शाम होते ही बिखर जाना है
क्या यही इश्क़ का हरजाना है?
मैंने आँखों को समंदर समझा
और अश्कों को गुहर जाना है
आग ओढूंगा जुनूँ में इक दिन
अब ज़माने को सिहर जाना है
सुर्ख़ होना है मिरे बोसों से
रंग गालों का निखर जाना है
बात आयी है जुनूँ पर मेरे
‘आज हर हद से गुज़र जाना है ‘
आप रहने दो ये ज़हमत साहब
खुद ही पत्थर पे ये सर जाना है
सुब्ह सोचा कि भला है ग़म ही
रात सोचा था उबर जाना है
ये सड़क घर की तरफ़ जायेगी
देखता हूँ कि किधर जाना है
अब किसी के न उजाड़े उजड़ें
हमने जीने का हुनर जाना है
नींद में भी मैं तिरी जानिब था
दिल सुझाता था किधर जाना है
बावला लड़का मिरे अन्दर का
ज़िद पे बैठा है कि मर जाना है
चीख़ लूँ आज तिरे संग के कल
फिर से सन्नाटा पसर जाना है
काटे से कटती नहीं है ये रात
कल हमें शह्र से घर जाना है
ज़िन्दगी एक सफ़र है ‘कान्हा’
ख़ूब चलना है… ठहर जाना है
प्रखर मालवीय ‘कान्हा’ 09911568839
शाम होते ही बिखर जाना है
क्या यही इश्क़ का हरजाना है?
मैंने आँखों को समंदर समझा
और अश्कों को गुहर जाना है
Kya baat hai..
शाम होते ही बिखर जाना है
क्या यही इश्क़ का हरजाना है?
मैंने आँखों को समंदर समझा
और अश्कों को गुहर जाना है
Kya baat hai..
मतले से मक्ते तक पूरी ग़ज़ल ही अच्छी हुई है..बावला लड़का वाला शेर बहुत पसंद आया…
Bahut shukriya Bimal bhai
ज़िन्दगी एक सफ़र है ‘कान्हा’
ख़ूब चलना है… ठहर जाना है ……….वाह कान्हा भाई क्या कहने हैं उम्दा ग़ज़ल दिली दाद
Bahut shukriya Balwan bhai
bahut hi behtareen sheron se saji umda gazal…….
Bahut shukriya Yogesh ji
प्रखर मेरे भाई! जितनी समझ मुझे शायरी की है, सारे शेर दिल को छूने वाले हैं..बस यूं ही कहते जाओ!
Housla afzai ka bahut shukriya dada..sadar
बात आयी है जुनूँ पर मेरे
‘आज हर हद से गुज़र जाना है ‘ KHOOB GIRAH LAGI HAI Prakhar Malviya ‘kanha’ BADHAYI
Bahut bahut shukriya Shafique sahab
-kanha
मैंने आँखों को समंदर समझा
और अश्कों को गुहर जाना है… बहोत ख़ूब… आपने हरजाना भी बांधा… बहोत ख़ूब…
Housla afzai ke liye bahut shukriya Nazim sahab..
-Kanha
is qadar badhiya ghazal kehne ka
kaise ‘kanha ji’ hunar jana hai ?
WAh, kya achcha kalam hai.
Zarra-nawazi ke liye bahut Shukriya Shahid Sahab 🙂
Kanha
आग ओढूंगा जुनूँ में इक दिन
अब ज़माने को सिहर जाना है
kya baat hai prakhar waah waahh
puri gazal hi umda hai
dili daad
Muhabbat hai bhai Apki ..dili shukriya
वाह कान्हा वाह….ज़िंदाबाद
क्या ख़ूब अशआर पेश किए हैं …बहुत खूब
बहुत बहुत शुक्रिया दादा ..सादर
आप रहने दो ये ज़हमत साहब
खुद ही पत्थर पे ये सर जाना है | क्या कहने.. वाह.वाह !!
बावला लड़का मिरे अन्दर का
ज़िद पे बैठा है कि मर जाना है
ज़िन्दगी एक सफ़र है ‘कान्हा’
ख़ूब चलना है… ठहर जाना है
बहुत अच्छी ग़ज़ल कही है भाई, बहुत खूब !!
मुहब्बत आशीष भाई …बहुत शुक्रिया 🙂
शाम होते ही बिखर जाना है
क्या यही इश्क़ का हरजाना है?
इब्तिदाये इश्क़ है रोता है क्या
आगे आगे देखिये होता है क्या !!
बेशक ये इश्क़ का प्रतिफल है इसे इनआम कहिये या हरजाना !!!
मैंने आँखों को समंदर समझा
और अश्कों को गुहर जाना है
वाह वाह !!!
आग ओढूंगा जुनूँ में इक दिन
अब ज़माने को सिहर जाना है
भई डराओ मत !! मिडिल ईस्ट की याद आ रही है !!! ( शेर अच्छा है )
बात आयी है जुनूँ पर मेरे
‘आज हर हद से गुज़र जाना है ‘
बढिया गिरह !! अना का शेर है !!
आप रहने दो ये ज़हमत साहब
खुद ही पत्थर पे ये सर जाना है
लहजा काबिले तारीफ है !!!
सुब्ह सोचा कि भला है ग़म ही
रात सोचा था उबर जाना है
दिल गया रौनके हयात गई
गम गया सारी कायनात गई !!! –जिगर
ये सड़क घर की तरफ़ जायेगी
देखता हूँ कि किधर जाना है
आवारगी का एक हासिल ये है कि आपके पास दुनिया की सबसे कीमती चीज़ वक़्त !! –वक़्त ही वक़्त होता है !!!!
अब किसी के न उजाड़े उजड़ें
हमने जीने का हुनर जाना है
येस !!! स्वनिर्मिति जीवन का उद्देश्य होना चाहिये !!! प्रस्ंगवश एक चुटकुला !!
एक बार एक अविवाहित सज्जन 100 बरस के हुये तो उनसे उनकी लम्बी अयु का रहस्य पूछा गया !! तो उन्होने जवाब दिया –जाको राखे साइयाँ , मार सके न कोय !!!
ज़िन्दगी एक सफ़र है ‘कान्हा’
ख़ूब चलना है… ठहर जाना है
फल्सफहा दुरुस्त है !!
‘कान्हा’ !! खूब शेर कहे और एक से बढ कर एक कहे बहुत खूब बहुत खूब !! –मयंक
Aapke comment ka intezar rehta hai bhaiya. bahut bahut shukriya …sneh banaye rakhiyega .apki ghazal ka muntazir hu’n..sadar
-Kanha
मैंने आँखों को समंदर समझा
और अश्कों को गुहर जाना है
आग ओढूंगा जुनूँ में इक दिन
अब ज़माने को सिहर जाना है
सुर्ख़ होना है मिरे बोसों से
रंग गालों का निखर जाना है
कान्हा जी ,क्या बात है हर एक काफ़िये ने ज़ज्बात के हज़ार रंग उकेरे है ,मज़ा आ गया |वा…ह ,ढेरों ढेरों दाद कबूल फरमावें |सादर |
Housla afzai ka bahut bahut shukriya Khursheed sahab…
-kanha
आप रहने दो ये ज़हमत साहब
खुद ही पत्थर पे ये सर जाना है
नींद में भी मैं तिरी जानिब था
दिल सुझाता था किधर जाना है
ये शेर बेहद पसंद आए छोटे उस्ताद
Sneh hai bhaiya Apka. .Bahut Bahut shukriya ..sadar
-kanha
Is zameen meiN itne sare sher kehna aur wo bhi achche sher kehna badi baat hai.. bahot mubarak Kanha bhai!!
Muhabbat hai Asif bhai apki..bahut bahut shukriya
-Kanha
Waaaahhhhhhhhhh waaaaaaaahhhhhh
BAhut achi gazal kanha bhai
Dili daad kubul kijiye
Bahut bahut Shukriya Imran Bhai
-Kanha
वाह प्रखर भाई…बहुत खूब ग़ज़ल कही है….ढेरों मुबारकां….
🙂
Bahut Shukriya anaam Bandhu 🙂
kanha….
बहुत खूबसूरत ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई। तुमने लूट लिया भाई। अब कहने को क्या रह गया।
तुम्हारा ही
नवनीत
Sneh hai bhaiya apka..bahut shukriya..apki ghazal ka muntzir hu’n..sadar
_kanha
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Bahut shukriya apka
-Kanha
Bahut achchi ghazal prakhar.
Aap rahne do ye zahmat saahab…
Waah.
Kya kahne.
Bahut mubaarak.
sneh hai bhaiya..bahut bahut shukriya..sadar
-Kanha
kanha poori ghazal acchi hui hai… ye sadak ghar ki taraf..neend me bhi… aur bawla ladka to mujhe behad pasand aaaye… waah
Sab apka aashirvaad hai dada..bahut bahut shukriya..sadar pranam
-Kanha