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T-33 तरही मिसरा- हमने ये दश्त पार करना था

हज़रात आदाब,

तुफ़ैल साहब ने बहुत यक़ीन के साथ लफ़्ज़ का काम मुझे सौंपा था..और इस बाबत आप सभी को इत्तिला भी कर दी गयी थी। मैं तबीयत नासाज़ रहने के बाइस पिछले तीन महीने बहुत परेशान रहा और लफ़्ज़ को बिल्कुल भी वक़्त न दे सका..सो तुफ़ैल साहब से और आप सभी से भी मुआफ़ी चाहता हूं।
मुझे इल्म है कि लफ़्ज़ की तरह का आप सभी बेसब्री से इंतज़ार करते हैं। तरह हर बार महीने की पहली तारीख़ को दी जाती है और 10 के बाद लफ़्ज पर पोस्ट की जाती हैं। चूंकि इस बार तरह 11 तारीख़ को दी जा रही है..तो अगले महीने की 10 तारीख़ तक ग़ज़लें पोस्ट की जाती रहेंगी.
आगे से लफ़्ज़ की तरह तय वक़्त पर आप सभी को मिलती रहेगी.

इस बार का तरही मिसरा है –

हमको ये दश्त पार करना था

फ़ाइलातुन मुफ़ाइलुन फ़ेलुन/फ़यलुन

2122 1212 22/112

रदीफ़ – करना था

क़वाफ़ी – सवार/ख़ार/प्यार/ग़ार

ग़ज़लों की पोस्टिंग 21 से शुरू करेंगे..और 10 मई तक पोस्टिंग होती रहेगी.

एक बार फिर आप सभी से मुआफ़ी.

आपका

मनोज मित्तल कैफ़

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3 comments on “T-33 तरही मिसरा- हमने ये दश्त पार करना था

  1. बहुत हमको इंतज़ार करना था
    खुद से भी तो यलगार करना था

    आदमकद भी हो आदमी इसलिए
    कोशिशें बेशुमार करना था

    जब भरोसा नहीं था उस पर भी
    त पहिले होशियार करना था

    चाँद पे पहुँचाना मगर सरल था
    ‘हमको ये दश्त पार करना था’

    साँस अटकी हुई है सीने में
    बस तिरा दीद यार करना था

  2. Dandpani nahak

  3. आप स्वस्थ हो गये,प्रसन्नता हुई ।

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