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T-3/37 -ख़मोशी को कहीं उसने चुना तो-तुफ़ैल चतुर्वेदी
ख़मोशी को कहीं उसने चुना तो वो चुप रह कर अगर गोया हुआ तो दिये को छोड़ भी देगी हवा तो मगर अन्दर से कुछ बुझने लगा तो क़सीदा पढ़ रहा हूँ रौशनी का अंधेरा ही अगर मेरा हुआ तो किये जाते हो दिल का क़त्ल मेरे पलट कर बोल उट्ठा मक़बरा तो सिवा सूरत […]
T-3/36 -अगर कुछ बच गया हो अनकहा तो-पूरन ‘अहसान’ पठानकोटी
अगर कुछ बच गया हो अनकहा तो मिरे भी शेर पढ़ कर देखता तो वकालत छूट जाएगी तुम्हारी मुक़दमा ख़ुद से जो लड़ना पड़ा तो गिरा हूँ बस, अभी तस्कीन है ये सहारे के बिना कुछ चल सका तो मरम्मत होगी फिर टूटी सड़क की जो पैदल नेता को चलना पड़ा तो पिता की मौत […]
T-3/35 -शजर पर है वो इक पत्ता हरा तो-मलिकज़ादा जावेद
शजर पर है वो इक पत्ता हरा तो मुहब्बत का बचा है सिलसिला तो घमंडी हैं दिये सारे पुराने चली है दश्त में ताज़ा हवा तो मज़म्मत की फ़क़त आंखों से सबने ज़बां से अपनी कोई बोलता तो ज़रा अच्छी तरह ज़ख्मों को सिलना नसों से ख़ून कल रिसने लगा तो लिखा है उसने क्यों […]
T-3/34 -अज़ल से बंद दरवाज़ा खुला तो- विकास शर्मा ‘राज़’
अज़ल से बंद दरवाज़ा खुला तो मैं अपनी ज़ात में दाखिल हुआ तो चराग़ों की सफ़ें सो जायेंगी सब यूँ ही होता रहा रक्से-हवा तो जुदाई लफ़्ज़ सुनकर काँप उट्ठे अगर ये ज़हर पीना पड़ गया तो उदासी बाँध लेगी कस के मुझको यूँ ही कुछ देर अगर बिखरा रहा तो मुख़ालिफ़ हो गए मरकज़ […]
T-3/32- मैं ठहराया गया फिर बेवफ़ा तो-हृदयेश नारायण शुक्ल “हुमा” कानपुरी
मैं ठहराया गया फिर बेवफ़ा तो तुम्हारा प्यार निकला फल्सफः तो इरादः सीधा चलने का किया,तो अगर कुछ रास्तः टेढ़ा हुआ तो बहुत मुमकिन है दुनिया से छुपा लो, मगर फिर बोल उट्ठा आइनः तो सवालों में कजी अच्छी नहीं है, जवाब अपना हुआ कुछ अटपटा तो इरादः कर तो लूँ मैं ख़ुदकुशी का, “दिया […]
T-3/31-सवाल उठता नहीं इनकार का तो-ख़ुर्रम सुल्तान
सवाल उठता नहीं इनकार का तो ‘दिया उसने जो अपना वास्ता तो’ है क्या मेरी ही सारी ज़िम्मेदारी मेरी जानिब ज़रा सा तू भी आ तो छुपाने की करूँगा लाख कोशिश ये दिल का घाव खुद ही बोल उठा तो सभी से रूठ कर जा तो रहे हो अगर तुम को डुबो दे नाख़ुदा…तो मुहब्बत […]
T-3/30- तुम्हारा हाल क्या होगा बता तो- डॉ. मुहम्मद ‘आज़म’
तुम्हारा हाल क्या होगा बता तो कभी उससे हुआ जो सामना तो न होती ये दशा मेरे सफ़र की अगर मालूम कर लेता दिशा तो निगाहें शर्म से झुकती न जायें कभी देखो अगर तुम आइना तो सितारे तोड़ लाता मैं फ़लक से मगर मुझसे कभी वो मांगता तो ख़ुशी भी शादमानी भी मिलेगी मगर […]
T-3/29- अधूरा ही रहे हर रास्ता तो-दीपक जैन
अधूरा ही रहे हर रास्ता तो न पहुंचे मंज़िलों तक सिलसिला तो तुम्हें पाने में ख़ुद को भूल बैठा तुम्हें पा कर भी मैं तन्हा रहा तो जिसे चाहें वही खो जाय हमसे हमारे साथ फिर ऐसा हुआ तो जहाँ आवारगी बिखरी पड़ी है मैं उस रस्ते से मंज़िल पा गया तो भला फिर कोई […]
T-3/28 -मैं ख़ुद से मिल के ख़ुद से कट गया तो-नवनीत शर्मा
मैं ख़ुद से मिल के ख़ुद से कट गया तो करूँगा क्या, हुआ ये हादिसा तो वो जिसकी दीद से जाती है जाँ भी वही दे ज़िन्दगी का फ़ल्सफ़ा तो जो मेरे क़त्ल में शामिल रहा है सुनाया गर उसी ने फैसला तो मैं कब उसको भुला पाऊँगा लेकिन दिया अपना जो उसने वास्ता तो […]
T-3/27 -वो सपने में सही मेरा हुआ तो-शबाब मेरठी
वो सपने में सही मेरा हुआ तो किसी सूरत ये दरवाज़ा खुला तो वो ख़ुद मुझको कभी आवाज़ देगा ये सपना भी किसी दिन मर गया तो ख़ुशी इतनी न दे मुझको मुहब्बत ग़ज़ब हो जायेगा मैं रो पड़ा तो उसी पर ख़्वाहिशें चलने लगेंगी कहीं भी रास्ता उनको मिला तो समझता हूँ जिसे अपना […]
T-3/26 -अगर सच हो गयी मेरी दुआ तो-मनीष शुक्ल
अगर सच हो गयी मेरी दुआ तो अचानक वो कहीं मिल ही गया तो पलटने की मनाही है सफ़र में मगर देने लगा कोई सदा तो वो ख़ुद भी देर तक रोता रहेगा अगर उसने मुझे रोने दिया तो यही है ज़िन्दगी भर का असासा अगर ये ज़ख्म भी भरने लगा तो तसव्वुर से लरज़ जाता […]
T-25 उतर जाता है दुनिया का नशा तो — अभिषेक शुक्ला
अजब नक्शा था उसके शहर का तो !! मैं घिर जाता कहीं भी भागता तो.. मिरा किरदार ज़ख़्मी हो चुका था मैं मर जाता कहानी खींचता तो इधर दिल है उधर उसकी तमन्ना कोई इस जंग में मारा गया तो तिरे छूने का वो भी मुन्तज़िर है उसे छूने की लेकिन ताब ला तो ये […]
T-3/24 -हुआ दिल जैसा मेरे मोजज़ा तो- दिनेश नायडू
हुआ दिल जैसा मेरे मोजज़ा तो बिना घी के दिया जलता रहा तो दिखाता है सदा दायें को बायाँ मियां झूठा हुआ हर आइना तो मैं कब का हार जाता ज़िन्दगी से अगर हद से जियादा सोचता तो ख़ुशी का मर्तबा कैसे समझता नहीं होता ग़मों से आशना तो जो घर बाहर से पक्का कर […]
T-3/23 -उसी पर मुनहसिर है फ़ैसला तो-पवन कुमार
उसी पर मुनहसिर है फ़ैसला तो मगर समझे वो पहले मुददआ तो है मंज़िल की तलब में क़ाफ़िला तो मगर दामन न छोड़े रास्ता तो तअक्क़ुब में हूँ मैं उसके मुसलसल वो सीधा जानिबे-मक़तल गया तो यक़ीनन हिचकियाँ हमको भी आतीं हमारी याद में वो जागता तो कहाँ तक ज़िद पे तुम क़ायम रहोगे ‘दिया […]
T-3/22 तेरे कदमों मे बिछ जायेगा दरिया -मयंक अवस्थी
यक़ीनन सच कहेगा आइना तो कोई सदमे से लेकिन मर गया तो मिरी उर्यानियों को दौर पूजे इन्हें पहनाऊँ जो मैं फ़लसफ़ा तो तेरे क़दमों में बिछ जायेगा दरिया तू अपनी तिश्नगी को पी गया तो अदम से भी मुझे आना पड़ेगा “दिया उसने जो अपना वास्ता तो” हरिक आँधी को ये ख़दशा बहुत है […]
T-3/21 -वही निकला अगर क़ातिल मिरा तो-धर्मेन्द्र कुमार सिंह
वही निकला अगर क़ातिल मिरा तो उसी के पास मेरा दिल हुआ तो वो दोहों को ही दुनिया मानता है कहा गर ज़िन्दगी ने सोरठा तो करूँगा क्या, मैं पीना छोड़ दूँगा दिया अपना जो उसने वास्ता तो हरा भगवा मिलाकर तोड़ दूँगा मिली मुझको ख़ुदा की तूलिका तो जिसे तू मानता है आज सोना […]
T-3/20 -उसी की हर रज़ा में थी रज़ा तो-अभय कुमार ‘अभय’
उसी की हर रज़ा में थी रज़ा तो खुलूसे-दिल से उसको ढूंढता तो कहोगे हक़ तो फिर तन्हा कहोगे बहुत मुश्किल है मिलना हमनवा तो अजूबा ही सही याराने-दानिश हवा में ही जला मेरा दिया तो लिए बैठे रहो अक़ली दलाइल जुनूं ने लिख दिया है फ़ैसला तो ख़ुशी में ख़ुश ग़मों में ग़मज़दा हैं […]
T-3/19 -लहू आँखों से अश्कों में बहा तो-असरार किठोरवी
लहू आँखों से अश्कों में बहा तो सिला कारे-वफ़ा का भी मिला तो हुए हम ही न राज़ी ख़ुदकुशी पर यही था ज़िन्दगी का मशवरा तो सहर आयी,गयी लेकिन न टूटा शबे-बीमार का ये सिलसिला तो चराग़े-जां बहरआलम है ज़द पर कि हर पल रुख़ बदलती है हवा तो कोई तदबीर बाक़ी हो तो कीजे […]
T-3/17 -नज़र से झूठ का पर्दा हटा तो-याक़ूब आज़म
नज़र से झूठ का पर्दा हटा तो हक़ीकत से हुआ वो आशना तो करेगा कौन तुमको प्यार इतना अगर ये दिल भी पत्थर हो गया तो तुझे मिलती न फिर ठोकर प ठोकर बदल देता नज़र का ज़ाविया तो मिलूँगा प्यार से तुमसे है वादा मुहब्बत का सलीक़ा आ गया तो तुझे सैराब कर दूँगा […]
T-3/16 -दिया अपना जो उसने वास्ता तो”-सत्यप्रकाश शर्मा
“दिया अपना जो उसने वास्ता तो” मगर क्यूँ उससे कोई पूछता तो मुअत्तर हो गया फिर साबक़ा तो “दिया अपना जो उसने वास्ता तो” ख़ुदा हाफ़िज़ भी कह देंगे यहीं से न घट पाया अगर ये फ़ासला तो कहाँ रोयेंगी ताबीरें बताओ हक़ीक़त से हुआ गर सामना तो मुसीबत रोकती है राह लेकिन मुसीबत ही […]
T-3/15 -कसौटी पर लिया जो आजमा तो-अश्वनी शर्मा
कसौटी पर लिया जो आजमा तो पता उस ने दिया औकात का तो नहीं कोई शिकायत है यकीनन मगर अहसान हो अहसान सा तो नदी तोड़े किनारा भागती है समन्दर भी अगर ऐसा हुआ तो घड़ी में बांधते हो ,बाँध लो जी हुआ ये वक्त थोडा सिरफिरा तो किनारा ढूँढता है वो ज़मीं का किनारा […]
T-3/14-मिरी दीवानगी पर वो हँसा तो-नवीन सी. चतुर्वेदी
मिरी दीवानगी पर वो, हँसा तो ज़रा सा ही सही लेकिन, खुला तो अजूबे होते रहते हैं जहाँ में किसी दिन आसमाँ फट ही पड़ा, तो? हवस कमज़ोर करती जा रही है ज़मीं निकली, फ़लक भी छिन गया, तो? न यूँ इतराओ नकली जेवरों पर कलई खुल जायेगी छापा पड़ा, तो उमीदों का दिया बुझने […]
T-3/13 -ग़ज़ल में दर्द दिल का ढल गया तो-मधु भूषण शर्मा ‘मधुर’
ग़ज़ल में दर्द दिल का ढल गया तो मिलेगा दर्द से फिर कुछ मज़ा तो जफ़ा थी, बेबसी थी वो, कहें क्या कहा कुछ भी न गो सब कुछ कहा तो न जाने कब से हैं महवे-सफ़र हम कहीं है कारवां आखिर रुका तो मुकद्दर था मेरा कोशिश, निभाया कि क्या बिगड़ा नहीं भी कुछ […]
T-3/12 -चले आये ख़ुदा का घर सुना तो-रजनीश सचान
चले आये ख़ुदा का घर सुना तो यहाँ कुछ और ही है माजरा तो कहूँ क्या, बस खुदा ही है खुदा तो मेरा पैदाइशी हक़ है खता तो कम अज कम नाम तो लेगा खुदा का न काम आयी अगरचे बद्दुआ तो मुहब्बत को मेरी ठुकराओगे क्या जो दिल ऐसी हिमाकत कर गया तो न […]
T-3/11- धुआँ होकर वो महफ़िल से उठा तो-स्वप्निल तिवारी ‘आतिश’
धुआँ होकर वो महफ़िल से उठा तो मगर फिर अब्र बन कर फट पड़ा तो भला ही है बुझा है गर दिया तो ग़नीमत है चली थोड़ी हवा तो नए ग़म का निकल आएगा अंकुर अगर अश्क़ों में ग़म भीगा रहा तो बहुत ख़ामोश बैठा है समंदर ज़रा सा चाँद इसको गुदगुदा तो मुझे तनहाइयाँ […]
T-3/10-दिया अपना जो उसने वास्ता तो-श्रीमती शैलजा नरहरि
दिया अपना जो उसने वास्ता तो ख़ुशी इक दे गया मुझसे मिला तो मुसलसल दर्द है,तनहाइयाँ हैं यही है उनसे अपना सिलसिला तो कोई तनहा सहेगा दर्द कब तक करेगा इश्क़ इक दिन फ़ैसला तो अभी तक आँख में तस्वीर जो है यही है दर्द की अब तक दवा तो मेरी मायूसियाँ कुछ भी न […]
T-3/9 -दिया उसने जो अपना वास्ता तो-नरहरि अमरोहवी
दिया उसने जो अपना वास्ता तो वफ़ा से बढ़ गया है हौसला तो मुहब्बत में मिले आँसू मुसलसल मगर सच्चा है ये ही रास्ता तो रहूँ चुपचाप सारी ज़िंदगी मैं है मुश्किल आपका ये फ़ैसला तो यूँ पल्लू ढँक के आँखों को छुपाना क़यामत है तुम्हारी ये अदा तो हया से अब तेरा ये सर […]
T-3/8 अगर पेश आ गया ये हादिसा तो – द्विजेन्द्र द्विज
अगर पेश आ गया ये हादिसा तो मेरा ख़ुद से भरोसा उठ गया तो यक़ीनन हो गया होता मैं पत्थर सफ़र में मुड़ के पीछे देखता तो अभी तो फूल ही रूठे हैं मुझसे जो काँटों ने किनारा कर लिया तो सफ़र कर अपनी हिम्मत के भरोसे नदारद है अगर तेरा ख़ुदा तो मुझे कुछ […]
T-3/6 ख़ुदा बेशक है इंसां से जुदा तो-राजेन्द्र स्वर्णकार
ख़ुदा बेशक है इंसां से जुदा तो रहेगा इसलिए कुछ फ़ासला तो मुबारक हो जहां को दीन अपने नहीं कुछ फ़र्क़ रखता गो ख़ुदा तो हुकूमत ज़ुल्म क्या ढाती रहेगी वगरना हो चुकी है इंतिहा तो सफ़र के बीच में क्यों राह बदलें कहीं पर भी है मुम्किन हादसा तो मुलाक़ातों की गुंजाइश बनी है […]
T-3/5 ज़रा आवाज़ दे, उसको बुला तो- अंकित सफ़र
ज़रा आवाज़ दे, उसको बुला तो न लौटे फिर वो शायद अब गया तो भरा है खुश्बुओं से तेरा कमरा पुराने ख़त सलीके से छिपा तो मैं ख़ुद को लाख भटकाऊ भी तो क्या ! तुम्हीं तक जाएगा हर रास्ता तो मेरी खामोशियाँ पहचान लेता मुझे अच्छे से गर वो जानता तो मुझे दीवाना ठहरा […]
T-3/4 बिछड़ कर फिर से मुझ को मिल गया तो-अनिल जलालपुरी
बिछड़ कर फिर से मुझ को मिल गया तो कहूँगा क्या ? अगर वो रो पड़ा तो जहाँ हर झूट भी सच सा लगेगा सुना दूँ मैं भी ऐसा वाक़या तो कतरना चाहते हो पर हवा के समय ने कर दिया तुमको हवा तो खरा तुम बोलते हो ये बजा है ज़माने को बुरा फिर […]
T-3/3 नहीं जल पाया ये अंतिम दिया तो ….सौरभ शेखर
नहीं जल पाया ये अंतिम दिया तो अँधेरा मेरे घर में आ टिका तो मैं ज़ाहिर कर तो दूँ जज़्बात दिल के उठा ले गर वो उनका फायदा तो अभी दिलचस्पियाँ परवान पर हैं मेरा दम बज़्म में घुटने लगा तो ख़ुशी से ख़ामुशी ओढ़ी नहीं थी मैं कहता कुछ मगर कुछ सूझता तो अदाकारी करो तुम इश्क़ की […]
T-3/2 अचानक सामने वो आ गया तो-अहमद सोज़
अचानक सामने वो आ गया तो करूँ क्या मैं अगर ऐसा हुआ तो ज़माना है बुरा मैं जानता हूँ ख़याल-ए-दोसताँ कुछ तो ज़रा तो क़दम रखता नहीं इनसाँ ज़मीं पर अगर जज़्बों में भर जाये हवा तो वो सब कुछ ख़त्म कर के जा चुका है मना लेता अगर होता ख़फ़ा तो जुदाई का मज़ा […]
T-3/1 मज़ा हो जाय पल में किरकिरा तो- इरशाद खान सिकंदर
करम है, दायरा दिल का बढ़ा तो मुझे भी इश्क़ ने आकर छुआ तो मिरे अल्लाह मैं तो खुश हूँ लेकिन कोई मेहमान घर पर आ गया तो ? तुम्हारी हेकड़ी भी देख लेंगे करो तुम ज़िंदगी का सामना तो मियाँ अंजाम अबके सोच लेना हमारे सर पे फोड़ा ठीकरा तो ! न मेले जा […]
तरही महफ़िल-3
हज़रात, तरही की तारीख़ महीने की जगह 40 दिन करने की मआज़रत चाहता हूँ. आप ने 40 -40 ग़ज़लें इनायत कीं तो उन्हें पोस्ट करने के लिए कम-अज़-कम 40 दिन तो चाहिये कि रोज़ एक ताज़ा ग़ज़ल का मज़ा लिया जा सके. बह्र पिछली बार वाली ही है. मफ़ाईलुन मफ़ाईलुन फ़ऊलुन 1 2 2 2 […]