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T-22/11 शाम होते ही बिखर जाना है-प्रखर मालवीय ‘कान्हा’

शाम होते ही बिखर जाना है
क्या यही इश्क़ का हरजाना है?

मैंने आँखों को समंदर समझा
और अश्कों को गुहर जाना है

आग ओढूंगा जुनूँ में इक दिन
अब ज़माने को सिहर जाना है

सुर्ख़ होना है मिरे बोसों से
रंग गालों का निखर जाना है

बात आयी है जुनूँ पर मेरे
‘आज हर हद से गुज़र जाना है ‘

आप रहने दो ये ज़हमत साहब
खुद ही पत्थर पे ये सर जाना है

सुब्ह सोचा कि भला है ग़म ही
रात सोचा था उबर जाना है

ये सड़क घर की तरफ़ जायेगी
देखता हूँ कि किधर जाना है

अब किसी के न उजाड़े उजड़ें
हमने जीने का हुनर जाना है

नींद में भी मैं तिरी जानिब था
दिल सुझाता था किधर जाना है

बावला लड़का मिरे अन्दर का
ज़िद पे बैठा है कि मर जाना है

चीख़ लूँ आज तिरे संग के कल
फिर से सन्नाटा पसर जाना है

काटे से कटती नहीं है ये रात
कल हमें शह्र से घर जाना है

ज़िन्दगी एक सफ़र है ‘कान्हा’
ख़ूब चलना है… ठहर जाना है

प्रखर मालवीय ‘कान्हा’ 09911568839

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42 comments on “T-22/11 शाम होते ही बिखर जाना है-प्रखर मालवीय ‘कान्हा’

  1. शाम होते ही बिखर जाना है
    क्या यही इश्क़ का हरजाना है?

    मैंने आँखों को समंदर समझा
    और अश्कों को गुहर जाना है
    Kya baat hai..

    • शाम होते ही बिखर जाना है
      क्या यही इश्क़ का हरजाना है?

      मैंने आँखों को समंदर समझा
      और अश्कों को गुहर जाना है
      Kya baat hai..

  2. मतले से मक्ते तक पूरी ग़ज़ल ही अच्छी हुई है..बावला लड़का वाला शेर बहुत पसंद आया…

  3. ज़िन्दगी एक सफ़र है ‘कान्हा’
    ख़ूब चलना है… ठहर जाना है ……….वाह कान्हा भाई क्या कहने हैं उम्दा ग़ज़ल दिली दाद

  4. bahut hi behtareen sheron se saji umda gazal…….

  5. प्रखर मेरे भाई! जितनी समझ मुझे शायरी की है, सारे शेर दिल को छूने वाले हैं..बस यूं ही कहते जाओ!

  6. बात आयी है जुनूँ पर मेरे
    ‘आज हर हद से गुज़र जाना है ‘ KHOOB GIRAH LAGI HAI Prakhar Malviya ‘kanha’ BADHAYI

  7. मैंने आँखों को समंदर समझा
    और अश्कों को गुहर जाना है… बहोत ख़ूब… आपने हरजाना भी बांधा… बहोत ख़ूब…

  8. is qadar badhiya ghazal kehne ka
    kaise ‘kanha ji’ hunar jana hai ?

    WAh, kya achcha kalam hai.

  9. आग ओढूंगा जुनूँ में इक दिन
    अब ज़माने को सिहर जाना है

    kya baat hai prakhar waah waahh
    puri gazal hi umda hai

    dili daad

  10. वाह कान्हा वाह….ज़िंदाबाद
    क्या ख़ूब अशआर पेश किए हैं …बहुत खूब

  11. आप रहने दो ये ज़हमत साहब
    खुद ही पत्थर पे ये सर जाना है | क्या कहने.. वाह.वाह !!

    बावला लड़का मिरे अन्दर का
    ज़िद पे बैठा है कि मर जाना है

    ज़िन्दगी एक सफ़र है ‘कान्हा’
    ख़ूब चलना है… ठहर जाना है

    बहुत अच्छी ग़ज़ल कही है भाई, बहुत खूब !!

  12. शाम होते ही बिखर जाना है
    क्या यही इश्क़ का हरजाना है?
    इब्तिदाये इश्क़ है रोता है क्या
    आगे आगे देखिये होता है क्या !!
    बेशक ये इश्क़ का प्रतिफल है इसे इनआम कहिये या हरजाना !!!
    मैंने आँखों को समंदर समझा
    और अश्कों को गुहर जाना है
    वाह वाह !!!
    आग ओढूंगा जुनूँ में इक दिन
    अब ज़माने को सिहर जाना है
    भई डराओ मत !! मिडिल ईस्ट की याद आ रही है !!! ( शेर अच्छा है )
    बात आयी है जुनूँ पर मेरे
    ‘आज हर हद से गुज़र जाना है ‘
    बढिया गिरह !! अना का शेर है !!
    आप रहने दो ये ज़हमत साहब
    खुद ही पत्थर पे ये सर जाना है
    लहजा काबिले तारीफ है !!!
    सुब्ह सोचा कि भला है ग़म ही
    रात सोचा था उबर जाना है
    दिल गया रौनके हयात गई
    गम गया सारी कायनात गई !!! –जिगर
    ये सड़क घर की तरफ़ जायेगी
    देखता हूँ कि किधर जाना है
    आवारगी का एक हासिल ये है कि आपके पास दुनिया की सबसे कीमती चीज़ वक़्त !! –वक़्त ही वक़्त होता है !!!!
    अब किसी के न उजाड़े उजड़ें
    हमने जीने का हुनर जाना है
    येस !!! स्वनिर्मिति जीवन का उद्देश्य होना चाहिये !!! प्रस्ंगवश एक चुटकुला !!
    एक बार एक अविवाहित सज्जन 100 बरस के हुये तो उनसे उनकी लम्बी अयु का रहस्य पूछा गया !! तो उन्होने जवाब दिया –जाको राखे साइयाँ , मार सके न कोय !!!
    ज़िन्दगी एक सफ़र है ‘कान्हा’
    ख़ूब चलना है… ठहर जाना है
    फल्सफहा दुरुस्त है !!
    ‘कान्हा’ !! खूब शेर कहे और एक से बढ कर एक कहे बहुत खूब बहुत खूब !! –मयंक

  13. मैंने आँखों को समंदर समझा
    और अश्कों को गुहर जाना है

    आग ओढूंगा जुनूँ में इक दिन
    अब ज़माने को सिहर जाना है

    सुर्ख़ होना है मिरे बोसों से
    रंग गालों का निखर जाना है
    कान्हा जी ,क्या बात है हर एक काफ़िये ने ज़ज्बात के हज़ार रंग उकेरे है ,मज़ा आ गया |वा…ह ,ढेरों ढेरों दाद कबूल फरमावें |सादर |

  14. आप रहने दो ये ज़हमत साहब
    खुद ही पत्थर पे ये सर जाना है

    नींद में भी मैं तिरी जानिब था
    दिल सुझाता था किधर जाना है

    ये शेर बेहद पसंद आए छोटे उस्ताद

  15. Is zameen meiN itne sare sher kehna aur wo bhi achche sher kehna badi baat hai.. bahot mubarak Kanha bhai!!

  16. Waaaahhhhhhhhhh waaaaaaaahhhhhh
    BAhut achi gazal kanha bhai
    Dili daad kubul kijiye

  17. वाह प्रखर भाई…बहुत खूब ग़ज़ल कही है….ढेरों मुबारकां….
    🙂

  18. kanha….
    बहुत खूबसूरत ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई। तुमने लूट लिया भाई। अब कहने को क्‍या रह गया।
    तुम्‍हारा ही
    नवनीत

  19. Bahut achchi ghazal prakhar.
    Aap rahne do ye zahmat saahab…
    Waah.
    Kya kahne.
    Bahut mubaarak.

  20. kanha poori ghazal acchi hui hai… ye sadak ghar ki taraf..neend me bhi… aur bawla ladka to mujhe behad pasand aaaye… waah

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