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T-13/6 शाम का चेहरा जब धुँधला हो जाता है-अश्वनी शर्मा
शाम का चेहरा जब धुँधला हो जाता है मन भारी भीगा-भीगा हो जाता है यौवन, चेहरा, आँखें बहकें ही बहकें रंग हिना का जब गाढ़ा हो जाता है यकदम मर जाना,क्या मरना,यूँ भी तो ‘धीरे धीरे सब सहरा हो जाता है&…