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कुछ पुरानी ठुमरियां

साहिबान, एक पुरानी किताब ‘नग़्नम ए दिलकश हिस्साा दुवम’ हाथ लगी जिसमें कुछ ठुमरियां और ग़ज़लें वग़ैरह दी गई हैं। इन्हे देखने से मालूम होता है कि तरही ग़ज़ल जैसे ठुमरियां भी कही गई हैं। अदब की तारीख़ के ये पन्ने आप तक पहुंचाने की कोशिश रहेगी। इनमें पहली ठुमरी ‘सांवलिया की लटक चाल जिया […]

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दोस्तो, एक बहुत ख़ुशरंग इज़ाफ़े की जानकारी-तुफ़ैल चतुर्वेदी

दोस्तो, एक बहुत ख़ुशरंग इज़ाफ़े की जानकारी आप सबको देनी थी। सच्चाई ये है कि काफ़ी समय से मैं लफ्ज़ पोर्टल के साथ न्याय नहीं कर पा रहा हूँ। कुछ निजी व्यस्तताएं घेरे हुए हैं तो कुछ सामजिक प्राथमिकता कारण बनी हुई हैं। नतीजा यह है कि केवल तरही के समय कुछ हंगामा रहता है […]

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विनम्र निवेदन-तुफ़ैल चतुर्वेदी

दोस्तो, हम लोग बड़ी मुश्किलों से लफ़्ज़ ग्रुप को कई लोगों की नाराज़गी झेल कर, गालियां खा कर, अपना वक़्त सर्फ़ कर किसी तरह बचा कर यहाँ तक लाये हैं। मक़सद सिर्फ अच्छी शायरी को फ़रोग़ देना और परवान चढ़ाना है। इस सिलसिले में अपनी समझ से जितना मुमकिन हो पाता है चुन कर कलाम […]

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T-22 तरही-22 का समापन-तुफ़ैल चतुर्वेदी

साहिबो, लफ़्ज़ की बाईसवीं तरही महफ़िल ख़त्म हुई। ख़ासी मज़ेदार अच्छी ग़ज़लें आयीं। तिरेपन अच्छी तादाद मानी जायेगी। मेरे नज़दीक तरही का मक़सद सिर्फ इतना है कि हम सब के ज़हन रवां हो जायें। इस बार की बहर ग़च्चा देने वाली थी। कई दोस्तों को फ़ाइलातुन फ़यलातुन फ़ेलुन की जगह फ़ाइलातुन मफ़ाइलुन फ़ेलुन की दिक़्क़त […]

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T-19 तरही का पुनरारंभ-तुफ़ैल चतुर्वेदी

मित्रो, मनु स्मृति में मित्र की विस्तृत परिभाषा दी गयी है. उसका प्रारम्भ ” राजद्वारे च श्मशाने ..” से होता है. जो राजद्वार अर्थात राज-कोप के समय, श्मशान में साथ खड़ा रहे वही मित्र है. मातृ-शोक के दारुण दुःख के समय मेरे साथ खड़े रहने के लिये बहुत बहुत धन्यवाद. मैं आप सबका ह्रदय से […]

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T-18-समापन- तुफ़ैल चतुर्वेदी

मित्रो इस बार तरही ग़ज़ल का काम उस तरह नहीं चल पाया जिस तरह सामान्यतः चलता है. इसके दो कारण थे. पहला मकान बना कर उसमें रहने के लिये जाना और उसकी दीवारो-दर में हज़ार तरह की ख़ामियां देखना, उन्हें बदलवाने की जद्दो-जहद में पड़ना. दूसरे मैं अकेला पड़ गया हूँ. राज़, नवीन, स्वप्निल अपने-अपने […]

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Scheduling a Post

नमस्कार सच ही कहते हैं कि आवश्यकता, आविष्कार की जननी है। हमारी तरह ही किसी सज्जन के सामने यह समस्या आई होगी। सम्भव है उस के पास कम्प्युटर या लेप्टोप न रहते हों। सम्भव है उस के पास इण्टरनेट की उपलब्धता की समस्याएँ पेश आती होंगी और इन सब से निमटने के लिये ‘पोस्ट शेड्यूल” […]

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सौरभ जन्मदिन बहुत-बहुत मुबारक

सौरभ जन्मदिन बहुत-बहुत मुबारक

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आलोक ..जन्मदिन मुबारक

आलोक मिश्रा हज़रते-फ़ज़ल अब्बास नक़वी साहब के परिवार में ताज़ा दाखिल हुए लोगों में हैं. ये विकास शर्मा ‘राज़’ के शागिर्द हैं और आज इनका जन्मदिन है. आलोक जन्मदिन बहुत मुबारक हो राज़ आपको भी अपने बेटे का जन्मदिन मुबारक हो https://fbcdn-sphotos-e-a.akamaihd.net/hphotos-ak-ash2/164936_485149621540676_1954392818_n.jpg?lvh=1

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2013 in reviewवर्ड प्रेस द्वारा एक अवलोकन-पिछले बरस की छान-फटक

The WordPress.com stats helper monkeys prepared a 2013 annual report for this blog. Here’s an excerpt: The Louvre Museum has 8.5 million visitors per year. This blog was viewed about 96,000 times in 2013. If it were an exhibit at the Louvre Museum, it would take about 4 days for that many people to see […]

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मयंक अवस्थी को जन्मदिन की बधाई

इस पोर्टल पर जिन लोगों ने सर्वाधिक काम किया है मयंक अवस्थी उनमें अग्रणी हैं. आज मयंक अवस्थी का जन्मदिन है. मयंक आपको आपके इस लाड़ले लफ़ज़ की तरफ से जन्मदिन की ढेर सारी बधाइयां, शुभकामनायें. यशस्वी होइये, हम सबको जिस तरह गौरवान्वित करते हैं उसमें और चार चाँद लगाइये. प्रगति पथ पर बढ़ते रहिये.

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लफ्ज़ परिवार की अपने साथी को श्रद्धांजलि

साहिबो बड़े दुःख की बात है, मेराज फ़ैज़ाबादी साहब नहीं रहे. लम्बे समय से ब्लड कैंसर की तकलीफ़ उठा रहे थे. मेरी अपने उस्ताद जनाबे-कृष्ण बिहारी नूर से मुलाक़ात का ज़रिया वही बने थे. लखनऊ की तहज़ीब का सरापा, कमसुख़न, मुलायम तबीयत, शाइस्तगी से भरे, रखरखाव वाले इंसान. उनके परिवारी जनों को मेरी संवेदना. लफ्ज़ परिवार […]

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T-14 तरही का समापन-तुफ़ैल चतुर्वेदी

साहिबो ! इस बार तरह का मिसरा निकालते हुए मैं ख़ासी उलझन में था. उलझन इस बात की थी कि कहीं ये मिसरा आप हज़रात को तंग तो नहीं करेगा. मगर आपने मेरा डर ग़लत साबित कर दिया. अच्छी-ख़ासी मुश्किल ज़मीन में 29-30 ग़ज़लें आना मज़ाक़ नहीं है. आप कहेंगे कि पोस्ट तो 26 हुई […]

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तरही-14/12 मतले में ईता की ख़ामी पर स्पष्टीकरण

राजीव भारोल जी ने नवनीत की ग़ज़ल के मतले पर सवाल किया है. नवनीत मेरे शागिर्द हैं सो उनकी कोई भी ग़लती मेरी ज़िम्मेदारी है इस लिये जवाब देना मेरे लिये फ़र्ज़ है. उनका मतला है ज़ख्‍मों का सिलसिला ही सही दर्द ही सही ये ज़िन्दगी अगर है चलो फिर यही सही राजीव जी का […]

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T-14 एक स्पष्टीकरण-तुफ़ैल चतुर्वेदी

साहिबो सही लफ़ज़ की वज़ाहत ज़ुरूरी हो गयी है. मेल के ज़रिये कुछ साथियों ने इसे सहीह के साथ जोड़ कर सवाल पूछें हैं. ये सहीह से कुछ अलग है. इसमें सहीह के मानी के साथ कुछ अतिरिक्त भी है. सही के मानी ठीक, बजा, क़ुबूल, माना, मंज़ूर, फ़र्ज़ किया हैं. उदाहरण चलो हम दीवाने […]

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जन्मदिन बहुत बहुत मुबारक हो कान्हा

आज प्रखर मालवीय ‘कान्हा’ का जन्म दिन है. कान्हा बरेली में रहकर सी ए की तैयारी कर रहे हैं. लफ्ज़ परिवार दुआ करता है कि यह साल ढेर सारी खुशियाँ लाये. उन्हें बेहतर ज़िन्दगी की और जिस सफलता का उन्हें इंतज़ार है उसे पा ले लेने की दुआएं दीजिये.

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ग़ज़ल की प्रचलित 32 बहरें – नवीन

प्रणाम आदरणीय आर. पी. शर्मा महर्षि जी की विभिन्न पुस्तकों से अर्जित जानकारी के आधार पर तथा उस्ताज़ आदरणीय तुफ़ैल साहब की निगरानी में काम करते हुये आज ग़ज़ल की प्रचलित 32 बहरों पर काम पूरा हुआ। बहरें तो और भी कई हैं, परन्तु मैंने मुख्यत: व्यावहारिक तथा महर्षि जी द्वारा निर्देशित बहरों को ही […]

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लफ़ज़ की तरही महफ़िलें-2 -पवन कुमार

मित्रो ! आदाब , नमस्कार ! तरही महफ़िलों की ‘डेटा एनालिसिस’ वाली पहली पोस्ट पर आप सभी ने जो स्नेह-प्यार उड़ेला, उसके लिए आभारी हूँ। बात थोड़ी और आगे बढ़ाते हैं। जैसा कि मैं पहले ही बता चुका हूँ कि अब तक कुल 13 तरही महफ़िलें जम चुकी हैं, जिनमें 106 शाइरों ने 402 ग़ज़लें […]

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लफ़ज़ की तरही महफ़िलें-एक नज़र में-पवन कुमार

मित्रो ! प्रणाम, लफ्ज़ पोर्टल पर ‘तरही’ का विगत वर्ष जुलाई 12 से आयोजन होता रहा है। इस पोर्टल ने नये रचनाकारों को उभरने और पुराने मक़बूल स्थापित शायरों का कलाम पढ़ने का अवसर मुहैया कराया है। आज मैं इस तरही से जुड़े कुछ आंकड़ों की तरफ़ आपका ध्यान आकर्षित करना चाहूंगा . अब तक […]

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नवीन सी चतुर्वेदी …..जन्मदिन मुबारक

दोस्तो, आज लफ़्ज़ के उस साथी का जन्मदिन है जिसकी बदौलत ये फ़ोरम शुरूअ हुआ। लफ़्ज़ का ख़याल और उसमें सबसे ज़ियादा देखी-पढ़ी और शिरकत की जाने वाली चीज़ तरही नशिस्त जिस शख्स की ज़हनी कोख से निकली है उस शख्स का नाम है नवीन सी. चतुर्वेदी। दिल का बहुत साफ़, अक्खड़ होने की हद […]

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ऐन की ध्वनि को क्या अलिफ़ मान लिया जाना चाहिये ? तुफ़ैल चतुर्वेदी

तरही-13 की शायद दूसरी ग़ज़ल आ चुकी थी कि गौतम राजरिशी साहब का स्वप्निल तिवारी ‘आतिश’ के मतले पर एक कमेंट आया। मतला यूं था मिरी सुब्ह का यूं भी इज़हार हो पियाला हो कॉफ़ी का, अखबार हो इस पर गौतम साहब का सवाल था कि फ़ारसी अदब और उर्दू अदब में पियाला लफ़्ज़ शराब […]

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तरही-13 का समापन

दोस्तो, इस बार की तरही महफ़िल भी मेरे ख़याल से ख़ासी कामयाब रही। बयालीस ग़ज़लें आयीं। सभी शायरों ने अच्छी ग़ज़लें कहीं। फिर भी कुछ चूकें जो नुमायां तौर पर रहीं उनकी निशानदेही मुझे ज़ुरूरी लग रही है। ग़ज़ल में ज़म एक बड़ा दोष है। पूरा मिसरा या मिसरे को कहीं से भी तोड़ देने […]

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दिनेश जन्म दिन बहुत-बहुत मुबारक

साहिबो आज दिनेश नायडू का जन्मदिन है। आज दिनेश 25 बरस के हुए हैं। मीठा साल शुरूअ हुआ है। उसकी अच्छी ज़िन्दगी के साथ ये भी दुआ कीजिये कि इस साल ख़र्च न हो जाये। दिनेश जन्म दिन बहुत-बहुत मुबारक  

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T-12/36 तरही-12 का समापन-तुफ़ैल चतुर्वेदी

तरही-12 का समापन दोस्तो, इस बार की तरही महफ़िल मेरे नज़दीक ख़ासी कामयाब रही। आप सब ने आम तौर पर अच्छी ग़ज़लें कहीं। फिर भी कुछ चूकें जो नुमायां तौर पर रहीं उनकी निशानदेही मुझे ज़ुरूरी लग रही है। तरही मुशायरे में ग़ज़ल का कमज़ोर होना कोई ख़ास बात नहीं है। ज़मीन अगर मिज़ाज से […]

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तरही-11 का समापन-तुफ़ैल चतुर्वेदी

दोस्तो ! बहुत शर्मिंदा हूं कि तरही मिसरा ख़ुद निकालने के बावजूद अच्छी क्या …ठीक सी ग़ज़ल भी नहीं कह पाया। अपनी बेबसी अर्ज़ करने की इजाज़त दीजिये। मेरी मुश्किल इस बार दो रही हैं। पहली तो सदा की सी कि सारी ग़ज़लें संपादक होने के नाते ख़ाकसार की नज़र से गुज़र कर जाती हैं। […]

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साहित्य और हुड़दंगी जत्थे-तुफ़ैल चतुर्वेदी

साहित्य और हुड़दंगी जत्थे साहित्य समाज से कटता जा रहा है। पाठक और श्रोता कम हो रहे हैं। ये एक तथ्य है और इस के कारण साहित्यकारों में ये विचार आम है कि हम सही काम नहीं कर पा रहे। कुछ अधूरापन, लक्ष्य से भटकाव आ गया है। हमारा काम समाज के हित-अहित को उदघाटित, परिभाषित […]

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T-10/39 समापन-तुफ़ैल चतुर्वेदी

दोस्तो, आज 26 तारीख़ है। इस बार की तरही ख़ासी दिक़्क़त-तलब रही। इस तरही में 38 ग़ज़लें पोस्ट हुईं। कुछ ग़ज़लें हटायी भी गयीं या पोस्ट नहीं की जा सकीं। यानी मेहनत तो ख़ासी हुई मगर मेरे नज़दीक जैसी मेरी ख़ाहिश थी या मैं चाहता था वैसी ग़ज़लें नहीं हुईं। मेरी आपकी तो बात जाने […]

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नज़्म पर बाक़ी ख़यालात-तुफ़ैल चतुर्वेदी

नज़्म के अहाते में यूं तो वो सब कुछ आता है जो नस्र या गद्य के सिवा हो, फिर भी प्रमुख शक्लें नज़्म, ग़ज़ल, सोनेट, क़ितआ, रुबाई, मुसद्दस, मुखम्मस, मुसल्लस, दोहा, गीत हैं। ज़ाहिर है ग़ज़ल पर बात करने की ज़ुरूरत नहीं है। नज़्म तीन तरह की होती हैं। 1:- पाबंद 2:- मुअर्रा 3:- आज़ाद […]

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सोनेट-तुफ़ैल चतुर्वेदी

सोनेट सोनेट मूलतः योरोपीय शायरी की अच्छी-ख़ासी मुश्किल क़िस्म है. 14 मिसरों की इस काव्य विधा के नियम ख़ासे पेचीदा और कठिन हैं। ये विधा इतनी कठिन है कि विश्व साहित्य में सोनेट कह सकने वाले 50 नाम भी दिखायी नहीं देते। माना जाता है कि ये विधा इटली में जन्मी और वहां से फैली। […]

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इस्लामी जम्हूरिया पाकिस्तान की तारीख़ हिन्दुस्तान से बहुत पुरानी है, बल्कि इस्लाम से भी पुरानी है। जब आठवीं सदी में मुहम्मद बिन क़ासिम इस्लाम फैलाने बार-ए-सगीर तशरीफ लाए तो ये जान कर शर्मिंदा हुए कि यहां तो पहले ही इस्लामी रियासत मौजूद है। यहां कुफ्र का जनम तो हुआ जलालुद्दीन अकबर के दौर में, जो […]

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नक़ल-पैरोडी की अनुपम कला-चंद्रेश्वर

एक कवि हैं कुमार अनुपम। कुछ सालों पहले वे अनुपम तिवारी थे। बलरामपुर जैसे छोटे शहर से उगे,अब दिल्ली में चमक रहे हैं। वे जब बलरामपुर में थे तब भी प्रयोगशील थे। कवितायेँ,गज़लें ख़ास तौर से सुनते थे। कई बार भरोसा करना मुश्किल होता था यह युवा इतनी परिपक्व रचनायें दे रहा है। कभी-कभी संदेह […]

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मुशायरा-लफ़्ज़ ग्रुप के कुछ शायरों का वीडिओ-तुफ़ैल चतुर्वेदी

हज़रात, अदब के इस दरबार में लफ़्ज़ ग्रुप की हाज़िरी अब ठीक-ठाक लगने लगी है। आप सब लोग इसे देख-पढ़ रहे हैं, कमेंट कर रहे हैं। सोचा कि आप तक अपनी रसाई का, पहुँच का कोई और ज़रीया निकाला जाये। इस का जवाब एक मुशायरे की शक्ल में सामने आया और ग़ज़ल के दरबार के […]

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विवादों की जन्मस्थली-जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल-विजेंद्र शर्मा

विवादों की जन्मस्थली ….जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल पिछले दो-तीन सालों से राजस्थान की राजधानी जयपुर में जनवरी माह में होने वाले जयपुर साहित्य उत्सव ने सुर्ख़ियों में बने रहने के तमाम रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं। गुलाबी नगरी में होने वाला ये आयोजन पहली बार ज़ियादा सुर्ख़ियों में तब आया जब इसके एक सेशन में अंग्रेजी के […]

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T-5/20-तरही-5 का समापन-भाग-2 तुफ़ैल चतुर्वेदी

शायरी का जो बयानिया लहजा है वो अमूमन इकहरा होता है, मगर उसमें उपमाओं का प्रयोग शायर की क्षमता के हिसाब से ज़बरदस्त होता है। आइये मीर अनीस के मर्सियों से लिए गए दो बंद देखें। घोड़े की तारीफ करते हुए मीर अनीस फ़रमाते हैं जुरअत में रश्के-शेर तो हैकल में पीलतन पोई के वक़्त […]

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T-5/20-तरही-5 का समापन-भाग-1 तुफ़ैल चतुर्वेदी

भाषा भाष क्रिया की व्युत्पत्ति है। भाष का अर्थ है प्रकाशित करना. जो प्रकाशित करती है, स्पष्टता बढाती है, वही भाषा है। यानी जिससे समझ बढे, स्थितियों, प्रकृति का ज्ञान बढ़े। ज़ाहिर है इस कार्य को करने के लिए आदान-प्रदान की ज़ुरूरत है। बहस भी इसका एक स्वरूप है। इस बार मैं केवल अपनी ग़ज़ल […]

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लफ़्ज़ पत्रिका जिसका वेब रूप इस समय आपसे मुखातिब है, के छह-माही विशेषांक की तफ़सील

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ज़हन बीमार है इनके …….

पिछले कुछ दिनों से नेट की साहित्यिक दुनिया में किसी युवा लेखक के कहानी-संग्रह को भारतीय ज्ञानपीठ द्वारा नहीं छापने पर बड़ी हाय -तौबा मची हुई है ! तहलका कॉम पर उस युवा लेखक के छपे लेख के हवाले से पता चला की श्रीमान ने ज्ञानपीठ द्वारा गत वर्ष घोषित हुआ नवलेखन पुरस्कार भी लौटा […]

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उफ़ ये झूठी वाह -वाह ……..

भौतिकता के दौर में जहाँ नई नस्ल अदब से दूर होती जा रही है वहीं इंटरनेट पर कुकुरमुत्तों की तरह फ़ैल रही सोशल साइट्स और कुछ ब्लॉग लिखने वालों ने साहित्य से नए लोगों का रब्त कायम किया है ! इंटरनेट के कारण बहुत से लोगों में साहित्य के प्रति रुझान पैदा हुआ है और […]

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कुछ शेर क्यों प्रसिद्ध हैं ?!! –एक तफ़्तीश

बहुत से शेर बहुत प्रसिद्ध हैं आप तलाश करें तो पायेंगे कि बहुत दूर तक जाने की और बहुत लम्बे अर्से बने की क्षमता इसीलिये है कि उनमें वो तत्व हैं जो शाश्वत हैं और और शिल्प और भाव उनमें इस खूबसूरती से पिरोये गये हैं कि वो प्रतिनिधि शेर बन गये – हमेशा नये […]

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