T-9
T-9/18 फूलों की महक प्यार में कांटों की चुभन भी-‘शफ़ीक़’ रायपुरी
फूलों की महक प्यार में कांटों की चुभन भी ‘इस राह में आये हैं बयाबां भी चमन भी दोनों पे निछावर हैं मिरी जान भी तन भी ईमान भी प्यारा है मुझे अपना वतन भी चेहरों पे बशाशत है दिलों में है जलन भी इस शहरे-मुनाफ़िक़ से उचटने लगा मन भी खुलती है तो बस […]
T-9/17 अफ़सोस सियासत में अगर हो के मगन भी-अब्दुस्सलाम ‘कौसर’
अफ़सोस सियासत में अगर हो के मगन भी इन्सान भुला बैठे बुज़ुर्गों का चलन भी मंजिल पे पहुँचाने की जो हो दिल में लगन भी देती है सफ़र में मज़ा राही को थकन भी सजना हैं तो सजनी को कोई फ़िक्र नहीं है हर हाल में खुश हाल है रहती है मगन भी जानां के […]
T-9/16 मज़मूनो-मआनी भी हैं मल्हूज़ है फ़न भी-डॉ आज़म
मज़मूनो-मआनी भी हैं मल्हूज़ है फ़न भी मख़सूस है आज़म तिरा अंदाज़े-सुख़न भी किरदार में तेरे है अदाकार का फ़न भी लब पर है तबस्सुम तो जबीं पर है शिकन भी क़ब्रों पे कोई ताजमहल भी है बनाता कुछ मुर्दों को हासिल नहीं होता है कफ़न भी हम इश्के-मजाज़ी का दिखावा न करेंगे अहसास के […]
T-9/15 माज़ी की तपिश भी यहीं फ़र्दा की चुभन भी-इरशाद ख़ान ‘सिकंदर’
माज़ी की तपिश भी यहीं फ़र्दा की चुभन भी मुट्ठी से फिसलता हुआ ये रेत-बदन भी किस शख्स से उट्ठी हैं ये जलती हुई आहें इक पल को तड़प उट्ठे हैं धरती भी गगन भी काग़ज़ पे उमड़ते हुए दुनिया के मनाज़िर दिलकश है बहुत साहिबो अंदाज़े-सुख़न भी इक शख्स के लफ़्ज़ों ने मुझे बांध […]
T-9/14 आकाश पे देखी गई धरती की तपन भी-अंकित सफ़र
आकाश पे देखी गई धरती की तपन भी बूँदों में था लिपटा हुआ बादल का बदन भी उसने यूँ नज़र भर के है देखा मेरी जानिब आँखों में चली आई है हाथों की छुअन भी ऐ सोच मेरी सोच से आगे तू निकल जा उन सा ही सँवर जाए ये अंदाज़-ऐ-कहन भी बातों में कभी […]
T-9/13 थक कर के हुआ चूर मुसाफ़िर का बदन भी-मनीष शुक्ल
थक कर के हुआ चूर मुसाफ़िर का बदन भी और उसपे अँधेरा भी, इरादों की थकन भी आँखों से छलकता है, मिरे ग़म का समंदर सब हाल बताती है मिरी तर्ज़ ए सुखन भी उस सिम्त किये जाये कोई पर्दा मुसलसल इस सिम्त अधूरी है अभी दिल की लगन भी जाती ही नहीं दिल से […]
T-9/12 पेश आयेगा हर मोड़ पे घमसान का रन भी-द्विजेन्द्र द्विज
पेश आयेगा हर मोड़ पे घमसान का रन भी जीना है तो चल बाँध के तू सर पे क़फ़न भी अच्छा लगा चेहरे पे तेरे दोहरापन भी आँखों में चमक प्यार की माथे पे शिकन भी इक फूल की चाहत में है काँटों की चुभन भी इस राह में आए हैं बयाबाँ भी चमन भी […]
T-9/11 भाई है कहीं ज़द मे कहीं पर है बहन-याक़ूब आज़म
भाई है कहीं ज़द मे कहीं पर है बहन भी नफ़रत की इसी आग मे झुलसा है वतन भी हर शख्स से मिलता है जो हमदर्द की सूरत ये मोम का पैकर था कभी शोलाबदन भी शब्दों के मकड़जाल मे उलझो न मिरे यार ये शायरी है, चाहिये कुछ फिक़्रो-सुखन भी ये कैसी तरक्क़ी है […]
T-9/10 दिल में थी उसी जिस्म को छूने की लगन भी-दिनेश कुमार स्वामी ‘शबाब मेरठी’
दिल में थी उसी जिस्म को छूने की लगन भी जिस नाम से होती रही सीने में घुटन भी इक हुस्न का सैलाब था ज़ालिम का बदन भी और उसपे डुबोती रही आंखों की चुभन भी तुम आओ तो गुलज़ार है तुम जाओ तो सहरा मैं घर को समझता हूँ बयाबां भी चमन भी सींवन […]
T-9/9 छाले भी हैं कांटे भी हैं, है अज़्म… थकन भी-स्वप्निल तिवारी ‘आतिश’
छाले भी हैं कांटे भी हैं, है अज़्म… थकन भी हमराह मिरे धूप भी है उसकी फबन भी चिड़ियाँ भी चहकती हैं सो फूटेगी किरन भी दुनिया प मगर नींद भी तारी है थकन भी लदता ही गया पीठ पे ये वक़्त मुसलसल इक बोझ सा लगता है मुझे अब तो बदन भी इकसार नहीं […]
T-9/8 हैरत है जिन्हें मेरी तरक्क़ी पे जलन भी-पवन कुमार
हैरत है जिन्हें मेरी तरक्क़ी पे जलन भी हैं उनमें नये दोस्त भी याराने-कुहन भी होती थी कभी महफ़िले-अरबाब में रौनक़ तारी है वहां अब तो उदासी भी घुटन भी साथ उसका निभाता हूँ तो ये मेरा हुनर है जो शख्स बयक-वक़्त है पानी भी अगन भी हँसते हुए चेह्रे पे भी आती है उदासी […]
T-9/7 सीने में मिरे बोझ भी और दहका चमन भी-नवनीत शर्मा
सीने में मिरे बोझ भी और दहका चमन भी क्या चीज़ तिरी याद है ख़ुशबू भी घुटन भी पहले तो तमन्ना थी तेरी सिर्फ़ मगर अब आंखों में नज़र आने लगी मेरी थकन भी है इश्क़ सफ़र दिल से फ़क़त दिल का मगर क्यों इस राह में आये हैं बयाबां भी चमन भी जो दिल […]
T-9/5 छलनी तो बग़ावत से है ग़ुर्बत का बदन भी-मधु भूषण शर्मा
छलनी तो बग़ावत से है ग़ुर्बत का बदन भी पर दफ़न को मुर्दे के ज़रूरी है कफ़न भी गर आँख हथेली की लकीरों को न देखे फिर हाथ की तक़दीर में धरती भी गगन भी शबनम का चमकना है असरदार तो लेकिन कुछ देख हवाओं के ये माथे की शिकन भी तस्वीर है मेहनत की […]
T-9/3 वीरानियों के ख़ार तो फूलों की छुअन भी-सौरभ शेखर
वीरानियों के ख़ार तो फूलों की छुअन भी तुझ राह में आये हैं बियाबां भी ,चमन भी खुलना था फ़क़त एक दरीचा मेरे घर का फिर रौशनी भी आई, हुई दूर घुटन भी बच्चे ने सजाई है कोई और ही दुनिया खींचा है जहां बाघ वहीँ रक्खा हिरन भी याद अपने वतन की मुझे आती […]
T-9/2 मिलते हैं यहाँ फूल भी काँटों की चुभन भी-अहमद ‘सोज़’
मिलते हैं यहाँ फूल भी काँटों की चुभन भी इस राह में आये हैं बयाबाँ भी चमन भी दरपन की तरह होते हैं इनसाँ के नयन भी देखा है तिरे नैनों में मैं ने तिरा मन भी वाइरस से अभी तक न हुआ मुक्त बदन भी आया नहीं इनसाँ को अभी जीने का फ़न भी […]
T-9/1 दुनिया तिरे अहसास में नर्मी भी चुभन भी-तुफ़ैल चतुर्वेदी
दुनिया तिरे अहसास में नर्मी भी चुभन भी रस्ते में मिले फूल भी घमसान का रन भी देखें कि लिखा क्या है मुक़द्दर में हमारे इक शख्स की आंखों में ख़मोशी भी सुख़न भी जाती ही नहीं मेरी तबीयत से नफ़ासत बर्दाश्त नहीं करता हूं बिस्तर पे शिकन भी अच्छा है कि कुछ देर मिरी नींद […]
मिसरा तरह-9 ‘इस राह में आये हैं बयाबां भी चमन भी’
दोस्तो! कोई 15-20 बरस पुरानी बात है। दाग़ स्कूल के किसी शायर के मिसरे पर तरह निकाली गयी थी। दिल्ली के आर्थिक, सामाजिक रूप से प्रभावी कई लोग शायर भी कहलाते हैं। जैसे महेंद्र सिंह बेदी’सहर’, डी.सी.एम. के मालिक जिनके नाम पर शंकर-शाद मुशायरा होता था। उनके समकालीन लोग बताते हैं कि ये लोग शायर […]