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T-13/7 होठों तक आकर छोटा हो जाता है-ख़ुरशीद’खैराड़ी’

होठों तक आकर छोटा हो जाता है
सागर भी मुझको क़तरा हो जाता है

इंसानों के कुनबे में, इंसां अपना
इंसांपन खोकर नेता हो जाता है

दिन क्या है, शब का आँचल ढुलका कर वो
नूरानी रुख़ बेपरदा हो जाता है

तेरी दुनिया में, तेरे कुछ बंदों को
छूने से मज़हब मैला हो जाता है

जीवन एक ग़ज़ल है, जिसमें रोज़ाना
तुम हँस दो तो इक मिसरा हो जाता है

इस दुनिया में अक्सर रिश्तों पर भारी
काग़ज़ का हल्का टुकड़ा हो जाता है

जिस दिन तुझको देख न पाऊं सच मानो
मेरा उजला दिन काला हो जाता है

नफ़रत निभ जाती है पीढ़ी दर पीढ़ी
प्यार करो गर तो बलवा हो जाता है

झूंठ कहूं, मुझमें यह ऐब नहीं यारों
गर सच बोलूं तो झगड़ा हो जाता है

काला जादू है क्या उसकी आँखों में
जो देखे उसको, उसका हो जाता है

रखता है ‘खुरशीद’ चराग़े-दिल नभ पर
उजला मौसम चौतरफ़ा हो जाता है

ख़ुरशीद’खैराड़ी’ 09413408422

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30 comments on “T-13/7 होठों तक आकर छोटा हो जाता है-ख़ुरशीद’खैराड़ी’

  1. तेरी दुनिया में, तेरे कुछ बंदों को
    छूने से मज़हब मैला हो जाता है…aahahaha..kya baat hai, wtaise to poori ghazal behad haseen hai lekin is sher ka to koi jawaab hi nahin

  2. खुर्शीद साहब,
    आदाब।
    आपको पढ़ना सुखद होता है।
    सारी ग़ज़ल अच्‍छी लेकिन ये शे’र क्‍या मैं साथ ले जाऊं ?

    जीवन एक ग़ज़ल है, जिसमें रोज़ाना
    तुम हँस दो तो इक मिसरा हो जाता है

    शुक्रिया
    नवनीत

    • आ.नवनीत सा.
      आदाब |
      ज़र्रानवाज़ी के लिए शुक्रिया |शेर पर मुहब्बत बरसाने के लिए आभार |
      स्नेह बनाये रखियेगा |
      आपका स्नेहाकांक्षी अनुज
      सादर

  3. अरे वाह-वाह क्या बला का शेर हुआ है ये वाला :-

    “जीवन एक ग़ज़ल है, जिसमें रोज़ाना
    तुम हँस दो तो इक मिसरा हो जाता है”

    फिर से वाह-वाह !

    पूरी घजाल के लिए दाद क़बूलें हुजूर !

  4. नफ़रत निभ जाती है पीढ़ी दर पीढ़ी
    प्यार करो गर तो बलवा हो जाता है

    dil ko chhoo gya ….badhai kabul farmaye’n

  5. इस दुनिया में अक्सर रिश्तों पर भारी
    काग़ज़ का हल्का टुकड़ा हो जाता है

    Kya baat kahi hai aapne… Bilkul Zameeni sach…. Bahut umda sher… Poori gazal bahut achhi hai par ye sher kya kehne…. Rishton par bhaari … Kaagaz ka halka tukda ho jata hai… Waah.. Bahut mubarakbaad 🙂

    • आ.दिनेश सा ,शेर पर आशीर्वाद का हाथ रखने के लिए तहेदिल से आभार |नाचीज़ की अदना सी कोशिश आपके पिन्दारे नज़र हुई इसके लिय शुक्रगुज़ार हूं

  6. खुर्शीद साहब

    पूरी ग़ज़ल अच्छी है .
    जीवन एक ग़ज़ल है, जिसमें रोज़ाना
    तुम हँस दो तो इक मिसरा हो जाता है
    इस शेर पर सैकड़ों दाद !!!!!!

    • आ.पवन सा ,आपकी मुहब्बत भरी दाद सर आँखों पर |तहेदिल से आभार मुहब्बत बनाये रखियेगा
      सादर

  7. होठों तक आकर छोटा हो जाता है
    सागर भी मुझको क़तरा हो जाता है
    यह शदीद प्यास या तृष्णा का मंज़र है !मतले पर दाद !!
    दिन क्या है, शब का आँचल ढुलका कर वो
    नूरानी रुख़ बेपरदा हो जाता है
    सुबह का मंज़र है और जो मानवीकरण किया गया है उसने एक नितांत नये ज़ाविये से इस मंज़र को देखा है – शेर के अनुमोदन में एक शेर कहूँगा जिसमें सूरज शाम और शफक से एक बेहतरीन तस्वीर बनाई गई है –
    आरिज़े शाम की सुर्ख़ी ने किया फाश उसे
    पर्दा ए अब्र में था आग लगाने वाला
    तेरी दुनिया में, तेरे कुछ बंदों को
    छूने से मज़हब मैला हो जाता है
    सामाजिक सरोकार की बात है छुआ छूत के विरोध में यह शेर खड़ा है –एक बहुत महीन फर्क इस शेर की दिशा भी बदल सकता है सिर्फ बन्दों को की जगह बन्दों के –कीजिये –और देखिये शेर की दिशा बदल जायेगी
    तेरी दुनिया में, तेरे कुछ बंदों के
    छूने से मज़हब मैला हो जाता है
    तब यह मंतिक को चैलेंज करने वाला शेर हो जाता !!! लेकिन खुर्शीद सहब ने शफ़्फ़ाफ़ शेर कहा है !!!

    इस दुनिया में अक्सर रिश्तों पर भारी
    काग़ज़ का हल्का टुकड़ा हो जाता है
    यह हल्का टुकड़ा – रूपया है !!
    नफ़रत निभ जाती है पीढ़ी दर पीढ़ी
    प्यार करो गर तो बलवा हो जाता है
    बहुत सुन्दर बहुत सुन्दर आसान और खरा शेर !!
    खुर्शीद साहब बहुत बहुत बधाई आपको !! आपकी यह गज़ल भी बहुत खूबसूरत आई है इस पोर्टल पर –मयंक

    • आ .मयंक सा
      ज़र्रानवाज़ी के लिये तहे दिल से शुक्रगुज़ार हूं |आपकी हमसायगी में नाचीज़ के अशहार थोड़े बहुत निखर जायें तो मै कृतार्थ हो जाऊंगा |दरअसल फ़ौरी तौर पर कहे गये अशहार का कुछ थोडा बहुत अक्स आपकी इतनी पुरनवाज़िश व्याख्या के बाद ही उभरा है |तहेदिल से आभार |
      सादर
      आपका स्नेहाकांक्षी अनुज

  8. ख़ुर्शीद साहब बहुत खूब! तमाम ग़ज़ल पसंद आई!
    इस दुनिया में अक्सर रिश्तों पर भारी
    काग़ज़ का हल्का टुकड़ा हो जाता है

    नफ़रत निभ जाती है पीढ़ी दर पीढ़ी
    प्यार करो गर तो बलवा हो जाता है …क्या कहने!

    • आ.सौरभ शेखर सा.
      सादर प्रणाम
      ज़र्रानवाज़ी के लिए शुक्रिया ,मुझ नातवां का हाथ थामे रहियेगा

  9. umdaa ghazal hui hai khursheed sahab…
    जीवन एक ग़ज़ल है, जिसमें रोज़ाना
    तुम हँस दो तो इक मिसरा हो जाता है
    bahut pasand aaya ye she’r… maqta bhi bahut khoob hua hai… daad qubulen….

    • आ .स्वप्निल सा
      सादर प्रणाम
      नाचीज़ के महज़ूल प्रयास को आपका आशीर्वाद मिला ,इसके लिए बहुत शुक्रगुज़ार हूं
      स्नेह बनाये रखियेगा

  10. होठों तक आकर छोटा हो जाता है
    सागर भी मुझको क़तरा हो जाता है
    xx
    इस दुनिया में अक्सर रिश्तों पर भारी
    काग़ज़ का हल्का टुकड़ा हो जाता है
    xx
    काला जादू है क्या उसकी आँखों में
    जो देखे उसको, उसका हो जाता है
    vazandaar she’r.Bahut Khoob. Magar Tarahi she’r nazar n aaya!

    • आ .सिद्दनाथ सा
      सादर प्रणाम ,तहेदिल से आभार आपने तरही शेर के बाबत ख़ूब सावचेत किया शुक्रिया आगामी मौकों पर
      इसका ध्यान रखूँगा बगैर तरही शेर के ,तरही की ग़ज़ल के मूल शायर सा का अनादर करने की मंशा बिल्कुल नहीं है (मंच की अनुमति की प्रार्थना के साथ कोशिश करता हूं)
      सागर दरिया सपनें जीवन गुलशन मन
      ‘धीरे धीरे सब सहरा हो जाता है ‘
      आदाब

  11. होठों तक आकर छोटा हो जाता है
    सागर भी मुझको क़तरा हो जाता है…क़्य खूब

    दिन क्या है, शब का आँचल ढुलका कर वो
    नूरानी रुख़ बेपरदा हो जाता है

    तेरी दुनिया में, तेरे कुछ बंदों को
    छूने से मज़हब मैला हो जाता है…वाह ,वाह ,बेहद खूबसूरत

    जीवन एक ग़ज़ल है, जिसमें रोज़ाना
    तुम हँस दो तो इक मिसरा हो जाता है। …”आमीन ”

    इस दुनिया में अक्सर रिश्तों पर भारी
    काग़ज़ का हल्का टुकड़ा हो जाता है

    जिस दिन तुझको देख न पाऊं सच मानो
    मेरा उजला दिन काला हो जाता है

    नफ़रत निभ जाती है पीढ़ी दर पीढ़ी
    प्यार करो गर तो बलवा हो जाता है। क़्या कहने ! sabhi sher laazwaab hai ,bahut khoob

    • आ .आलोक सा इतने तफ़सील से एक एक शेर पर तारीफ़ों के फूल बरसाकर आपने मेरे नातवां शानों पर और भी बेहतर करने का बोझ डाल दिया है ,मालूम नही कहाँ तक निभा पाऊंगा
      तहेदिल से आभार

  12. काला जादू है क्या उसकी आँखों में
    जो देखे उसको, उसका हो जाता है

    Waah. sundar gazal..

  13. तेरी दुनिया में, तेरे कुछ बंदों को
    छूने से मज़हब मैला हो जाता है

    जीवन एक ग़ज़ल है, जिसमें रोज़ाना
    तुम हँस दो तो इक मिसरा हो जाता है

    एक नयी बयार बह रही है। इस साईट पर कुछ नया हो रहा है। तुफैल साहब को साधुवाद। ऐसे शेर जो real life के सत्य से निकलते हैं, सीधे मन में बस जाते हैं।

    • आ .राज मोहन सा मेरे फ़ौरी तौर पर कहे गए कमज़ोर से अशहार को आपने जो इज्ज़त बक्शी है ,यह मेरे राहे अदब के सफ़र में मील का पत्थर साबित होगी
      बहुत शुक्रगुज़ार हूं
      आदाब

  14. Khurshid Saheb:
    Vah janab vaah…

  15. बहुत मज़े का शेर, वाह,वाह

    • आदरणीय तुफैल सा ,प्रणाम
      होस्लाफजई के लिए शुक्रिया ,नाचीज़ के अदने से प्रयास को प्रोत्साहित करके आपने फराखदिली की बानगी पेश की है
      सादर

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