2 Comments

खुले में छोड़ रखा है मगर सलीक़े से-राज़िक़ अंसारी

खुले में छोड़ रखा है मगर सलीक़े से
बंधे हुए है परिंदों के पर सलीक़े से

हमीं पे फ़र्ज़ नहीं सिर्फ़ हक़ पड़ोसी का
तुम्हें भी चाहिए रहना उधर सलीक़े से

कभी की हालते-बीमारे-दिल संभल जाती
इलाज करते अगर चारागर सलीक़े से

हमारे चाहने वाले बहुत ही नाज़ुक हैं
हमारी मौत की देना ख़बर सलीक़े से

बहुत सी मुश्किलें हाइल थीं राह में लेकिन
तमाम उम्र किया है सफ़र सलीक़े से

राज़िक़ अंसारी 09827616484

About Lafz Admin

Lafzgroup.com

2 comments on “खुले में छोड़ रखा है मगर सलीक़े से-राज़िक़ अंसारी

  1. हमीं पे फ़र्ज़ नहीं सिर्फ़ हक़ पड़ोसी का
    तुम्हें भी चाहिए रहना उधर सलीक़े से
    Wahhhhhhh Wahhhhhhh
    Dili daad qubul kijiye ansari sahab

Leave a reply to imranhusainazad Cancel reply