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T-33/17 मुझसे थोड़ा तो प्यार करना था. आकर्षण कुमार गिरि

मुझसे थोड़ा तो प्यार करना था
एक बार ऐतबार करना था

साथ रिश्‍तों का एतबार लिये
‘हमको ये दश्त पार करना था’

गम-ए-दौरां बिठा के डोली में
रोज़ ख़ुद को कहार करना था

याद में जो कटी, कटी ना कटी
उस हर इक शब से प्यार करना था

रूह को भी क़रार आ जाए
कोई ऐसा क़रार करना था

गै़र के ऐब ढूंढने वाले
कुछ तो खुद में सुधार करना था

आकर्षण कुमार गिरि
पटना।

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3 comments on “T-33/17 मुझसे थोड़ा तो प्यार करना था. आकर्षण कुमार गिरि

  1. सर जी। बहुत बहुत धन्यवाद। साथ ही आपकी संपादकीय टीम का आभार जिन्होंने तराशने में कमी नहीं की और कमियों को दूर किया। पटना से हूँ और फिलहाल बिहार सरकार की नौकरी में गुजारा कर रहा हूँ। एक बार फिर हौसलाअफज़ाई के लिए आभार।

  2. आकर्षण गिरी साहब, आप कौन हैं ? कहाँ के हैं ? इन दो अशआर ने तशवीश और तवक़्क़ो भी बढ़ा दी। बहुत साफ़ सुथरा निखरा हुआ शेर कहते हैं। वाह वाह दाद क़ुबूल फ़रमाइये।

    गम-ए-दौरां बिठा के डोली में
    रोज़ ख़ुद को कहार करना था

    याद में जो कटी, कटी ना कटी
    उस हर इक शब से प्यार करना था

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