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T-33/27 दर्द पर इख़्तियार करना था. शबाब मेरठी

दर्द पर इख़्तियार करना था,
उनको बेरोज़गार करना था.

रौशनी इश्तिहार मैख़ाने,
सबको मेरा शिकार करना था.

उसने वादा किया था फिर मुझसे,
फिर मुझे इंतज़ार करना था.

इक बहाना था मुस्कुराना तो,
यास को ग़मगुसार करना था.

धूप का काम सब दरारों को,
सुब्ह का इश्तिहार करना था.

इश्क़ का काम ही अनारकली,
बादशाहत पे वार करना था.

सिर्फ़ घर की तलाश में मुझको,
शेरियत को निसार करना था.

शबाब मेरठी

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One comment on “T-33/27 दर्द पर इख़्तियार करना था. शबाब मेरठी

  1. रौशनी इश्तिहार मैख़ाने,
    सबको मेरा शिकार करना था.

    Bhai jaan dheron daad kabool Karen … kya khoob ghazal kahi hai aapne..waah waah waah .

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