सिलाई हुई तो है जो मुझ में रह रहा है उसे उससे मांगना ? गंगा उलट ये मैंने बहाई हुई तो है कट-कट के आंसुओं में […]

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T-23/29 अब जैसे भी हुई हो भलाई हुई तो है-नवीन सी. चतुर्वेदी

अब जैसे भी हुई हो भलाई हुई तो है नाकामियों ने राह दिखाई हुई तो है मौक़ा नहीं मिला है ये किस तर्ह बोल दें बन्जर ज़मीन हिस्से में आई हुई तो है इस बार बात बनने के इमकान1 हैं बहुत ग़म के सिवा ख़लिश भी सवाई हुई तो है यूँ ही तुम्हारे शेरों का […]

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T-23/28 ऊंचाई आसमां ने बढ़ाई हुई तो है-सलीम सरमद

ऊंचाई आसमां ने बढ़ाई हुई तो है पर ये भी सच है मेरी रसाई हुई तो है यूँ तो किसी पे शक नहीं है पर ख़याल है बस्ती जली है आग लगाई हुई क्या तुमको दिखती ही नहीं लाशें हैं शह्र में हमला हुआ है इस प चढ़ाई हुई तो है बीमारियां तो जिस्म के […]

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T-23/27 वो मुझको देख-देख लजाई हुई तो है -अहमद ‘सोज़’

वो मुझको देख-देख लजाई हुई तो है थोड़ी सी मेरी आज कमाई हुई तो है अब देखना है आसमां छूती है या नहीं मैंने पतंग अपनी उड़ाई हुई तो है वैसे तो आंसुओं ने गिले शिकवे धो दिए आगे तो रब ही जाने सफ़ाई हुई तो है कुछ हल ज़रूर निकलेगा नफ्रो-निफ़ाक़ का बैठक महब्बतों […]

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T-23/26 उसने निगाह हमसे बचाई हुई तो है-गोविन्द गुलशन

उसने निगाह हमसे बचाई हुई तो है हमने भी एक आस लगाई हुई तो है अब क्या पता कि आग उगलने लगे ये प्यास आँखों से वैसे प्यास बुझाई हुई तो है आँखें सूना रही हैं ख़ुमारी की दास्तान लगता है ये भी रात पराई हुई तो है आई है किसके साथ यही देखना है […]

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T-23/25 ये आग तीरगी की लगाई हुई तो है-पूजा भाटिया

ये आग तीरगी की लगाई हुई तो है उसकी भी रौशनी से लड़ाई हुई तो है सारे निशाँ रफ़ू के गवाहों में हैं शुमार “ये ज़ख़्मे-दिल है इसकी दवाई हुई तो है” इस बात का सुकूँ है कि तन्हा नहीं हूँ मैं शब की ही ये सहर भी सताई हुई तो है आंधी पे एतमाद […]

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T-23/24 उम्मीद की अलख सी जगाई हुई तो है-इरशाद ख़ान सिकन्दर

उम्मीद की अलख सी जगाई हुई तो है दुनिया की साख हमने बचाई हुई तो है यूँ दश्त-दश्त ख़ाक उड़ाते हो किस लिये हमने भी चोट इश्क़ में खाई हुई तो है मुमकिन है इस ज़मीन में ग़ज़लों के गुल खिलें तरतीब से ग़मों की बुआई हुई तो है सूखा पड़ा हुआ था यहाँ अब […]

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T-23/23 चश्मे-करम अब उसकी ऐ भाई हुई तो है-शफ़ीक़ रायपुरी

चश्मे-करम अब उसकी ऐ भाई हुई तो है मुश्किल मिरी पहाड़ से राई हुई तो है चारागरों ने आस जगाई हुई तो है ‘ये ज़ख़्मे-दिल है इसकी दवाई हुई तो है’ अब टूटता है देखिये किस-किस का ऐतबार अफ़वाह दुश्मनों ने उड़ाई हुई तो है करता है बात-बात पे बेबात की वो बात कुछ बात […]

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T-23/22 अच्छा है ये मुहिम भी चलाई हुई तो है-सुख़नवर हुसैन रायपुरी

अच्छा है ये मुहिम भी चलाई हुई तो है थोड़ी बहुत वतन की सफ़ाई हुई तो है बेवज्ह क्यों करेगी कोई बेटी ख़ुदकुशी लगता है वो किसी की सताई हुई तो है आती है याद उनकी तो उठता है दर्द क्यों ‘ये ज़ख़्मे-दिल है इसकी दवाई हुई तो है’ ऐसा नहीं कि इश्क़ में हर […]

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T-23/7- A उर्दू ग़ज़ल में जान सी आई हुई तो है-शरीफ अंसारी

आज सुब्ह का पहला तुहफ़ा। हज़रात आप जैसे कहने वालों के कारण हमारी भी इज़्ज़त हो रही है। शरीफ अंसारी साहब ने ताज़ा शेर इनायत फ़रमाया। ऐ लफ़्ज़ तेरे रब्तो-तअल्लुक़ से आज कल उर्दू ग़ज़ल में जान सी आई हुई तो है शरीफ अंसारी 09827965460

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T-23/21 हुस्न तेरी जलवानुमाई हुई तो है-शाहिद हसन ‘शाहिद’

ए हुस्न तेरी जलवानुमाई हुई तो है चलिए हमारे दुःख की दवाई हुई तो है लैला जिसे मिली वो यहाँ क़ैस हो गया सहरा में ख़ाक सबने उड़ाई हुई तो है दर्दे-ग़मे-फ़िराक बता और क्या करूँ बज़्मे-ख़याले-यार सजाई हुई तो है पीने शराब मैकदा जाऊं मैं किस लिए उसने मुझे नज़र से पिलाई हुई तो […]

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T-23/20 टाँके लगा-लगा के सिलाई हुई तो है-दीपक रूहानी

टाँके लगा-लगा के सिलाई हुई तो है ”ये ज़ख्मे-दिल है इसकी दवाई हुई तो है” हैरत में आप क्यूँ हैं ख़बर सुनके इस क़दर अफ़वाह आप ही की उड़ाई हुई तो है कैसे तेरी हथेली पे सुर्ख़ी न आ सकी ये ख़ूने-दिल से मेरे हिनाई हुई तो है चेहरे पे आ न पाया जवानी का […]

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T-23/19 तुहमत हमारे सर पे भी आई हुई तो है-फ़ज़ले-अब्बास सैफ़ी

तुहमत हमारे सर पे भी आई हुई तो है सौदे में इश्क़ के ये कमाई हुई तो है बच्चे को रोता देख के हमने हँसा दिया छोटी सी ही सही ये भलाई हुई तो है टूटा कहाँ है आज भी यादों का सिलसिला ये मानता हूँ उनसे जुदाई हुई तो है छुपने का शौक़ हैं […]

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T-23/18 कुछ उन तलक हमारी रसाई हुई तो है-आलोक मिश्रा

कुछ उन तलक हमारी रसाई हुई तो है खुशबू सी इक जवाब में आई हुई तो है क्यों दिल डरा हुआ है यूँ इक शब के ख़ौफ़ से पहले भी मैंने शब ये बिताई हुई तो है आँखों में एक धुंध सी रहती है क्यों सदा आँधी वो अब भी दिल में समाई हुई तो […]

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T-23/17 वहशत हमें भी दश्त में लाई हुई तो है-डॉ मुहम्मद ‘आज़म’

वहशत हमें भी दश्त में लाई हुई तो है ये और बात जां पे बन आई हुई तो है रूदादे-ग़म सुनाने की ज़िद कर रहे हो फिर पहले भी बारहा ये सुनाई हुई तो है इस की मुनासिबत से ही अब देखना है ख़्वाब ताबीरे-ख़्वाब हम ने बनाई हुई तो है इस को जला न […]

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T-23/16 हम से हमेशा एक बुराई हुई तो है-नाज़िम नक़वी

हम से हमेशा एक बुराई हुई तो है दुनिया मिली है जब भी लड़ाई हुई तो है इतने हसीन चेहरे कहां होते हैं मियां तस्वीर थोड़ी तेरी बनाई हुई तो है अब चाहे जो भी बोले अदालत का फ़ैसला ये आग दोस्तों की लगाई हुई तो है हालांकि अपने हाथ में परचम है अम्न का […]

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T-23/15 बदली ग़मों की ज़ेह्न पे छाई हुई तो है-इमरान हुसैन ‘आज़ाद’

बदली ग़मों की ज़ेह्न पे छाई हुई तो है फिर भी ये बात हमने छुपाई हुई तो है सच के लिए लड़े थे हमीं, क्या मिला हमें चुप रह के उसने जान बचाई हुई तो है क्यों चुभ रही है जिस्म को तन्हाइयों की रात बिस्तर पे तेरी याद बिछाई हुई तो है मुमकिन है […]

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T-23/9 हर शय में उनकी याद समाई हुई तो है-मुनव्वर अली ‘ताज’

हर शय में उनकी याद समाई हुई तो है अहले-नज़र की राहनुमाई हुई तो है उल्फ़त के आंसुओं से धुलाई हुई तो है ‘ये ज़ख़्मे-दिल है इसकी सफ़ाई हुई तो है’ आने से उनके आज पराई हुई तो है फ़ुर्क़त की ख़ैरियत से विदाई हुई तो है बैठो ज़रा सुकून से लफ़्ज़ों की छाँव में […]

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T-23/8 माना कि फ़िक्र तीन से ढाई हुई तो है-आयुष ‘चराग़

माना कि फ़िक्र तीन से ढाई हुई तो है लेकिन हमारी जान पे आई हुई तो है लोगों के कड़वे बोल हमें क्यों बुरे लगें हमने शिकस्त प्यार में खाई हुई तो है डरते हैं वाक़ई न कहीं सच हो ऐ ख़ुदा अफ़वाह शह्र भर ने उड़ाई हुई तो है आने से तेरी याद ज़रा […]

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T-23/7 दिल में किसी की याद समाई हुई तो है-शरीफ़ अंसारी

दिल में किसी की याद समाई हुई तो है आँखों में रुत बहार की आई हुई तो है यादे-हबीब इसमें समाई हुई तो है ‘ये ज़ख़्मे-दिल है इसकी दवाई हुई तो है’ ये देखना है कब वो निगाहे-करम करें फ़रियाद उनके दर पे लगाई हुई तो है लपटों में जिसकी जिस्मो-दिलो-जां जिगर जलें सीने में […]

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T-23/6 बेवज्ह दोस्तों से लडाई हुई तो है-नूरुद्दीन नूर

बेवज्ह दोस्तों से लडाई हुई तो है फिर से मुनाफ़िक़ों की बन आई हुई तो है अफ़सोस करने वालों में शामिल हैं सब के सब ये आग दोस्तों की लगाई हुई तो है तेज़ाब से हो या हो नमकपाशी से मगर ‘ये ज़ख्मे-दिल है इसकी दवाई हुई तो है’ अब देखना है खिलते हैं सेहरे […]

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T-23/5 अक्सर जहाँ में मेरी हँसाई हुई तो है-शाज़ जहानी

अक्सर जहाँ में मेरी हँसाई हुई तो है पर बात दिल की दिल में छुपाई हुई तो है अब सरगरां न होइए, मेरी खता नहीं तरकीब आपकी ही बताई हुई तो है सदशुक्र हाल क़ब्ल से बदतर है अब मिरा “ये ज़ख़्मे-दिल है इसकी दवाई हुई तो है” मंज़िल भी आ ही जाएगी उम्मीद थी […]

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T-23/4 रोटी की रेडियस जो तिहाई हुई तो है-धर्मेन्द्र कुमार सिंह

रोटी की रेडियस जो तिहाई हुई तो है पूंजी की ग्रोथ रेट सवाई हुई तो है ख़ुद का भी घर जल तो मियां चीख़ने लगे ये आग आप ही की लगाई हुई तो है बारिश के इंतज़ार में सदियाँ गुज़र गयीं महलों की नींव तक ये खुदाई हुई तो है ख़ाली भले हैं पेट मगर […]

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T-23/3 लोगों के दरमियान उड़ाई हुई तो है-शिज्जु शकूर

लोगों के दरमियान उड़ाई हुई तो है हाँ ये ख़बर जफ़ा की बनायीं हुई तो है हैं तेरे दिल में रश्को-हसद तो हुआ करें आख़िर ये आग तेरी लगाई हुई तो है सच ही कहा है अपने आज़र को देख कर “ये ज़ख़्मे-दिल है इसकी दवाई हुई तो है गलियों में ये पड़े हुए ख़ाशाक […]

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T-23/2 काली घटा नसीब पे छाई हुई तो है-दिनेश नायडू

काली घटा नसीब पे छाई हुई तो है यानी बहार ज़ख़्मों पे आई हुई तो है ख़ाहिश है तुम ही दश्त में हमको करो तलाश आवाज़ वैसे सबको लगाई हुई तो है तन्हाइयों में शाम बितानी है आज फिर सिगरट भी खैर हमने जलाई हुई तो है क्यों कह रहे हैं आपको हम भूल भी […]

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T-23/1 नेअमत ये हुस्ने-यार से पाई हुई तो है-‘समर कबीर’

नेअमत ये हुस्ने-यार से पाई हुई तो है देखो, बहार ज़ख़्मों पे आई हुई तो है अब देखिये नसीब से मिलता है क्या हमें महफ़िल में उनकी आज रसाई हुई तो है हैरतज़दा हैं किस लिये, पहचानते नहीं बस्ती ये आप ही की जलाई हुई तो है है आज तेरे पास ये दौलत जो बेशुमार […]

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T-23 मिसरा तरह-ये ज़ख़्मे-दिल है इसकी दवाई हुई तो है

साहिबो, तरही महफ़िल का मिसरा निकालने का समय आ गया है। दिल्ली में अरविन्द केजरीवाल, उनके वाचाल साथी योगेन्द्र यादव, प्रशांत भूषण, खामखा के आतंरिक लोकपाल रामदास जी घमासान के रण में जूझ रहे हैं। वहीँ से मुझे एक ज़मीन सूझी है।। मुझे लगता है आपको इस ज़मीन पर काम करने में मज़ा आएगा। ग़ज़लें पोस्ट […]

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