Hasya-Vyangya

भूगोल को समझना -ज्ञान चतुर्वेदी

भूगोल को समझना ज्ञान चतुर्वेदी भूगोल मुझे कभी समझ में नहीं आया। स्कूल में भूगोल को लेकर मेरा स्पष्ट दृष्टिकोण था कि भाड़ में जाने दो स्साले को। गाँव के हमारे स्कूल में नकल की उचित तथा लगभग विधि-सम्मत सुविधा थी तथा भूगोल वाले मास्साब दूर के रिश्ते में हमारे मामा लगते थे, सो भी […]

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गांधी के दिखाए पथ पर … अनुज खरे

एक नेता थे! बचपन से ही लाभ-हानि, जरा-मरण, यश-अपयश आदि की मुकम्मल दिव्य दृष्टि संपन्न। एक समस्या थी? अंग्रेजी में उनका हाथ तंग था। बड़ा परेशान रहते थे बेचारे। बचपन में उनकी परीक्षाओं में एक परचा आता था। अंग्रेजी का। उनकी रूह कांपती थी इससे। पास होने के लाले थे। एक बार उन्हें एक पुराने […]

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कबिरा घिरा बजार से

कबीरा घिरा बाज़ार से -कमलेश पाण्डेय मैं निहायत कंजूस, दकियानूस, पिछड़े खयालात का और इन ख़ूबियों की वज़्ह से एक जिद्दी, खड़ूस, नालायक और निकम्मा आदमी हूं। हाल के कुछ सालों में मुझे ये आईना मेरी अपनी ही श्रीमतीजी तक़रीबन रोज़ ही दिखाती रही हैं, हालांकि वो मेरी तारीफ़ में इनमें से एक दो लफ़्ज़ […]

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