साहिबो,
बेध्यानी में चूक हो गयी। मेरे ख़याल में था कि मिसरा तरह मई में निकलना है। कई दोस्तों ने झिंझोड़ा तो ध्यान आया । अब यही किया जा सकता है कि 6 दिन की देर की तलाफ़ी के लिये हर काम 6 दिन देर से चलाएंगे यानी 16 अप्रैल से पोस्टिंग शुरू करेंगे और 6 मई तक पोस्टिंग करेंगे। इस बार का मिसरा तरह लफ्ज़ के पिछले अंक से लिए लेते हैं। लफ्ज़ के पैंतालीसवें अंक में पाकिस्तान के शायर ज़ुल्फ़िक़ार आदिल साहब की बहुत ही ख़ूबसूरत पैंसठ गज़लें हैं। उन्हीं में से एक ग़ज़ल से तरही मिसरा निकाल लेते हैं।
मिसरा तरह:- अपने अंजाम का पता है मुझे
तक़तीअ:- फ़ाइलातुन मफ़ाइलुन फ़ेलुन { 2 1 2 2–1 2 1 2– 2 2 }
क़ाफ़िये:- हवा. दिया, लिखा, सब, अदा, हरा, देखना, पूछना, बोलना
अंत में फेलुन है या फ़ाइलुन है — ”है मुझे ” कृपया स्पष्ट करें
कोशिश करूँगा कुछ कह सकूँ।
स्वागत है …
Der aaye, durust aaye.
Bahut pyaara misra he.