साहिबो, तरही महफ़िल का मिसरा निकालने का समय आ गया है। दिल्ली में अरविन्द केजरीवाल, उनके वाचाल साथी योगेन्द्र यादव, प्रशांत भूषण, खामखा के आतंरिक लोकपाल रामदास जी घमासान के रण में जूझ रहे हैं। वहीँ से मुझे एक ज़मीन सूझी है।। मुझे लगता है आपको इस ज़मीन पर काम करने में मज़ा आएगा। ग़ज़लें पोस्ट करने की तारीख़ 10 अप्रैल रखते हैं और समापन 30 अप्रैल को करेंगे। पहली से दस अप्रैल तक इस 10 दिन के पीरियड में अन्य गज़लें पोस्ट होती रहेंगी मगर 10 के बाद 30 अप्रैल तक तरही की हलचल रहेगी.
तुफ़ैल चतुर्वेदी
मिसरा तरह :- ये ज़ख़्मे-दिल है इसकी दवाई हुई तो है
तक़तीअ :- मफ़ऊल फ़ाइलात मफ़ाईल फ़ाइलुन 1 1 2 1 -2 1 2 1- 12 2 1- 2 1 2
क़ाफ़िये :- सफ़ाई, निभाई, हराई, लड़ाई, काई, गाई,
इस ज़मीन में कुछ शेर जो मैंने ज़मीन को परखने के लिए कहे वो मूड बनाने के लिए हाज़िर हैं
भूषण की फांय-फांय की आई हुई तो है
अरविन्द जी की ‘आप’ लुगाई हुई तो है
कैसे छुपाइयेगा बता देगी टेढ़ी टांग
रमज़ान चौधरी की कुटाई हुई तो है
क़ताबंद शेर
करने से मनअ होगा क्या भुस भर दिया गया
फिर रख के डॉट कस के सिलाई हुई तो है
मुंडी झुका के देखिये योगेन्द्र जी ज़रा
टांके सही लगे हैं, कसाई हुई तो है
सबसे बड़ा अघोरी बचा फिरता था सो आज
आनंद की भी आज सुताई हुई तो है
घण्टा पकड़ के बैठे रहो घर में रामदास
तुम और लोकपाल में खाई हुई तो है
यह तरही अब तक की सबसे खतरनाक तरही है। मिसरे बुनते वक़्त रदीफ़ झूल न जाये इस बात का ख़ास ख़याल रखना होगा।