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T-18/7 गई शब पा तुझे दिल दीवाना हो गया है-गुरुवन्त सिंह ‘गुरु’

गई शब पा तुझे दिल दीवाना हो गया है
“अन्धेरा तिलमिला कर सवेरा हो गया है”

करेंगे फोन पर ही मिला जो दिल से बातें
हमारे दौर का ये सलीका हो गया है

निकलना चाहता हूँ मैं अब रुस्वाईयों से
कि दिल का छोटा बच्चा बड़ा सा हो गया है

कभी आहट को पाकर चहक उठता है यकसूँ
कभी खामोशियों में रुआंसा हो गया है

मेरी गुरबत पे भाई कोई उम्मीद मत रख
कि मेरा ख़ून-पानी, पसीना हो गया है

गए लोगों ने तुझको नवाजा जेवरों से
मगर कमबख्त दिल अब, कमीना हो गया है

नहीं दिखता कहीं ग़म जो निकले सैर को वो
मेरा घर जब किसी का पता सा हो गया है

खड़ा था जब किनारे कोई तकता नहीं था
गिरा हूँ अपनी ठोकर तमाशा हो गया है

गिरूं कदमों पे क्यों ना ये सानेहा समझकर
हुआ मैं कब किसी का, ‘वो मेरा हो गया है’

न झगड़ा आत्मा से न किस्सा है खुदा का
मगर अब जिस्म जैसे लबादा हो गया है

समझ आऐंगी किसको तेरी सिंपल सी बातें
कि रुतबा आदमी का धुवां सा हो गया है

गुरुवन्त सिंह ‘गुरु’ 09811310099

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25 comments on “T-18/7 गई शब पा तुझे दिल दीवाना हो गया है-गुरुवन्त सिंह ‘गुरु’

  1. बहुत खूब गुरुवन्त साहब। अच्छे अश’आर हुए हैं, दाद कुबूल करें।

    • आदरणीय ‘सज्जन’ धर्मेंद्र साहब,आपका तहे दिल से शुक्रगुजार हूँ।

  2. गुरु भाई।
    आपका स्‍वागत है।
    कुछ शे’र बहुत करीब लगे।
    आपको और पढ़ने की इच्‍छा है।
    सादर
    नवनीत

    • आदरणीय नवनीत शर्मा जी,अभी मुझे बहुत कुछ सीखना है,उम्मीद करता हूँ कि मैं कभी फिर इस पोर्टल पर आने लायक बन सकूँ,आपका बहुत बहुत धन्यवाद।

  3. gurwant sahab u have got potential. keep it up. a fresh thought.

  4. aap ki ghazal aur aap ke comments aur radd e amal se aap meN bharpoor shayerana salahiyyat ka andaza ho ta hai..AAP KE LIYE ARZ HAI…

    HAR IK BAZM E SUKHAN MEn ,KAREGA NAAM RAUSHAN
    TIRE ANDAR KA SHAYIR ,KHULASA HO GAYA HAI
    ..DR.AZAM

    • आदरणीय डॅा• आज़म साहब,बहुत शुक्रगुजार हूँ आपका,आपकी बातों से एक नया हौसला हुआ है,ये चंद अशआर आपको नज़्र हैं

      हिलाया आँधियों ने पुराने पेड़ को जब
      तो नन्ही कोपलों में इज़ाफ़ा हो गया है।।

      फ़ूँसूँ-ऐ-इश्क़ देखो न मिलता था जो उसको,
      हमारे आगे झुकना गवारा हो गया है ।।

      जरूरी शय की कीमत में मंहगाई बहुत है
      बड़ा मुश्किल यूँ करना गुजारा हो गया है ।।

      उधारी दाल-मिर्ची दिए ऐ मोटे लाला !
      मेरी बीवी के जैसा तू प्यारा हो गया है ।।

      बहुत से लोग अब जो खड़े हैं हाशिये पर
      तिरंगा उनकी ख़ातिर चौराहा हो गया है ।।

      नज़र यूँ लड गई है परी-चेहरा नज़र से
      ये बन्दा आज फिर से कँवारा* हो गया है।। * कुँवारा

      अन्धेरे घर में रोता है इक नवजात बच्चा
      नहीं होना था इसको बेचारा हो गया है ।।

      हिक़ारत की नज़र का क़रारा खा के थप्पड़
      ‘गुरु’ ये हाल अब क्या तुम्हारा हो गया है ।।

      आदरणीय डॅा• साहब, पसंद आएं तो बताइएगा और अपना प्यार और आशीर्वाद बनाए रखिएगा।

      • “फ़ूँसूँ-ऐ-इश्क़ देखो न मिलता था उसी को
        हमारे आगे झुकना गवारा हो गया है”

        “उधारी दाल-मिर्ची दिए ऐ मोटे लाला !
        मुझे बीवी के जैसा तू प्यारा हो गया है”

      • zood goyi..kabhi to baais e shohrat banti hai..kabhi baais e tanz o tanqeed…
        aap ne bhi zood goyi ka muzaahira kiya hai…
        chauraha ko choraha aap ne baNdha hai..
        ye bahr BAHR E SHIKASTA hai…
        is liye do do hissoN meN har ik misra kahna hai..ek hisse meN aik baat poori honi chahiye..use doosre tukde tak nahiN failna chahiye..aap ne khyal rakha hai..ek aadh misre ke alawa…
        kai sher muamma ki soorat haiN…kai do lakht haiN…
        AAP KAM LIKHEn MAGAR UTTAM LIKHEn…
        AAP AISA KAR SAKTE HAIn…
        sher ka dher na lagayeN…
        SHER SHER HAI ….DHER ..DHER HAI
        AAP NE KAHA TO KAH DIYA…BURA NA MANIYEGA
        dr.azam

        • आदरणीय डॅा• आज़म साहब, शुक्रगुजार हूँ आपका कि आपने मुझे अपनी नेक सलाह के लायक समझा। आपकी बात को गांठ बांध लिया है,हमेशा याद रखूँगा आपकी ये इनायत । अपना यही प्यार और आशीर्वाद बनाए रखिएगा।बात एकदम सौलह आने है साहब, शे’र ,शे’र है और ढेर,ढेर है। ये मुझ नाचीज़ पर अहसान रहा आपका।

  5. Guruwant saahab lafz par aapka swaagat hai…Tamasha kafiye wala she’r bahut achcha aur sachcha hai…waaaah..!

    • जनाब सिराज फ़ैसल ख़ान साहब,

      किसी दोराह पर मैं मिला हूँ आप से भी
      मेरी आँखों में यादों का मज़मा हो गया है।।

      शुक्रगुजार हूँ आपका कि कहने के लिये ही सही,कुछ तो ढूंढ पाए आप मेरी इस अधूरी सी कोशिश में !

      तुम्हारी नेक़-नियत चला था आज़माने
      मेरा सारे जहाँ में तमाशा हो गया है ।।

      ऐ क़ाश ! मुझे यकीन होता कि मैं भी इस,इतने बड़े मंच पर आ सकता हूँ,आ गया तो ? मैं जरा भी नहीं घबराया,ये भी ध्यान रखना था !

      परे जज़्बात को रख करेंगे गूफ़्तगू अब
      नऐ लोगों की ख़ातिर इशारा हो गया है।।
      आप सब का,इस पोर्टल का बहुत बहुत आभारी हूँ कि इतना कुछ सीखने को मिला है,वरना किसको पड़ी है कि बताऐ कुछ,और वो भी इतने प्यार से ! आदरणीय तुफ़ैल साहब और उनकी टीम ने मुझ जैसे नए और नौसिखिया को भी ये इतना बड़ा मंच दिया,बहुत बहुत शुक्रगुजार हूँ।

  6. गुरुवंत सिंह साहब !! आपने गज़ल कहने की कोशिश की है और आपकी कोशिश की हम सराहना करते हैं !! ग़ज़ल में अभी मिसरों की तर्तीब और सानी ऊला मिसरे के रब्त पर आपको मेहनत करनी है !! कुछ अशार में सम्बोधित पात्र का चेहरा स्पष्ट नहीं है लेकिन ये सारी बातें दीगर हैं आपमे जो सामर्थ्य है और जो हौसला है वह स्पष्ट है –इस पोर्टल पर आपका स्वागत है और बहुत जल्द हम आपसे मुरस्सा बयान की उमीद भी कर सकते हैं —मयंक

    • आदरणीय मंयक साहब, ये सच है कि इस पोर्टल पर सबसे हल्की ग़ज़ल मेरी ही है अब तक,मुझे अपने छपने का यकीन होता तो मैं इससे बेहतर प्रयास करता यक़ीनन। आप लोगों ने,फिर भी एक बच्चे को पनाह दी,तहेदिल से आप सब का शुक्रगुजार हूँ और ये मानने लगा हूँ दुनियाँ अभी अच्छों से खाली नहीं हुई है।भविष्य में अगर फिर कभी मौका मिला तो हम भी अपनी चीज़ें मांज कर लाएंगे। क़लाम पोस्ट ना करके अगर सिर्फ अपनी बहुमूल्य राय दे देते,तो वही काफ़ी था मेरे लिए साहब।ख़ैर, हार नहीं मानूंगा ओर फिर आऊंगा,आप लोगों से सीखने।आपका बहुत बहुत आभारी हूँ।

  7. गुरु भाई
    आपकी इस ग़ज़ल की खूबसूरती ‘फोन’ और ‘ सिंपल’जैसे शब्द हैं जो ग़ज़ल के हुस्न में इज़ाफ़ा कर रहे हैं। अच्छी ग़ज़ल पर
    दिली दाद क़ुबूल करें !!!

    • जनाब पवन कुमार साहब,बहुत बहुत शुक्रिया!

  8. गुरु साहब,

    ग़ज़ल के मूड से काफ़ी अलग है आपकी ये ग़ज़ल

    आशा है आगे आपसे और अच्छी चीज़ें पढ़ने को मिलेंगी

    लफ्ज़ में आपका बहुत बहुत स्वागत है

    • जनाब दिनेश नायडू साहब, कोशिश करुंगा कि आपकी उम्मीद पर खरा उतर सकूँ। वैसे मेरा ये ‘प्यार की दुनियाँ में ये पहला कदम ‘ है, 😃 तो अभी तो बहुत कुछ सीखना है आपसे। हाँ ये वादा जरूर है कि छोडूंगा नहीं आपको , बैग़र सीखे !
      One to one interaction हो तो अहसान होगा मुझ ग़रीब पे ।

  9. वाह!गुरू वाह!आपने जिंदगी का मसला जिस अंदाज में पेश किया है , दिल को छू गया ।

    • जनाब धर्मेंद्र साहब, बहुत बहुत धन्यवाद आपका।

  10. बहुत बहुत शुक्रिया राजमोहन साहब। आप जैसों से ही सीख रहा हूँ अभी।

  11. Good !!! some new mood is there. I liked .

  12. Awsome poem 🙂 🙂

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