Ashwini Sharma
T-13/6 शाम का चेहरा जब धुँधला हो जाता है-अश्वनी शर्मा
शाम का चेहरा जब धुँधला हो जाता है मन भारी भीगा-भीगा हो जाता है यौवन, चेहरा, आँखें बहकें ही बहकें रंग हिना का जब गाढ़ा हो जाता है यकदम मर जाना,क्या मरना,यूँ भी तो ‘धीरे धीरे सब सहरा हो जाता है’ सपने की इक पौध लगाओ जीवन में सुनते हैं ये पेड़ बड़ा हो जाता […]
T-10/20 सांस अब फूल फूल जाती है-अश्वनी शर्मा
सांस अब फूल फूल जाती है रस्म है ज़िन्दगी निभाती है एक सैलाब ले के सीने में ये नदी गीत गुनगुनाती है थाम कर हाथ साथ चल देखो सुब्ह हर इक किरण बुलाती है झिडकियों से झिझकता हूँ जिस की हौसला वो ही फिर बढ़ाती है सुब्ह को जागने से कुछ पहले नींद कुछ देर […]
T-3/15 -कसौटी पर लिया जो आजमा तो-अश्वनी शर्मा
कसौटी पर लिया जो आजमा तो पता उस ने दिया औकात का तो नहीं कोई शिकायत है यकीनन मगर अहसान हो अहसान सा तो नदी तोड़े किनारा भागती है समन्दर भी अगर ऐसा हुआ तो घड़ी में बांधते हो ,बाँध लो जी हुआ ये वक्त थोडा सिरफिरा तो किनारा ढूँढता है वो ज़मीं का किनारा […]
T-2/28 दलालों का हुनर फिर से चला क्या- अश्वनी शर्मा
दलालों का हुनर फिर से चला क्या हुआ बाजार में सौदा मेरा क्या टिटहरी आसमां पंजे में लेकर कहे है आसमां होता भला क्या फुदकना ही महज़ जो जानता है भला पूछें उसे अब कूदना क्या भले ही घाव कितना भी हरा हो छुटा है ये खुजाने का मज़ा क्या बहुत रफ़्तार में था शख्स […]