T-14
T-14 तरही का समापन-तुफ़ैल चतुर्वेदी
साहिबो ! इस बार तरह का मिसरा निकालते हुए मैं ख़ासी उलझन में था. उलझन इस बात की थी कि कहीं ये मिसरा आप हज़रात को तंग तो नहीं करेगा. मगर आपने मेरा डर ग़लत साबित कर दिया. अच्छी-ख़ासी मुश्किल ज़मीन में 29-30 ग़ज़लें आना मज़ाक़ नहीं है. आप कहेंगे कि पोस्ट तो 26 हुई […]
T-14/26 वो चीख़ना सही था न ये ख़ामुशी सही-दिनेश कुमार स्वामी ‘शबाब’ मेरठी
वो चीख़ना सही था न ये ख़ामुशी सही रंजिश का मुझको राज़ बताओ सही-सही बजने लगा मैं साज़ की मानिंद ख़ाब में मिज़राब उसकी मुझसे बहुत दूर ही सही ताज़ा बनाये रक्खा है पानी ने आज भी चाहे हज़ारों साल पुरानी नदी सही इस बेचराग़ रात में रस्ते के वास्ते जो बिजलियाँ दिखायें वही रौशनी […]
T-14/25 तू कर ले संग वंग की बरसात ही सही-मयंक अवस्थी
तू कर ले संग वंग की बरसात ही सही पर टूटे आइने की हरिक बात थी सही जब मेरे चुटकुलों पे भी हँसता नहीं था तू क्यों मैने एक उम्र तिरी दोस्ती सही भगवान क्या खुदा से जुदा शै का नाम है ‘अच्छा ये आप समझे है अच्छा यही सही’ हम खुदकुशी की ताब जुटा […]
T-14/24 दो बोल, मीठे बोल बनावट के ही सही-फ़ज़ले-अब्बास सैफ़ी
दो बोल, मीठे बोल बनावट के ही सही मुझको अता हों फूल भले काग़ज़ी सही वादाख़िलाफ़ी करके ये उस शोख़ ने कहा इस बार ने सही तो चलो फिर कभी सही सौ मिन्नतों के बाद भी आया न बाम पर उम्मीद मेरी टूट गयी फिर रही-सही कांटे न बोये मैंने किसी की भी राह में […]
T-14/23 मैं हूँ इसी तलाश में अच्छी बुरी सही-प्रकाश सिंह ‘अर्श’
मैं हूँ इसी तलाश में अच्छी बुरी सही कोई ख़ुशी तो पास हो छोटी बड़ी सही कैसे कहूँ कि ख़ाब मयस्सर नहीं मुझे आँखें उधार ले न सकीं नींद ही सही इमकाने-हिज्र ले गया चेहरे की कुछ चमक वहशत की आंधियों ने उड़ायी रही सही तस्वीर तेरी छूने न दूँगा किसी को मैं हो चाहे […]
T-14/22 दीदार आज भी न हुआ, फिर कभी सही-आसिफ़ अमान
दीदार आज भी न हुआ, फिर कभी सही कुछ और दिन निगाह की आज़ुर्दगी सही उसकी अता थे घाव सो वो भी अज़ीज़ थे अब उसके हाथ ज़ख्म की चारागरी सही मतलब कि मेरी बात पे कुछ ग़ौर तो हुआ ‘अच्छा ये आप समझे हैं, अच्छा यही सही’ बाबे-अदब पे यह भी ग़नीमत ही जानिये […]
T-14/21 कुछ देर करके देखें चलो दिल्लगी सही-अहमद ‘सोज़’
कुछ देर करके देखें चलो दिल्लगी सही यारो के साथ आज ज़रा बरहमी सही मुद्दत के बाद आपने इक फ़ोन तो किया मुद्दत के बाद आपकी आवाज़ ही सही शिददत से आज आपकी याद आ रही है फिर आ जाइयेगा आज घड़ी दो घड़ी सही कुछ कीजिये ख़ुदारा मुहब्बत का वास्ता मिट जाय ने जहाँ […]
T-14/20 माना कि ज़िन्दगी है मिरी तीरगी सही-याक़ूब ‘आज़म’
माना कि ज़िन्दगी है मिरी तीरगी सही तुझको तो मिल रही है मगर रोशनी सही पाबन्द हूँ मैं आज भी अपने उसूल का माना कि तेरी ज़ात में बेगानगी सही मिल जायेगा मुझे भी मिरा हमसफ़र ज़रूर गर तुम नहीं तो और कोई अजनबी सही जब जब भी आइने से मुख़ातिब हुआ हूँ मैं उसने […]
T-14/19 कहते हैं कैसे लोग कि है ख़ुदकुशी सही-नवनीत शर्मा -2
कहते हैं कैसे लोग कि है ख़ुदकुशी सही हमने तमाम उम्र यही जिंदगी सही उससे कहा ग़लत जो बताये ग़ल़त-ग़लत उससे कहा सही जो बताये सही सही माज़ी की कील दिल से निकाली नहीं गयी अब और धंस गयी जो बची थी रही-सही लिपटे रहे हैं हमसे अंधेरे तो क्या हुआ चमकेंगे ख़ूब हम भी […]
T-14/18 क़िस्सा तमाम करते हैं चलिये यही सही-‘शफ़ीक़’ रायपुरी
क़िस्सा तमाम करते हैं चलिये यही सही अच्छी हमारी बात बुरी तो बुरी सही टूटी तो इस बहाने तिरी ख़ामुशी सही हिस्से में मेरे आयी गो दुशनाम ही सही हम दिन को रात, आम को इमली कहा करें तुम चाहते अगर हो यही तो यही सही मौजूद आप भी यहाँ तय्यार हम भी हैं लेना […]
T-14/17 बतला रहा हूँ यूं तो मैं सब कुछ सही सही-राजीव भरोल
बतला रहा हूँ यूं तो मैं सब कुछ सही सही तफ़सीले-वाक़यात मगर फिर कभी सही उसने कबूतरों को भी आज़ाद कर दिया ख़त की उमीद छोड़ दी मैंने रही सही वैसे तो कहने सुनने को कुछ भी नहीं मगर मिल ही गये हैं आज तो कुछ बात ही सही… उसके भी ज़ब्तो-सब्र का कुछ एहतराम […]
तरही-14/12 मतले में ईता की ख़ामी पर स्पष्टीकरण
राजीव भारोल जी ने नवनीत की ग़ज़ल के मतले पर सवाल किया है. नवनीत मेरे शागिर्द हैं सो उनकी कोई भी ग़लती मेरी ज़िम्मेदारी है इस लिये जवाब देना मेरे लिये फ़र्ज़ है. उनका मतला है ज़ख्मों का सिलसिला ही सही दर्द ही सही ये ज़िन्दगी अगर है चलो फिर यही सही राजीव जी का […]
T-14/15 ये नुक़्स मेरे जेह्न में पैदाइशी सही-राजमोहन चौहान
ये नुक़्स मेरे जेह्न में पैदाइशी सही राहे-वफ़ा में आदमी मैं आख़िरी सही ये सादगी नज़र में तिरी ख़ुदकुशी सही लगती है माँ की सीख मुझे आज भी सही अब ज़ौफ़ में बदन है कहाँ आशिक़ी का दम चलिये निगाहे-शौक़ की आवारगी सही अपने मुगालतों से परेशान मैं भी हूँ ‘अच्छा ये आप समझे हैं […]
T-14/14 दिन भर तो हमने चाँद की नाराज़गी सही-इरशाद ख़ान ‘सिकंदर’
दिन भर तो हमने चाँद की नाराज़गी सही शब भर उदासियों की कड़ी धूप भी सही आँखों में कुछ, ज़बान पे कुछ और दिल में कुछ? मत ख़ाक में मिलाइये इज़्ज़त रही सही ख़ुद चलके हमसे मिलने ख़ुशी आयी और फिर चल छोड़ मेरी जान बयाँ फिर कभी सही रक्खी लबों पे रोज़ तबस्सुम की […]
T-14/13 खेलों के बीच उठती औ गिरती हुई सही-स्वप्निल तिवारी ‘आतिश’
खेलों के बीच उठती औ गिरती हुई सही बाज़ीगरों की जैसी मिरी ज़िन्दगी सही ख़ुशियो ! तुम्हारे पाँव में पहिये तो हैं मगर ठहरो न मेरे पास, घड़ी दो घड़ी सही अंगड़ाइयों से उसकी उदासी मिटी तो है हँस दे ज़रा तो ख़त्म हो सुस्ती रही सही कोई लिबास भी हो अब इस दिन के […]
T-14/12 ज़ख्मों का सिलसिला ही सही दर्द ही सही-नवनीत शर्मा
ज़ख्मों का सिलसिला ही सही दर्द ही सही ये ज़िन्दगी अगर है चलो फिर यही सही हर ज़ख्म मेरा खुलता है मेरे ही सामने लगती है फ़ेसबुक से मुझे डायरी सही जितने थे मेरे लफ्ज़ लगे सब उसे ग़लत होठों पे कंपकपाती लगी ख़ामुशी सही सूरज तलाशने में ढली शाम फिर भी दोस्त कुछ तो […]
T-14/11सीना जो खंजरों को नहीं पीठ ही सही -प्रखर मालवीय ‘कान्हा’
सीना जो खंजरों को नहीं पीठ ही सही तुम दोस्त हो हमारे बताओ सही सही इतना ही कह के बुझ सा गया आख़री चराग़, इन आंधियों के साथ यही दोस्ती सही आते ही रौशनी के नज़र आये बहते अश्क इससे तो मेरे साथ वही तीरग़ी सही सोचा था हमने आज सवारेंगे वक्त को अब हाथ […]
T-14/10 ग़ैरों को चाहते थे हमीं अजनबी सही-रशीद इम्कान
ग़ैरों को चाहते थे हमीं अजनबी सही हिस्से में अपने आनी थी शर्मिंदगी सही आदत सी बन गयी मिरी ख़तरों से खेलना अब दांव पर लगाने को ये ज़िंदगी सही पड़ जाय धुँधली शाम तलक कोई ग़म नहीं सुर्खी लबों के वास्ते अखबार सी सही लिक्खा था चोट खा के संभलना नसीब में पत्थर नहीं […]
T-14/9 तेरी कमी है इसमें तो तेरी कमी सही-डॉ मुहम्मद आज़म
तेरी कमी है इसमें तो तेरी कमी सही महरूम ज़िंदगी से मिरी ज़िंदगी सही सहरानवर्दियों का मुझे शौक़ ही सही क़िस्मत में ही लिखी है तो आवारगी सही मुमकिन हो दोस्ती नहीं तो दुश्मनी सही वो भी क़सर निकाल ले जो है रही-सही मेरे सबब ही तर्के-तअल्लुक़ नहीं हुआ इल्ज़ाम फिर भी सारे मिरे नाम […]
T-14/8 जलते हुए सराब की ये रहरवी सही-मुमताज़ नाज़ाँ
जलते हुए सराब की ये रहरवी सही अब मेरी हमसफ़र यही तश्नालबी सही है रास्ता तवील, कोई हमनवा तो हो कोई जो आशना न मिले, अजनबी सही काफ़ी है ज़िन्दगी के लिए इतना भी भरम तेरी इनायतें न सही, बेरुख़ी सही अब तक है हम को आप की वो छेड़ छाड़ याद वो आप का […]
T-14/7 करवट बदल-बदल के ही, आँखों में ही सही-गौतम राजरिशी
करवट बदल-बदल के ही, आँखों में ही सही कमबख़्त रात ये भी गुज़र जायेगी सही उट्ठी हैं हिचकियाँ जो बिना बात यक-ब-यक तो सोचता है मुझको कोई.. वाक़ई… सही ऊँगली छुई थी चाय का कप थामते हुये दिल तो गया ही, जान भी निकली रही-सही तौहीन बादलों की ज़रा हो गई तो क्या निकला तो […]
T-14/6 कर दे जिसे अता वो सुख़नपरवरी सही-मुनव्वर अली ‘ताज
कर दे जिसे अता वो सुख़नपरवरी सही निकले क़लम से उसके सदा रौशनी सही राज़ी-ख़ुशी हैं आप तो राज़ी ख़ुशी सही ‘अच्छा ये आप समझे हैं अच्छा यही सही’ रिश्ता ख़ुशी का हमको ख़ुशी से क़ुबूल है ग़म की सगी बहन है ख़ुशी तो ख़ुशी सही उनके सिवा न होगी मुकम्मल मिरी वफ़ा अब है […]
T-14/5 सरकार बख्शते हैं मुझे नौकरी सही-सौरभ शेखर
सरकार बख्शते हैं मुझे नौकरी सही फिर भी ग़लत को कह न सकूंगा कभी सही ज़ालिम ने फिर मचाया वो कुहराम एक दिन इक उम्र मेरे दिल ने मिरी बेरुख़ी सही आवाज़ दूं, पुकारूं किसी को मैं दश्त में दिखलाई तो दे मुझको कोई आदमी सही सच-झूठ की कहानी मुकम्मल न जानिये कुछ आख़िरी ग़लत […]
T-14/4 अपनी ही जुस्तजू में तिरी दोस्ती सही-महावीर सिंह ‘खुरशीद’ खैराड़ी
अपनी ही जुस्तजू में तिरी दोस्ती सही तब्दीलियों में तेरी मिरी शायरी सही मैंने ही रेगज़ार में चश्मे किये तलाश मैंने ही ताहयात मगर तिश्नगी सही अच्छा हरेक ध्यान है निर्गुण हो या सगुण साकार के सफ़र पे चलें दिल्लगी सही सब लोग ख़स्ताहाल हैं सबको मलाल है महँगाई ने निचोड़ दीं साँसें रही सही […]
T-14 एक स्पष्टीकरण-तुफ़ैल चतुर्वेदी
साहिबो सही लफ़ज़ की वज़ाहत ज़ुरूरी हो गयी है. मेल के ज़रिये कुछ साथियों ने इसे सहीह के साथ जोड़ कर सवाल पूछें हैं. ये सहीह से कुछ अलग है. इसमें सहीह के मानी के साथ कुछ अतिरिक्त भी है. सही के मानी ठीक, बजा, क़ुबूल, माना, मंज़ूर, फ़र्ज़ किया हैं. उदाहरण चलो हम दीवाने […]
T-14/3 राहों की धूल फाँकी न बरसात ही सही-नवीन सी चतुर्वेदी
राहों की धूल फाँकी न बरसात ही सही अब क्या कहें कि हम भी हैं नक़्शानवीस ही टपके नहीं फ़लक से ग़रीबों के अस्पताल अक्सर इन्हें बनाता है कोई रईस ही पैदल चलें, उड़ें कि तसव्वुर के डग भरें आख़िर तो सब के हाथ में लगनी है टीस ही क़दमों में तीरगी है बदन भर […]
T-14/2 ये सोच ज़िंदगी हुई तन्हा रही सही-दिनेश नायडू
ये सोच ज़िंदगी हुई तन्हा रही सही ताउम्र मैने किसलिये ये ज़िंदगी सही सहना था मुझको ग़म तिरा सो ग़म तिरा सहा सहनी थी मुझको ज़िंदगी सो ज़िंदगी सही रह रह के डूब जाता हूँ तेरे ख़याल में लगने लगी है अब तो मुझे ख़ुदकुशी सही कल रात इक चराग़ यही कह के बुझ गया […]
तरही-14, मिसरा तरह-अच्छा ये आप समझे हैं अच्छा यही सही
दोस्तो ! तरही निकालने का वक़्त आ गया है। मिसरा पेश करने से पहले कुछ बात करना चाहूंगा। ये पूरी पोस्ट तरही-11 से कॉपी पेस्ट कर रहा हूं, चूंकि ये अब भी आपके ध्यान में लाये जाने के लायक़ लग रही है. पिछले कुछ समय से अनुभव आया है कि आप लोग तरह के सिवा […]