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एक प्रयोगवादी गीत:- खुलता है यादों का दरीचा चाँदनी के द से अब भी-गौतम राजरिशी

खुलता है यादों का दरीचा चाँदनी के द से अब भी बचा हुआ है धूप के प में प्रेम अभी भी थोड़ा सा यादों में चुंबन के ब से होती है बारिश रिमझिम और रगों में ख़ून उबलता है उन ख़्वाबों के ख़ से बाद तुम्हारे ओ जानाँ… हाँ, बाद तुम्हारे भी जब तब उन […]

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ऐसी ही होती है माँ-नवीन सी चतुर्वेदी

शबनम की बूँदें ख़ुशबू के झोंके साहिल की सीपी सीपी का मोती मासूम दिल की दुआ एसी ही होती है माँ एसी ही होती है माँ बच्चा रोने लगे तो माँ की छाती भर आये और जो न रोये तो भी माँ बेचारी डर जाये बच्चे की ख़ुशी हो या ग़म हो, हमेशा – अँखियाँ […]

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मुझको तुझसे रञ्ज़ नहीं है, तुझको मुझसे द्वेष नहीं-नवीन सी चतुर्वेदी

मुझको तुझसे रञ्ज़ नहीं है, तुझको मुझसे द्वेष नहीं फिर हम क्यों लड़ते रहते हैं? जब किञ्चित भी क्लेश नहीं मेरी पीड़ा- तेरे आँसू, तेरा सुख – मेरी मुस्कान तेरी राहें – मेरी मञ्ज़िल, मेरा दिल – तेरे अरमान मेरा घर – तेरा चौबारा, तेरा कूचा – मेरी शान दौनों ही कहते रहते हैं, मानव […]

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एक और गीत-किशन सरोज

नींद सुख की फिर हमें सोने न देगा यह तुम्हारे नैन में तिरता हुआ जल छू लिए भीगे कमल- भीगी ॠचाएँ मन हुए गीले- बहीं गीली हवाएँ बहुत सम्भव है डुबो दे सृष्टि सारी दृष्टि के आकाश में घिरता हुआ जल हिमशिखर, सागर, नदी- झीलें, सरोवर ओस, आँसू, मेघ, मधु- श्रम-बिंदु, निर्झर रूप धर अनगिन […]

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एक गीत-किशन सरोज

कसमसायी देह फिर चढ़ती नदी की देखिए तटबंध कितने दिन चले मोह में अपनी मंगेतर के समंदर बन गया बादल सीढियाँ वीरान मंदिर की लगा चढ़ने घुमड़ता जल काँपता है धार से लिप्त हुआ पुल देखिए सम्बन्ध कितने दिन चले फिर हवा सहला गई माथा हुआ फिर बावला पीपल वक्ष से लग घाट के रोयी […]

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शिव स्तुति – यमुना प्रसाद चतुर्वेदी ‘प्रीतम’

जय जयति जगदाधार जगपति जय महेश नमामिते वाहन वृषभ वर सिद्धि दायक विश्वनाथ उमापते सिर गंग भव्य भुजंग भूसन भस्म अंग सुसोभिते सुर जपति शिव, शशि धर कपाली, भूत पति शरणागते जय जयति गौरीनाथ जय काशीश जय कामेश्वरम कैलाशपति, जोगीश, जय भोगीश, वपु गोपेश्वरम जय नील लोहित गरल-गर-हर-हर विभो विश्वंभरम रस रास रति रमणीय रंजित […]

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तुम्‍हारे गांव से लौटे तो खुद को छोड़ ही आये-नवनीत शर्मा

भला कैसे कोई सामान अपना भूलता होगा तुम्‍हारे गांव से लौटे तो खुद को छोड़ ही आये मगर ले आये हैं हम साथ अपने याद का गट्ठर वो इक झरना जो सुर में बह रहा है कितने अर्से से वो इक पीपल कि जो यादों के धागे से लिपटता है वो लीची जिस पे खिलते […]

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अगर ज़िन्दगी काया है, तो उपटन हैं त्यौहार – नवीन

अगर ज़िन्दगी काया है, तो उपटन हैं त्यौहार शाश्वत जीवन दर्शन का – अवगाहन हैं त्यौहार विकल ह्रदय में सम्बल जागे थका बदन भी सरपट भागे कैसा भी हो कोई निठल्ला त्यौहारों में ‘हिल्ले’ लागे निज रूचि के अनुसार सभी को – देते हैं रुजगार इसीलिये तो कहते हैं – दुःख-भंजन हैं त्यौहार चौखट पर […]

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उढ़ा के लाल चूनरी क्षितिज को धूप-छाँव की-स्वर्गीय मनोहर शर्मा साग़र पालमपुरी

उढ़ा के लाल चूनरी क्षितिज को धूप-छाँव की परी-सी नाचने लगी है साँझ मेरे गाँव की उभर रही हैं नीड़ -नीड़ पंखियों की बोलियाँ गवाल-बाल ढोर हाँकते करें ठिठोलियाँ चली हैं गगरियाँ उठाए गोरियों की टोलियाँ झनक उठी झनन-झनन-सी झाँझरें हैं पाँव की परी-सी नाचने लगी है साँझ मेरे गाँव की तिमिर को चाँदनी के […]

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मैं भारत हूँ यही सबसे बड़ी पहचान है मेरी-इरशाद ख़ान सिकंदर

मैं भारत हूँ यही सबसे बड़ी पहचान है मेरी मुहब्बत जिस्म है मेरा तिरंगा शान है मेरी यहीं दिल्ली की इन गलियों में मेरा दिल धड़कता है यहीं कश्मीर की वादी में मेरी रूह बसती है मिरी धरती है ऐसी देवता भी जन्म लेते हैं मिरे इक बार दर्शन को ये दुनिया भी तरसती है […]

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मन अभी वैराग्य लेने के लिये आतुर नहीं है-निर्मला जोशी

मन अभी वैराग्य लेने के लिये आतुर नहीं है किन्तु मैं कुछ सोच कर ही एक चादर बुन रही हूं पर्वतों पर एक स्वर मुझको सुनायी दे गया था वह ललित पद था कि जो मुझको बधाई दे गया था ये भवन अट्टालिकायें और मंदिर छोड़ कर अब छांव पाने के लिये अपनत्व का घर […]

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जल रहे दीपक हज़ारों दीप मेरा भी जले-डॉ मधु भारती

जल रहे दीपक हज़ारों दीप मेरा भी जले मृत्तिका की देह जिसमें वर्तिका है प्राण की आयु का है स्नेह थोड़ा, लौ उठी मुस्कान की रात लम्बी स्नेह तिल-तिल घाट रहा चाँद सांसों का ख़ज़ाना लुट रहा गुनगुना लूँ गीत ऐसे प्यार के दो क्षण ज़रा दूर तक फैली अमावस की शिला का तन गले […]

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गीत-एक चर्चा -तुफ़ैल चतुर्वेदी

गीत का मूलतः अर्थ है वह सार्थक रचना जिसे गा लिया जाये। ऐन मुमकिन है कोई सत्यनारायण की कथा को भी गा ले इस लिये इस बात का स्पष्टीकरण आवश्यक है। गीत से तात्पर्य ऐसे मुक्तक काव्य से है जिसमें एक या दो पंक्ति शुरुअ में होती हैं जो मुखड़े या टीप का काम करती […]

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