T-29

T-29/56 दिल ने दरयाफ़्त कर लिया है मुझे-ज़ुल्फ़िक़ार ‘आदिल’

साहिबो, तरही 6 मई को ख़त्म हो चुकी। 8 मई यानी दो दिन बाद पोस्ट करना मेरी ग़लती है। ये गज़ल इस तरही मिसरे के शायर ज़ुल्फ़िक़ार आदिल साहब ने मुझे whatsapp से भेजी। मैं देखना ही भूल गया। इसकी सज़ा शायर को नहीं मिलनी चाहिये इसलिये आपकी नाराज़गी मेरे सर मगर ग़ज़ल तो पोस्ट […]

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T-29/55 तन्हा तन्हा वो क्यूँ लगा है मुझे-अफ़सर दकनी

मित्रो, तरही 6 मई को ख़त्म होनी थी। 8 मई यानी दो दिन बाद पोस्ट करना मेरी ग़लती है। ये दोनों गज़लें मुझे whatsapp से दोस्तों ने भेजीं। मैं देखना ही भूल गया। इसकी सज़ा शायर को नहीं मिलनी चाहिये इसलिये आपकी नाराज़गी मेरे सर मगर ग़ज़ल तो पोस्ट होनी ही चाहिये। तुफ़ैल चतुर्वेदी तन्हा […]

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T-29/54 ज़िन्दगी से तो और क्या है मुझे-इमरान हुसैन ‘आज़ाद’

ज़िन्दगी से तो और क्या है मुझे बस ज़रा वक़्त काटना है मुझे तुझको देखा तो ये लगा है मुझे इश्क़ सदियों से जानता है मुझे आशना सड़कें, अजनबी चेहरे शह्र में और क्या दिखा है मुझे लोग क़ीमत मिरी लगाते हैं किस जगह तूने रख दिया है मुझे सुब्ह रुख़्सत करे मकाँ मेरा शाम […]

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T-29/53-2 ओज पर तुझको देखना है-“समर कबीर”

ओज पर तुझको देखना है मुझे पत्र में उसने ये लिखा है मुझे नस्ले-नौ से मदद का तालिब हूँ बुर्ज नफ़रत का तोड़ना है मुझे क्या कहूँ, कब मिलेगा मीठा फल सब्र करना तो आ गया है मुझे आज तेरे बग़ैर ये जीवन नर्क जैसा ही लग रहा है मुझे लाख दुश्वारियाँ हों, जाऊँगा इश्क़ […]

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T-29/52 वो कि मुड़-मुड़ के देखता है मुझे-आशीष नैथानी ‘सलिल’

वो कि मुड़-मुड़ के देखता है मुझे ये ख़मोशी बड़ी सदा है मुझे चाँद तारों से दोस्ती है मिरी मुद्दतों से मुग़ालता है मुझे तुमको खो कर बिखर गया हूँ मैं मेरा होना भी सालता है मुझे बहता दरिया उछालकर बूँदें ख़ामुशी से जगा रहा है मुझे ज़िन्दगी तेरे ग़म कहूँ किससे किसने आराम से […]

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T-29/51 तुमने अपना जो कह दिया है मुझे-राहुल ‘राज’

तुमने अपना जो कह दिया है मुझे आइना रोज़ देखता है मुझे सामने वाले घर में रहता है चाँद छत पर अभी दिखा है मुझे पढ़ सको तो पढ़ो मिरी आँखें इनमें सब है जो बोलना है मुझे मैं मुहब्बत के रास्ते पर हूँ ‘अपने अंजाम का पता है मुझे’ दर्द, तन्हाई, अश्क का सैलाब […]

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T-29/50 उसके अहसास ने छुआ है मुझे-सत्य चंदन

उसके अहसास ने छुआ है मुझे इसका मतलब वो सोचता है मुझे इश्क़ की मैं किताब था लेकिन तेरी नज़रों ने कब पढ़ा है मुझे जब्त का हो गया हूँ जब आदी तब मयस्सर हुई दवा है मुझे ?? क्यों चले जब सफ़र से थे अनजान बस जुनूँ से यही गिला है मुझे ज़िन्दगी कुछ […]

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T-29/49 वो बिगड़ता हुआ दिखा है मुझे-मनोज मित्तल ‘कैफ़’

वो बिगड़ता हुआ दिखा है मुझे साफ़गोई मगर बजा है मुझे नाला-ए-दिल तरबफ़ज़ा है मुझे इश्क़ अब रास आ गया है मुझे दर्द को दिल में अब जगह कम है और मतलूब इक विआ है मुझे मौत फ़र्दा की बात है प अभी ज़िन्दगी तुझसे मुद्दआ है मुझे रोज़ पामाल हो रहा हूं मैं ख़्वाब, […]

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T-29/48 राहबर कैसा तू मिला है मुझे-शाहिद हसन ‘शाहिद’

राहबर कैसा तू मिला है मुझे जाने किस सम्त ले चला है मुझे लफ़्ज़ लफ़्ज़ उसने जो कहा है मुझे अपने दिल पर रकम मिला है मुझे आँसुओं की ज़बाँ भी होती है तुम से मिलकर पता चला है मुझे दोस्त को कैसे मान लूँ दुश्मन अपनी नज़रों ही से गिला है मुझे रखता है […]

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T-29/47 वो जो हर वक़्त सोचता है मुझे-रश्मि शर्मा ‘सबा’

वो जो हर वक़्त सोचता है मुझे ख़ुद से बिछड़ा हुआ मिला है मुझे एक आहट सी आती रहती है कोई तो है जो ढूंढता है मुझे अपना आग़ाज़ हो न हो लेकिन ‘अपने अंजाम का पता है मुझे’ गहरे पानी की ओर बढ़ते ही ख़ुद ब ख़ुद दरिया रोकता है मुझे हाले-दिल जब सुनाना […]

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T-29/46 इश्क़ ने क्या बना दिया है मुझे-दिनेश नायडू

इश्क़ ने क्या बना दिया है मुझे शहर का शहर ढूंढता है मुझे मैं उसी अक्स का मुसव्विर हूँ जिसने बेरंग कर दिया है मुझे हार की आह बन चुका हूँ मैं फिर भी वो गुनगुना रहा है मुझे उसकी यादों ने नज़्म की सूरत रेगज़ारों पे लिख दिया है मुझे अब मैं इस जिस्म […]

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T-29/45 रोज़ अंदेशा ताकता है मुझे-बकुल देव

रोज़ अंदेशा ताकता है मुझे मुस्कुराना तो ज़लज़ला है मुझे रास्तों के लिये हुआ मैं सरल यानी अबके सफ़र कड़ा है मुझे आ ज़रा काइनात ! हाथ बंटा उसने पूरा नहीं रचा है मुझे अक्स होता हूं उसकी आंखों में आइना ये नया नया है मुझे जल रहा है वुजूद मिस्ले-चराग़ रौशनी ही मिरी हवा […]

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T-29/44 भीगी आँखों से देखता है मुझे-शबाब मेरठी

भीगी आँखों से देखता है मुझे आइना, जाने क्या हुआ है मुझे मेरा सपना बड़ा है आँखों से फिर भी हर वक़्त देखना है मुझे दर्द है, आग है, मुहब्बत है कौन आख़िर तराशता है मुझे ज़ब्त अपनी सी करके मानेगा कुछ न कुछ आज बोलना है मुझे नाम भी शहद जैसा लगता है जब […]

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T-29/43 उसने कुछ यूँ रिहा किया है मुझे-वर्तिका

उसने कुछ यूँ रिहा किया है मुझे जैसे ख़ुद में पिरो रहा है मुझे खेल अब ये बिगाड़ना है मुझे ‘अपने अंजाम का पता है मुझे’ लत न लग जाए ख़ाब की, बचना मेरी नींदों का मशविरा है मुझे उतरा सागर उदास लगता है चाँद पानी में घोलना है मुझे मैं ने ही तो बिछाई […]

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T-29/42 वक़्त ने ज़ख़्म क्या दिया है मुझे-नासिर अली ‘नासिर’

वक़्त ने ज़ख़्म क्या दिया है मुझे दिल पे झटका सा इक लगा है मुझे ज़िंदगानी की तंगहाली ने कितना मजबूर कर दिया है मुझे क्यों न झुक कर उसे सलाम करूँ ज़ात से उसकी फ़ायदा है मुझे मैं तक़ाज़ा करूँ तो कैसे करूँ उनके हालात का पता है मुझे कैसे संवरेगा आने वाला कल […]

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T-29/41 मुझसे जो शख़्स जोड़ता है मुझे-आसिफ़ अमान

मुझसे जो शख़्स जोड़ता है मुझे उससे दरकार फ़ासला है मुझे जंग ख़ुद से कभी जहां से निबाह काम आसान कब मिला है मुझे रह के कुछ पत्थरों की सुहबत मैं मोम होना भी आ गया है मुझे वो मुझे सोचता है क्यूँ दिन-रात सीरियस हो के सोचना है मुझे लाज़मी है वफ़ा पे घबराना […]

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T-29/40 आये भी तो फ़क़त छुआ है मुझे-बिमलेन्दु कुमार

आये भी तो फ़क़त छुआ है मुझे हादिसों से यही गिला है मुझे अब न हँसता हूँ और न रोता हूँ उसने कितना बदल दिया है मुझे उससे मिलने की है यही सूरत सिर्फ़ ख़्वाबों का आसरा है मुझे छाछ पीता हूँ फूंक-फूंक के मैं चाँद की रौशनी दिया है मुझे लाख हँस दूँ तिरी […]

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T-29/39 बाद मुद्दत के वो मिला है मुझे-नीरज गोस्वामी

बाद मुद्दत के वो मिला है मुझे डर जुदाई का फिर लगा है मुझे आ गया हूँ मैं दस्तरस में तेरी अपने अंजाम का पता है मुझे क्या करूँ ये कभी नहीं कहता जो करूँ उसपे टोकता है मुझे तुझसे मिलके मैं जब से आया हूँ हर कोई मुड़ के देखता है मुझे अब तलक […]

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T-29/38 इश्क़ में तेरे क्या हुआ है मुझे-‘काविश’ हैदरी

इश्क़ में तेरे क्या हुआ है मुझे जिसको देखो वो देखता है मुझे किस क़दर दूरियां हैं उल्फ़त में तुझसे मिल कर पता चला है मुझे वही मिलता है अजनबी की तरह मुद्दतों से जो जानता है मुझे दर्द, हसरत, फ़िराक़, तन्हाई इश्क़ ने और क्या दिया है मुझे कैसे कह दूँ कि कोई रब्त […]

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T-29/37 कोई बतलाये क्या हुआ है मुझे-‘सुख़नवर’ हुसैन

कोई बतलाये क्या हुआ है मुझे जिसको देखो वो देखता है मुझे वो मेरी राह तकता रहता है ऐसा लगता है चाहता है मुझे भूल जाता हूँ रंजो-ग़म अपना वो जो ख़ुश हो के देखता है मुझे एक दिन ख़ाक ही में मिलना है ‘अपने अंजाम का पता है मुझे’ उसको फिर याद आ गयी […]

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T-29/36 ये तो अहसास हो गया है मुझे-‘शरीफ़’ अंसारी

ये तो अहसास हो गया है मुझे कोई दर पर्दा देखता है मुझे दोनों आलम में ऐ मिरे मुहसिन इक तिरा ही तो आसरा है मुझे अपना जलवा दिखा के महफ़िल में उसने दीवाना कर दिया है मुझे देखना है निभाओगे कब तक तुमने अपना तो कह दिया है मुझे शब की तन्हाई में ख़ुदा […]

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T-29/35 अपनी रफ़्तार दे गया है मुझे-देवेन्द्र गौतम

अपनी रफ़्तार दे गया है मुझे जब कोई रहनुमा मिला है मुझे वक़्त के साथ इस ज़माने में हर कोई भागता मिला है मुझे उससे मिलने का या बिछड़ने का कोई शिकवा न अब गिला है मुझे तजरबे हैं जो खींच लाते हैं वर्ना अब कौन पूछता है मुझे क्या बताएगा अब नजूमी भी ‘अपने […]

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T-29/34 जाने किस रंग ने लिखा है मुझे-मनीष शुक्ला

जाने किस रंग ने लिखा है मुझे हर कोई साफ़ देखता है मुझे कोई बैठा हुआ सितारों में अर्श की सिम्त खेंचता है मुझे तेरे होंठों पे क्यूँ नहीं आता तेरे चेहरे पे जो दिखा है मुझे मैं जिसे रास्ता दिखाता था ताक़ पर वो ही रख गया है मुझे मैंने उस पार झांकना चाहा […]

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T-29/33-2 गिरना उठना है हांफना है मुझे-असरार उल हक़ ‘असरार’

गिरना उठना है हांफना है मुझे साज़े-हर-जां पे नाचना है मुझे वो रिदा-ए-हुनर हो काश नसीब अपना हर ऐब ढांपना है मुझे आप वादा वफ़ा करें, न करें रात भर यूँ भी जागना है मुझे एक कुहसार मैंने काट लिया एक कुहसार काटना है मुझे थक चुका चीख़-चीख़ कर सबको अब तो ख़ुद को पुकारना […]

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T-29/32-2 बारहा ख़ाब में मिला है मुझे-अभय कुमार ‘अभय’

बारहा ख़ाब में मिला है मुझे जाने कब से वो जानता है मुझे हादसों से कहाँ गिला है मुझे आज हर ग़म का हौसला है मुझे आँधियों में चराग़े-ग़म की बिसात इक तिरा ही तो आसरा है मुझे जिसको ढूंढा है आसमानों तक दिल के नज़दीक ही मिला है मुझे दूर रह कर क़रीब थे […]

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T-29/31 क्या बताऊँ कि क्या हुआ है मुझे-गोविन्द गुलशन

क्या बताऊँ कि क्या हुआ है मुझे आइना रास आ गया है मुझे वो ही ले जाएगा जहाँ चाहे एक जो रास्ता मिला है मुझे कौन दुश्मन से जाके मिलता है कौन अपना है सब पता है मुझे मैं अगर टूट कर बिखर जाऊँ मेरा दिल ही समेटता है मुझे हद भी होती है बेवफ़ाई […]

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T-29/30 सुर बुरा है न कुछ भला है मुझे-असरार उल हक़ ‘असरार’

सुर बुरा है न कुछ भला है मुझे वक़्त का राग अलापना है मुझे दिल है गुमकरदा-रह पता है मुझे और अब दिल ही रहनुमा है मुझे जाने कैसा उसे दिखाई दूँ अपने क़द से वो नापता है मुझे चक दर चाक हूँ मैं कोशिशे-जां ज़िन्दगी ने बहुत सिया है मुझे चाहता हूँ मैं अपनी […]

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T-29/29 ये नया तजरुबा हुआ है मुझे-इरशाद ख़ान सिकंदर

ये नया तजरुबा हुआ है मुझे चाँद ने चूमकर पढ़ा है मुझे अपनी पीठ आप थपथपाता हूँ इश्क़ पर आज बोलना है मुझे देखिये क्या नतीजा हाथ आये वो गुणा-भाग कर रहा है मुझे मुझको जी भर के तू बरत ऐ दिन शाम होते ही लौटना है मुझे आपका साया भी वहीँ उभरा रौशनी ने […]

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T-29/28 ज़ो’म का ही तो आरिज़ा है मुझे-मुहम्मद ‘आज़म’

ज़ो’म का ही तो आरिज़ा है मुझे मेरा मैं ही तो खा गया है मुझे मैं तलबगार था मसर्रत का दफ्तरे-रंजो-ग़म मिला है मुझे आतिशे-ज़ेरे-पा ठहरने न दे अब तो मंज़िल भी रास्ता है मुझे दर्द तो कम नहीं मगर इस ने ख़ूगरे-सब्र कर दिया है मुझे ख़ुदग़रज़, बेवफा, हक़ीरो-फक़ीर उस ने क्या क्या नहीं […]

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T-29/27 एक डर सा लगा हुआ है मुझे-प्रखर मालवीय ‘कान्हा’

एक डर सा लगा हुआ है मुझे वो बिना शर्त चाहता है मुझे खुल के रोने के दिन तमाम हुए अब मिरा ज़ब्त देखना है मुझे मशविरे आप अपने पास रखें ‘अपने अंजाम का पता है मुझे’ सोचता हूँ कि शह्र छोड़ ही दूँ यां पे हर शख़्स जानता है मुझे मर रहा हूँ इसी […]

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T-29/26 साल ये कौन सा नया है मुझे-आलोक मिश्रा

साल ये कौन सा नया है मुझे वो ही गुज़रा, गुज़ारना है मुझे चौक उठता हूँ आँख लगते ही कोई साया पुकारता है मुझे क्यों बताता नहीं कोई कुछ भी आख़िर ऐसा भी क्या हुआ है मुझे तब भी रौशन था लम्स से तेरे वरना कब इश्क़ ने छुआ है मुझे आदतन ही उदास रहता […]

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T-29/25 कोई अपना है चाहता है मुझे-सलीम सरमद

कोई अपना है चाहता है मुझे और इसी बात का नशा है मुझे शब की चौखट पे पैर रखते ही शब ने बाहों में भर लिया है मुझे हो अगर शाम अपने क़स्बे में देर तक चाँद देखता है मुझे अपनी हर इब्तिदा से वाकिफ़ हूँ ‘अपने अंजाम का पता है मुझे’ मैंने भी एहतियात […]

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T-29/24 अपने माज़ी को भूलना है मुझे – समर कबीर

अपने माज़ी को भूलना है मुझे बैख़ुदी तेरा आसरा है मुझे ज़िन्दगी के भी कुछ तक़ाज़े हैं आख़िरत भी सँवारना है मुझे जानते हो कि टाट हूँ फिर भी तुमने मख़मल में सी दिया है मुझे रात जब लेटता हूँ बिस्तर पे कोई अंदर से मारता है मुझे शायरी में पयाम देता हूँ काम रब […]

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T-29/23 सच को कहने का होसला है मुझे – मोनी गोपाल ‘तपिश’

सच को कहने का होसला है मुझे अपने अंजाम का पता है मुझे ! उसने रग़बत से हाथ खीँच. लिया अब कहाँ कोई सोचता है मुझे ! नींद से ख्वाब हो गए रुखसत ज़िंदगी जैसे इक. सज़ा है मुझे ! दोस्ती का भरम ही तोड़ दिया इन दिनों जाने क्या हुआ है मुझे ! जिसकी […]

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T-29/22 आसमां भी पुकारता है मुझे-सीमा शर्मा मेरठी

आसमां भी पुकारता है मुझे आशियाँ भी लुभा रहा है मुझे अक़्स आख़िर कहाँ गया मेरा आइना क्यों छिपा रहा है मुझे मुझमें सूरज उगा के चाहत का वो सवेरा बना गया है मुझे ग़म की बारिश से बन गयी दरिया इक समन्दर बुला रहा है मुझे सुब्ह की सर्द सी फ़िज़ा थी मैं ग़म […]

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T-29/21 रोज़ रह-रह के सोचता है मुझे – नवीन

रोज़ रह-रह के सोचता है मुझे। यानि अब तक भुला रहा है मुझे॥ वो भी तो वक़्त का सताया है। फिर भला क्यों सता रहा है मुझे॥ अब रिहाई बहुत ज़ुरूरी है। कोई आवाज़ दे रहा है मुझे॥ ये तरावट ये लम्स1 अदभुत है। कौन साहिल प लिख रहा है मुझे॥ दिन-ब-दिन दर्द में इज़ाफ़ा […]

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T-29/20 वक़्त ने जब से पा लिया है मुझे – शफ़ीक़ रायपुरी

वक़्त ने जब से पा लिया है मुझे। हर घड़ी आज़मा रहा है मुझे॥ ताजे-शुहरत अगर मिला है मुझे। मेरे उस्ताज़ की दुआ है मुझे॥ दश्ते-तनहाई में ख़ुदा जाने। कौन है जो पुकारता है मुझे॥ हक़-बयानी प मारा जाऊँगा। “अपने अञ्ज़ाम का पता है मुझे”॥ मैं सदाक़त से फिर नहीं सकता। कोई अन्दर से टोकता […]

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T-29/19 ख़ुश्बुओं ने उठा लिया है मुझे – गौतम राजरिशी

ख़ुश्बुओं ने उठा लिया है मुझे गिरा रूमाल इक मिला है मुझे चुप खड़ी रह गई है साँस मेरी उसने नज़रों से कस लिया है मुझे बस तुम्हें ? बस तुम्हें ही सोचूँ मैं ? इश्क़ इतना नहीं हुआ है मुझे हँस पड़ी है मेरी उदासी भी तुमने मिस-काॅल जो दिया है मुझे ताक पर […]

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T-29/18 इस ज़माने से कब गिला है मुझे-आयुष शर्मा ‘चराग़’

इस ज़माने से कब गिला है मुझे ग़म तो कुछ और सालता है मुझे मेरी अपनी ज़रूरतें भी हैं आप ने क्या समझ रखा है मुझे दोस्त बाक़ी तो सिर्फ़ नाम के थे ग़म तो बस आपसे मिला है मुझे जान देने को प्यार कहते हो प्यार तो इससे भी सिवा है मुझे मुझको अंजाम […]

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T-29/17 आपका ग़म अगर अता है मुझे-अभय कुमार ‘अभय’

आपका ग़म अगर अता है मुझे मेरे हर दर्द की दवा है मुझे क़तरा-क़तरा लहू है नश्शा-ए-मय उम्र ने उम्र भर पिया है मुझे क्या ज़ुरूरत है ख़ुद को देखूं मैं देखने वाला देखता है मुझे तुझको महवे-सितम भी देख लिया और क्या है जो देखना है मुझे हर घड़ी तुझको सोचता हूँ मैं क्या […]

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T-29/16 मौत इस रोग में शिफ़ा है मुझे-रौशन बनारसी

मौत इस रोग में शिफ़ा है मुझे ज़हर दे दो कि ये दवा है मुझे तेरे आग़ाज़ का हवाला हूँ ‘अपने अंजाम का पता है मुझे’ ये धनक है मुझे तिरी तहरीर ये शफ़क़ भी तिरी सदा है मुझे मैं गिलाकश किसी का क्या हूंगा शहर में कौन जानता है मुझे तुम सलामत रहो हज़ार […]

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T-29/15 ज़िन्दगी बस तिरा नशा है मुझे-सौरभ शेखर

ज़िन्दगी बस तिरा नशा है मुझे मयकशी-वयकशी से क्या है मुझे हिचकियाँ आ रही हैं पहरों से याद ये कौन कर रहा है मुझे पाक़ लोगों की सुहबतें तौबा कुफ़्र ही कुफ़्र सूझता है मुझे मुझको आँखें बचा के रखनी हैं कितना कुछ और देखना है मुझे घर में फुर्सत का आज इक लम्हा इत्तिफाकन […]

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T-29/14 तेरे चेहरे से लग रहा है मुझे-साबिर उस्मानी

तेरे चेहरे से लग रहा है मुझे दिल ही दिल में तू चाहता है मुझे हर तरफ़ नूर सा नज़र आये कोई बिछड़ा हुआ मिला है मुझे हर कोई देख कर हँसे मुझे पर इक तमाशा बना दिया है मुझे दिल की दुनिया तबाह की जिसने पूछता है वो क्या हुआ है मुझे खोल कर […]

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T29/13 उस की आँखों ने फिर ठगा है मुझे-अंकित सफ़र

उस की आँखों ने फिर ठगा है मुझे हिज्र इस बार भी मिला है मुझे जिस्म नीला पड़ा है शब से मिरा साँप यादों का डस गया है मुझे नींद बैठी है कब से पलकों पर और इक ख़्वाब देखता है मुझे ज़िन्दगी की तवील राहों पर उम्र ने रास्ता किया है मुझे एक उम्मीद […]

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T-29/12 कब कोई शख़्स जानता है मुझे-पवन कुमार

कब कोई शख़्स जानता है मुझे फिर भी दुनिया से साबक़ा है मुझे अपने आगाज़ का पता ही नहीं ‘अपने अंजाम का पता है मुझे’ एक आवाजे़-बाज़गश्त हूँ मैं आपने क्या कभी सुना है मुझे जिसको मैंने दुआएँ दी बरसों ये सुना है वो कोसता है मुझे कोई तस्वीर ही नहीं मेरी जाने किस रंग […]

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T-29/11 लानतें बाप की, दुआ मां की- मयंक अवस्थी

बस सितारों का आसरा है मुझे देने वाले ने ये दिया है मुझे क्या कहूं तेरे शाहकारों को तेरा पत्थर भी देवता है मुझे मेरे दरिया !! तेरा हुबाब हूं मैं “अपने अंजाम का पता है मुझे” जबकि छुपकर गुनाह करता हूँ कोई चुपचाप देखता है मुझे लानतें बाप की, दुआ मां की कितने रंगों […]

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T-29/10 तू भी अब दिल से चाहता है मुझे-नवनीत शर्मा

तू भी अब दिल से चाहता है मुझे देख क्या वहम हो गया है मुझे तेरी यादों से लाल है दरिया फिर ग़ज़ब ये कि तैरना है मुझे हां ! मैं अपना ख़याल रख लूंगा तू मगर क्यों ये कह रहा है मुझे तेरे बीहड़ में शाम कर डाली सोच ले! कैसे लूटना है मुझे […]

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T-29/9 उस ने क्यूँ कर भुला दिया है मुझे-मुनव्वर अली ‘ताज’

उस ने क्यूँ कर भुला दिया है मुझे इस का अहसास अब हुआ है मुझे अपने आगाज़ से लगा है मुझे अपने अंजाम का पता है मुझे ख़ुशकलामी ने ख़ुदकुशी क्यों की बदकलामी से पूछना है मुझे ख़ुशगुमानी की चाह में अपनी बदगुमानी को छोड़ना है मुझे हमवतन और जान का दुश्मन इस अदावत को […]

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T-29/8 सारी शब ढूंढता फिरा है मुझे-पूजा भाटिया

सारी शब ढूंढता फिरा है मुझे ख़ाब इक चाहने लगा है मुझे अब तो कुछ भी हो डर नहीं लगता “अपने अंजाम का पता है मुझे” मैं उसे देखती रहूं इक टुक यानी बस उस को देखना है मुझे अब वो डरता है, खो न जाऊं मैं उसने ख़ुशबू बहुत लिखा है मुझे जिसने खोया […]

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T-29/6 ऐसे ख्वाबों से वास्ता है मुझे-‘नाज़िम’ नक़वी

ऐसे ख्वाबों से वास्ता है मुझे जिनकी ख़ाहिश में जागना है मुझे क्यों मुझे भी नज़र नहीं आता वो जो हर वक़्त देखता है मुझे सबसे रिश्ता बनाने लगता हूँ ये अजब रोग लग गया है मुझे यूँ छिपा फिरता हूँ ज़माने से जैसे हर शख़्स जानता है मुझे मैं कोई फ़ैसला नहीं लूँगा सारा […]

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